वेशक हमें सर साल
अपनें हाथों से जलाते रहिए
चलो इसी बहाने ही सही
करीब तो आते रहिये
हम तो 'दीपक' हैं
जलकर भी दुआ देंगे
आप यूँ ही रस्म-ए-दीवाली
शौक़ से निभाते रहिये
जीनें का मौक़ा दुनियां में
बार बार नहीं मिलता
अपनीं तो आरज़ू है यही
बस आप मुस्कुराते रहिये
दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३६२११४८६
०२-११-२०१०.
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंदीपक के सहारे आपने अनेको लोगो के व्यक्तित्व को चित्रित किया जो दूसरों के सुख के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते है