(ओमान), (सांस्कृतिक संवाददाता)। दिनांक 10 अगस्त को मस्कट ओमान में लखनऊ एवं दिल्ली की परिकल्पना संस्था द्वारा आयोजित विश्व हिन्दी उत्सव में अनेकानेक हिन्दी के विद्वानों, साहित्यकारों एवं चिट्ठाकारों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर परिकल्पना संस्था द्वारा विभिन्न साहित्यकारों एवं चिट्ठाकारों के साथ साथ प्रयागराज से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ बाल कृष्ण पांडेय, कुशीनगर से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामाकांत कुशवाहा कुशाग्र एवं ऋषिकेश से डॉ धीरेन्द्र रांगढ़ को धनराशि 11500/- रुपए के साथ अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, मानपत्र आदि देकर सम्मानित किया गया।
डॉ धीरेन्द्र रांगढ़ ने इस अवसर पर "रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रयोग से मानवता पर होने वाला दुष्प्रभाव" विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि"गला घोंटने वाले एजेंट गैस के बादलों के रूप में लक्षित क्षेत्र में पहुँचाए जाते हैं, जहाँ वाष्प के साँस लेने से व्यक्ति हताहत हो जाते हैं। यह विषैला एजेंट प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय कर देता है , जिससे फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जो फेफड़ों को गंभीर क्षति होने पर दम घुटने या ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु का कारण बन सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति वाष्प के संपर्क में आता है, तो रासायनिक एजेंट का प्रभाव तुरंत हो सकता है या तीन घंटे तक लग सकते हैं। एक अच्छा सुरक्षात्मक गैस मास्क गला घोंटने वाले एजेंटों से सबसे अच्छा बचाव है।"
परिकल्पना समय के प्रधान संपादक डॉ रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि "एक बार साँस लेने या निगलने के बाद, वे जल्दी से एसिटाइलकोलाइन को सिनैप्टिक क्लीफ़्ट में जमा होने देते हैं, जिससे मांसपेशियों में लगातार संकुचन होता है और संबंधित प्रभाव जैसे कि पुतली का सिकुड़ना, मरोड़, ऐंठन और सांस लेने में असमर्थता होती है। पीड़ित अप्रत्याशित रूप से मर जाते हैं, किसी ऐसी चीज़ से दम घुटने से जिसे वे देख नहीं सकते।"
डॉ बाल कृष्ण पांडेय ने कहा कि" जैविक और रासायनिक हथियार से हमें बचने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि यह मानवता के लिए खतरा है।" अपने अध्यक्षीय भाषण में परिकल्पना संस्था की अध्यक्ष श्रीमती माला चौबे ने कहा कि "सैनिकों या नागरिकों को घायल करने या मारने के लिए रसायनों, जीवाणुओं, विषाणुओं, विषैले पदार्थों या ज़हरों के सैन्य प्रयोग को रासायनिक और जैविक युद्ध कहा जाता है।"
इस अवसर पर मुम्बई से आई टैरो कार्ड रीडर सुश्री रोशनी और पत्थर विशेषज्ञ श्री रवि मस्तराम ने ज्योतिष की बारीकियों को समझाया और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर डॉ रामाकांत कुशवाहा कुशाग्र की पुस्तक "प्रिय लौट आओ" (गीत संग्रह) का लोकार्पण हुआ। अनेक वक्ताओं ने इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डाले।
भुवनेश्वर के विस्मय राउत, मुम्बई के निखिल शर्मा और मोईन खान ने अपनी सुमधुर कविताओं से सबका मन मोह लिया। प्रयागराज की कुसुम पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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