बड़ी रात हो गई है वसती भी सो गई है , कोई मुझे भी सुलाओ बड़ी नींद आ रही है!
वही जो शाम तक था पुरा वही चंद्र माँ अधुरा , सागर बजा राह है लहरों का तन पुरा !
यही वक्त गीत का है नही हर जित का है, शायद इसी खुशी में मेरी रूह गा रही है !
कभी प्यार की नजर सी कभी नाग की जहर सी, मेरी जिन्दगी ही मेरी गर्दन झुका रही है!
हर चीज छूटती है हर आस टूटती है , जब मौत की नदी में यह दे डूबती है !
पूछो नही कहाँ हूँ पर खुश नही जहाँ हूँ , होना जहाँ नही था में आजकल वहां हूँ !
वैसे तो जो मुझको मानता है , पर ऐसे लोग कम है जो मुझको जानते है !
उनको ही दूंदता हूँ उनसे ही पूछता हूँ , वो शशी कहाँ हे जो याद आ रही है !
it a very good thought :'' aksar ye hota hae jhan mea, jo chahiye tha milna, ata nahi hae jiwan me. fir bhi gam na kar e dost kabhi kisi ko mukamil jhan nahi milta hae es jiwan mea!
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