खेद,गृहस्थी के चक्करमें पड़ लाख कोशिशों के बाद भी सिर के बाल नहीं बचा पाया पर खुशी,गृहस्थी केकरोड़ों चक्करों में चक्कर घिन्नी होने के बाद भी प्रेमिका को सकुशल रखे हुएहूं। पत्नी की बुरी नज़रों से कोसों दूर। इतनी दूर कि मेरी पत्नी मेरी पत्नी दसजन्म तक भी बने तो भी उसे मेरी प्रेमिका के बारे में पता न चले। कल प्रेमिका कोछींक आ गई तो मैं परेशान हो उठा। प्रेमिका चीज़ ही कमबख्त होती ऐसी है। नहीं पताहो तो भाई साहब पे्र्रम करके देख लो।
प्रेमिकाको सारे काम काज छोड़ सबसे पहले अस्पताल में भर्ती कराया। प्रेमिका के प्रति मेरेसमर्पण भाव को देख डाक्टर ने भावुक हो पूछा,‘ माफ कीजिए! ये आपकी..'
‘मेरी प्रेमिकाहै।' मैं उसके कानमें फुसफुसाया तो उसे बड़ी तसल्ली मिली।
वह डरतेहुए मेरी प्रेमिका की नब्ज देखते हुए बोला,‘ आपका रोगी के प्रति समर्पण को देख मैं वैसेतो एकदम समझ गया था कि पत्नी के प्रति तो इतना कोई समर्पित होता नहीं। मैं इन्हेंपूरी तरह अपनी ओर से ठीक करने की कोशिश करूंगा। पुरुष का विवाह होने के बाद यही तोउसके जीने का एकमात्र सहारा रह जाता है। मैं सब समझता हूं।'
प्रेमिकाकी ओर से निश्चिंत हो घर आ रहा था कि अस्पताल के बाहर एक भविष्य बताने वालागंगा राम तोते को ले दरी ताने बैठा था। और रोगियों के साथ आए उसे पूरी तरह घेरेथे। बेचारे मरते क्या न करते! अचानक उनके बीच में बैठे अपने परिचित चुनाव मेंखड़े नेता जी भी दीखे। यार हद हो गई!
‘ नेता जी, ये क्या! आप तोखड़े होते ही बैठ गए। अभी तो दिल्ली दूर है।'
‘ मैं बैठा नहीं, गंगा राम तोतेसे संसद का रूट पूछ रहा था।' कह वे झेंपे।
‘ बंधु ,दिल्ली का रूटगंगा राम तोता नहीं, इन दिनों जनता बताती है। इसलिए गंगाराम तोते की चौखट पर बैठनेसे कुछ न होगा। बैठना है तो जनता की चौखट पर बैठो। जिस बचारे तोते को अपने हीभविष्य का पता नहीं कि कब तोते के पेट पर लात मार कर खाने वाले के पिंजड़े से वहमुक्त होगा,वह आपकेबारे में बेचारा क्या बताएगा। ये दिन पंडे पुजारियों के चक्कर में पड़ वक्त खराबकरने के दिन नहीं, प्रैक्टिकल होने के दिन हैं।' कह मैंने उन्हेंभीड़ में से हटाया।
‘तो??'
मैंनेचलते -चलते उन्हें बताया,‘ हूं तो मैं टट्पुंजिया ही। हिन्दी का मास्टर ! हिन्दीका भी वह मास्टर जिसे विद्यार्थी तो दूर परिवार वाले भी नहीं जानते। माटर-माटरकहते हैं। भले ही नेता जी माटर हूं और वह भी स्कूल में केवल और केवल खिचड़ी बनानेवाला ! जिसके पास न ट्यूशन है,न टशन । पर बन्धु! अपने पास कुछ फार्मूले हैं। ऐसेफार्मूले कि जिनका सदुपयोग कर आप कहीं भी जीत हासिल कर सकते हो। मेरे आशीर्वाद सेजिस-जिस ने इन अनुभूत फार्मूलों का खुले दिल से उपयोग किया जीत ने उनके चरण चूमें, पुराना रिकार्डसाक्षी है। ताजा उदाहरण, मेरे पड़ोसी का कोर्ट में केस चल रहा था। बहुत परेशान था।झूठ था कि सच में बदलने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैंने उसे सिद्ध फार्मूले दिएऔर वह दूसरे दिन मुहल्ले में लड्डू बांटता हार्ट अटैक को प्राप्त हुआ।
दूसराउदाहरण, पिछले हफ्ते हीअपने गांव की ग्राम सुधार सभा की चुनावी बैठक थी। ढाई टके का पूरन मेरे पास आया,गिड़गिड़ाया, बोला,‘अबके प्रधानी काचुनाव जीता दे तो ग्राम सुधार का सारा बजट तेरे घर में लगाऊं।' तो बंधु लग गईअपनी इज्जत दांव पर। इज्जत का सवाल था, कैसे न करता?
