शान-ए-हिन्दोस्तान
(''जयदेव विद्रोही'')
एक विद्रोही प्यारा सा 21
(स्वतंत्र लेखक,पत्रकार)
रिपोर्ट"दीपकशर्मा कुल्लुवी"जर्नलिस्ट
(जर्नलिस्ट टुडे नैटवर्क)

हम लिखते रहे लिखते ही रहे
न रुके न रुकना आया
अब सोचनें तक का न वक़्त रहा
क्या खोया क्या पाया
सहनशील
कितनें मजबूर हैं हम दोनों
वह चाहते कुछ करूँ मेरे लिए
मैं चाहता कुछ करूँ उनके लिए
वह कर सकते और करते हैं
मैं चाहकर भी कर पाता नहीं
बेबस हूँ बहुत लाचार हूँ मैं
इक अजीब-ओ-गरीब इंसान हूँ मैं
विद्रोही हूँ मैं अपनें लिए
वह 'विद्रोही' कहाँ और किसके लिए
वह सबका विद्रोह ही तो सहते हैं
और 'विद्रोही' भी खुद को कहते हैं
-------
उच्चेयाँ पहाडा वल्ल तक बंदेया
तू माँ दे दिलां विच बस बंदेया
माँ आएगी य बुलाएगी -2
ज़रा माँ ते भरोसा रख बंदेया
सहनशील
वह चाहते कुछ करूँ मेरे लिए
मैं चाहता कुछ करूँ उनके लिए
वह कर सकते और करते हैं
मैं चाहकर भी कर पाता नहीं
बेबस हूँ बहुत लाचार हूँ मैं
इक अजीब-ओ-गरीब इंसान हूँ मैं
विद्रोही हूँ मैं अपनें लिए
वह 'विद्रोही' कहाँ और किसके लिए
वह सबका विद्रोह ही तो सहते हैं
और 'विद्रोही' भी खुद को कहते हैं
-------
दूर न करीं
अस्सी आ गए मईया जी दर तेरे साहनूँ दूर न कर रख नेड़े
साहनूँ दुनियां दे गम ने बथेरे, साहनूँ दूर न कर रख नेड़े
--अस्सी आ गए मईया जी दर तेरे सा-------------
(१) तेरा सहारा मिलदा रहे माँ फुल्ल खुशियाँ दा खिडदा रहे माँ
दर तेरे बार बार आंदा रहाँ माँ भांवे लक्खां बार डिगदा रहाँ माँ
अस्सी रहिये मईया जी तेरे वेहड़े-2
गुणगान तेरा करदा रहाँ
अस्सी आ गए मईया जी दर तेरे सा-------------
(2 ) तेरा भरोसा कदे भी टुटे,साथ तेरा माँ कदे भी न छुट्टे
दुनियाँ भांवें रुस्स जाए माँ तू सादे नाल कदे भी न रुस्से
दुख जद्द दुनियाँ विच घेरे -2
दीदार तेरा करदा रहाँ
अस्सी आ गए मईया जी दर तेरे सा-------------
(3 ) दीपक 'कुल्लुवी' दास माँ तेरा दूर करीं माँ दिल दा हनेरा
तेरे प्यार दी खुशबू नाल माँ भरेया रहे साडा रैन बसेरा
'संजय नागपाल' नूँ देंदी रहीं शक्ति -2
हाजरियाँ तेरियां भरदा रहाँ
अस्सी आ गए मईया जी दर तेरे सा------------
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09136211486
27 -05 -2011 .
फोटो-1 गुरुकुल अवार्ड कुल्लू
फोटो-2 मेरी एक ऑयल पेंटिंग
शेष अगले अंक-22 में
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