आज के दौर में निजता यानि की प्राइवेसी का भी अपना मूल्य है । उस निजता का जो कभी अनमोल हुआ करती थी । तभी तो सच को स्वीकार करने के नाम पर एक आम हिन्दुस्तानी से लेकर जाने माने चहेरों तक, सभी की हिम्मत देखते ही बनती है । इसे मनोरंजन कहिये या स्वयं के जीवन के सारे भेद खोलने के मूल्य का खेल, करना बस इतना है कि आइये और सच को स्वीकारिये । सच, जो आपके अपने जीवन से जुड़ा है । सच ,जिसे आपने अभी तक किसी अपने से भी साझा न किया हो ।



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और फिर चलिए परिकल्पना ब्लॉगोत्सव की ओर :

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