
जब कभी
जब कभी भी
मैं
उदास हो जाता हूँ
तो किसी पुरानी
एलबम में बंद पड़ी
तस्वीरों को
देख लेता हूँ
और फिर
और
उदास हो जाता
हूँ
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दो अश्क ही लाया था
दो अश्क ही दे जाऊंगा
बहते हैं तो बहने दो
मैं कुछ न छुपाऊंगा
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी '
09136211486
30 /08 /2011 .
वाह दीपक जी,
जवाब देंहटाएंयह नज़्म भी अच्छी बनी है !आपकी उदासी और निराशा में भी कहीं आशा छिपी है,और एक सत्य भी !