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महात्मा गांधी को विनम्र श्रद्धांजलि


 आज महात्मा गांधी जी का शहीदी दिवस है श्रधेय बापू को नमन।

गांधीजी की निंदा करनेवालों की कोई कमी नहीं,निंदा करनेवाले किसी को नहीं छोड़ते पर जहां निंदा करनेवाले नहीं होते कुछ नया नहीं हो सकता।लोगों ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम, कृष्ण ,बुद्ध, महावीर व अन्य बड़े लोगों की भी निंदा की व उनको प्रताड़ित करने का प्रयास किया।ऐसे तत्व हर समाज में पाये जाते है इन्हीं लोगों के कारण ही व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है।देश में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था समाज जाति धर्म समुदाय व क्षेत्र के नाम पर बंटा हुआ था और दरिद्रता में जकड़ा हुआ था तो एकजुटता की बात करना और आज़ादी की बात करना ही बेमानी लगता था।ऐसे समय दक्षिण अफ्रीका से लौटे इस महात्मा ने अपना बैरिस्टर वाला चोला त्याग कर एक साधारण से भी कम का चोला पहनकर देश के आंदोलन की बागडोर संभाली और जिनके पास रोटी नहीं थी ,विभिन्न जातियों व धर्मो में बंटे समाज को एकजुट करके उनके मन में स्वराज्य की लौ जगाई जो किसी चमत्कार से कम नहीं थी।उन्होंने  कभी कोई पद नहीं लिया न चाहत रखीं उन्होंने कभी  नहीं कहा कि मुझे बापू, महात्मा कहो या राष्ट्रपिता।उनका तो सपना ही मानवता का कल्याण और राष्ट्र की एकता व अखंडता थी।ये राष्ट्र महात्मा गांधी का राष्ट्र है इसे कभी कोई न तोड़ सकता है न झुका सकता है निहित स्वार्थ के कारण विरोध करनेवाले भी सुधर जाएंगे क्योंकि बापू अमर है उनकी करुणामयी दृष्टि इस देश पर बनी रहेगी।अंग्रेजों ने बांटो और शासन करो कि नीति को हमारे देश कुछ नेता चला रहे ज़्यादा नहीं चलेगी शीघ्र ही उनको इसके परिणाम भुक्तने होंगे कुछ भुगत रहे हैं कुछ भुगतेंगे गुलामी की बदबू इस कृतज्ञ राष्ट्र से अब जाने ही वाली है। मुझे बागा बार्डर जाने का अवसर मिला था और वहां पर जो राष्ट्रभक्ति की लौ जगाई जाती उससे सभी लोग देशप्रेम की भावना से भर जाते है।

भरा नहीं जो भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं,

वह हृदय नहीं पत्थर है जिसे निज देश से प्यार नहीं।

बापू को विनम्र श्रद्धांजलि।


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