मैं दूर पहाड़ों से आया
जहाँ सर्द हवाएं बहती हैं
है व्यास पार्वती का संगम
जहाँ यादें मेरी बसती हैं
मेरे अपनें सभी वहीँ हैं
लेकिन मैं हूँ सबसे दूर
यह था किस्मत का लिखा
नहीं किसी का कसूर
ना जानें कब जा पाऊंगा
बापिस उन खूबसूरत फिजाओं में
कोई याद तो करता होगा
मुझको मेरे गाँव में
'दीपक शर्मा' था उस वक़्त मैं
अब हूं 'दीपक कुल्लुवी'
शक्ल-ओ-सूरत बदली,तखल्लुस बदला
लेकिन सीरत ना बदली
लेकिन सीरत ना ----
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
०९१३६२११४८६
२७-१०-10
भाव भरी कविता के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंवैसे कुथु थे आये तुंसा जी... कुल्लूए ते और होर कुथी ते ?
DHANYABAD MOHINDER JI FOR YOUR COMMENTS
जवाब देंहटाएंI BELONGS TO KULLU SON OF SH.JAI JEV VIDROHI JI.FOUNDER PRESIDENT OF AUTHORS GUILD OF HIMACHAL
09136211486(DELHI)