हमारा राष्ट्र वह राष्ट्र है जिसने विश्व को शांति, भ्रातृत्व और सहिष्णुता का संदेश दिया है जो विश्व शांति के लिये नितांत आवश्यक है l यह राम कृष्ण की धरती है यहाँ बुद्ध महावीर जैसे शांतिदूत और मार्गदर्शक पैदा हुए हैं इस धरती पर विक्रमादित्य, आर्यभट्ट, वाराहमीर,कालिदास चाणक्य (विष्णुगुप्त) जैसे बुद्धिजीवियों ने जन्म लिया है यहाँ शूरवीरों की भी कोई कमी नहीं रही चंद्रगुप्त मौर्य, पृथ्वी राज चौहान महाराणा प्रताप शिवाजी महाराज जैसे शूरवीरों ने जन्म लिया है,इसके साथ सत्य अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी ने इस देश में जन्म लेकर इस देश को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विश्व में भारत को अपने सिद्धान्तों के कारण अग्रणी बनाया, जिन सिद्धान्तों की तलाश आज संपूर्ण विश्व कर रहा है l
1947 में देश आज़ाद हो गया और विदेशी शासन से मुक्ति मिली लेकिन आजादी के समय देश सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा था जो आग बुझी नहीं बल्कि आज बहुत ही तेजी से ज्वाला बन चुकी है l इस आग को भड़काने में सबसे अहम भूमिका धार्मिक और जातिवादी तुष्टीकरण ने निभायी है जिसने देश में आज गृहयुद्ध की कगार पर खड़ा कर दिया है l महात्मा गाँधी जब दक्षिण अफ्रीका गये तो उन के अंदर अन्याय के विरुद्ध लड़ने का अद्भुत साहस भरा जो अंत तक जारी रहा l जब महात्मा गाँधी भारत वापिस आये तो यहाँ की दयनीय स्थिति को देखकर अत्यंत द्रवित हुए और यहाँ की गरीबी को देखकर हतप्रभ रह गये और निर्णय लिया कि इस देश को स्वतंत्र करने से पहले इन लोगों के मनों को राष्ट्रभक्ति की तरफ़ प्रेरित करना आवश्यक है और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को स्वावलंबी बनाना नितांत आवश्यक है इसीलिए उन्होंने बैरिस्टर का चोला उतार फैंका और ऐसा साधारण वेशभूषा को चुना ताकि आम जनमानस उन पर विश्वास कर सकें l सदियों से दबे कुचले लोगों के मनों में विश्वास की ज्योति जलाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी जो महात्मा गांधी को एक असाधारण व्यक्तित्व बनाता है l यहाँ पाँच दस लोगों को अपने पीछे चलाना मुश्किल होता वहाँ उस देश को जो जाति और धर्म की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था एकसूत्र में पिरोना एक चमत्कार की तरह था l अम्बेडकर साहब के साथ कई मुद्दों पर मतभेद होने के बाद भी उनको संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाना महत्वपूर्ण था, वे जानते थे कि किस व्यक्ति को कौन सी भूमिका में होना चाहिए व्यक्तिगत मतभेद का राष्ट्र के लिए कोई स्थान नहीं रखते l गांधी जी ने हमेशा अपने आदर्शों और राष्ट्र को सर्वोपरि माना l मुस्लिम तुष्टीकरण के लिये उन्हें कई बार दोषी ठहराया जाता है उसको मैं अनुचित मानता हूँ, क्यों,वह इसलिये की वे पूरे देशवासियों को अपनी सन्तान ही समझते थे, उन का मानना था कि हिन्दू मुस्लिम दोनों का ये देश है और सभी समुदायों को मिलजुल कर रहना चाहिए, क्योंकि अनेकता में एकता इस देश की पहचान है और भारत ने विश्व को वासुदेव कुटुम्बकम का संदेश दिया है l वे मुस्लिम कट्टरता को तो पहचानते होंगे पर राष्ट्र की स्वतंत्रता