मास्टरकिसी भी सब्जेक्ट का हो, किसी भी चीज़ के लिए मरता हो या न, इज्जत के लिएआज भी मरता है,सो मैं भीमर गया। मैंने भूतनी के को गले लगाया और जीत का बीज मंत्र उसे दे दिया। हो गए पलकझपकते ही उसके वारे न्यारे।
वैसेलीडरों को मैं जीतने के गुर क्या सिखाऊंगा? हूं तो अदना सा! पर अगर आप जीत सुनिश्चितकरना चाहो तो आपको कुछ चुनाव मंत्र दे रहा हूं। यदि आप इन मंत्रों को वोटरों परआजमाओ तो चुनाव में विपक्षी तो क्या, आप इन्द्र को भी पछाड़ सकोगे, शर्तिया! यदिहाथ में संसद योग की रेखा नहीं भी होगी तो भी बीमाता संसद योग की रेखा बनाने र्स्वगलोकसे दौड़ी चली आएगी, मेरा दावा है। चुनाव लड़ने का सीधा सा मतलब है जीतना! चुनावमें मेरे मंत्रों का प्रयोग कर किसी को भी आजतक आत्ममंथन करने की जरुरत नहीं पड़ीहै।
इन दिनोंकुत्तों से भी विनम्रता से बात करें। वे काटें तो डरे नहीं। हमारे मुहल्ले मेंपिछले दिनों एक लीडर को कुत्ते ने काट लिया था, लीडर तो बच गयापर बेचारा कुत्ता मर गया।
प्रचारकरने अगर दूसरी विचारधारा के क्षेत्र में गए हों तो गुस्सा वाजिब है। पर गुस्सान करें। उन्हें जैसे भी हो पटाएं, बरगलाएं, सहलाएं। सहलाने से तो सांप भी विष त्यागदेता है, वह तो जनता है, फुफकारती भीनकली है।
जनता कीजय जयकार करें,उसे बाप की तरहआदर दें। अकड़ किनारे छोड़ दें। चुनाव के बाद तो आपके ही दिन बहुरेंगे। इन दिनों जनताजितना चाहती है उसे फुदकने दें। चुनाव के बाद तो वैसे भी आपके ही हाथ होनी है।
अपने वोटबैंक में विरोधी को सपने में भी न घुसने दें। इसके लिए खून खराबा भी करना पड़े तोडरे नहीं,चुनावजीतने के बाद सब अपने आप ठीक हो जाएगा।
वोटर कोउसकी हैसियत से ज्यादा सम्मान दें। इससे वह फूंक में आता है। पिछला सब भूल जाताहै। फूंक में आए वोटर पर निवेश भी कम करना पड़ता है। वह आपके लिए दस वोटर और खींचकर लाएगा।
वोटर जबतक बस न करे उसे खिलाते रहिए, भले ही उसका पेट फट जाए तो फट जाए। इन दिनों वोटर पर दिलखोलकर निवेश कीजिए, पांच साल तक रिटर्न आती रहेगी।
दिन कोजिन-जिन को पटाया हो शाम को उनकी लिस्ट बना लें। जो नहीं पटा, उसको रात भरपटाने की सोचें । फिर तो लम्बी तान के सोना ही सोना है।
साम,दाम,दंड, भेद जैसे भी होवोटर को पटाएं। किस वोटर को क्या देना है ,ईमानदारी से सोचें। इस बारे चमचों पर विश्वासकम करें। वे सौ मुंहे होते हैं। काली भेड़ों से सावधान रहें।
पूरेवोटरों से मिलना कठिन हो तो जाति के प्रधानों से मिलें। उन्हें विश्वास में लें,उन्हें चुग्गाडटकर दें।
जैसे भीहो, विपक्षी केचुनाव प्रचारकों को अपने पक्ष में करें। कोई भी लालच दे दीजिए। वे चुनाव मेंलीडरों के साथ जुड़ते ही तुच्छ स्वार्थों के लिए हैं।
जनता कोआश्वासन बांटने में हिचकिचाएं नहीं। अंधे की रेवड़ियों की तरह आश्वासन बांटे। क्यापता जनता को कौन सा आश्वासन भा जाए? और उसे आपका कोई आश्वासन भा गया तो आपकेचांदी ही चांदी।
मुझे पूरा विश्वास है कि इन मंत्रों के उपयोग से आप रिकार्ड मतों से जीत दर्जकरेंगे। श्ोष भगवद् इच्छा!!
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लोगर्स की अभिव्याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।
Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.