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चन्द शेर । ---- बोधिसत्व कस्तूरिया

आज तेरी तस्वीर ने कुछ कहा हमसे,
कि हम न कह  सके वो बात तुमसे ,
जब वो मुकाम आया ,तो तस्वीर ने की इल्तिज़ा तुमसे!!
मैं बहुत रुसवा हुआ तेरे इख्तियार मे ,
कभी सोचा न था,तेरे खुमार मे ,
हम न  जान सके तेरी वफ़ा को,
आज हम रुसवा ,अपनी गली-कूचाये बाज़ार मे !!

1 comments:

  1. बहुत ही गहनाभिब्यक्ति के साथ लिखी शानदार गजल बधाई आपको /





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