कहीँ ज्यादा महत्वपूर्ण थी वे इस बात से भी परिचित थे l पाकिस्तान की मांग पर उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि पाकिस्तान यदि बनता है तो वह मेरी लाश पर बनेगा, पर मुझे लगता है कि समसामयिक परिस्थितियों को देखते हुए देश के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं ने उन्हें आत्मसमर्पण करने पर विवश कर दिया था, जिन्ना और नेहरू तो देश के मुखिया बनना चाहते थे अतः देश के टुकड़े हो गये और मुझे तो लगता है कि गाँधी आजादी के बाद नेहरू के लिये अप्रासंगिक हो गये थे l
अब 1947 के बाद तुष्टीकरण का दौर शुरू हुआ जिसमें जाति और धर्म के आधार पर तुष्टीकरण महत्वपूर्ण था ने देश को यहाँ तक पंहुचा दिया कि देश गृहयुद्ध की स्थिति तक पंहुच गया है l सत्ता प्राप्त करना एकमात्र नेताओं का लक्ष्य बन गया और नेता पुराने रजवाड़ों की तरह शानो-शौकत से रहने लग गये और भ्रष्टाचार लूट खसूट और बाँटो और शासन करो उनके आदर्श बन गये वह चाहे कोई भी दल हो l मेरे प्रिय नेता में एक नंबर पर महात्मा गाँधी उसके बाद इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी आते हैं l आज के समय में मोदी विश्व के अग्रणी नेता की भूमिका में है l जातिवाद जो राष्ट्र से समाप्त होना चाहिये था वह बढ़ता चला गया और अब काफी गंभीर समस्या बन चुका है, मुस्लिम तुष्टीकरण करते करते आज देश गृहयुद्ध की स्थिति में पंहुच चुका है l कॉंग्रेस पहले ताकतवर रही उसका कारण जातिवादी और साम्प्रदायिक तुष्टीकरण बहुत महत्वपूर्ण था, जब उनके पास से इस सोच को मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव सरीखे नेताओं ने छीन लिया तो कॉंग्रेस कमज़ोर हो गई आज सब में मुस्लिम वोट और जाति पाती पर वोट प्राप्त करने की भागम भाग लगी हुई है यही तुष्टीकरण है जो देश के लिए बेहद चिंताजनक तो है ही बेहद गंभीर विषय भी है l
मोदी जी के आने से भटका हुआ हिन्दू एकजुट हो गया कुछ धीरे-धीरे जो गुमराह है वे भी एकजुट होंगे, साम्यवादी सोच देश के लिए बहुत ही खतरनाक है क्योंकि इससे मुस्लिम तो अपने धर्म के प्रति कट्टर हुआ है जबकि भटका हुआ हिन्दू अभी भी साम्यवादी बन कर अपने धर्म को धोखा दे रहा है l जिस व्यक्ति में शुद्ध सनातन धर्म की विचारधारा है वह कभी भी जातिवाद का पोषक नहीं हो सकता क्योंकि वे सबको सनातनी मानते हैं और जात-पात के घोर विरोधी है, जातिवाद को भड़काने का काम जो भ्रष्टाचारी दल इनके नेता करते हैं और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और ठीकरा सनातन धर्म पर फोड़ने का काम करते हैं l मुझे विश्वास है कि जब इन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों के घर जलेंगे और इनकी माँ बहने असुरक्षित होंगी तभी उनकी आँखे खुलेंगी l मेरा मानना है कि पूरे देश में एक कानून होना चाहिये,किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो जातिवाद पूरी तरह समाप्त हो नेता जो दोगला व्यवहार करते उनके चेहरे पर पड़ा हुआ धोखे का नकाब हटे और मुस्लिम तुष्टीकरण समाप्त हो l आज सुप्रीम कोर्ट की भूमिका भी संदेहास्पद लग रही कई बार लगता है वहाँ भी धार्मिक तुष्टीकरण हो रहा है इसका वर्णन में भाग में करूँगा l