गम में डूबा था मै, खुशियों की बहार ला दी तुने .
सबकुछ भुला था मै ,यादो की बहार ला दी तुने .
जो कुछ भी छुपा था मेरे दिल में,जुबा पर ला दी तुने.
जो चाहता न था बाँटना,बाँटने पर विवश बना दिया तुने.
सबकुछ छुपाकर बना था मै कठोर ,तुने तो एक पल में ही उसे धूमिल कर दिया .
चाहता तो मै भी हूँ बदलना ,पर डर हैं इस बेरहम दुनिया का,
पर तेरी चाहतो ने तोह उस डर को ही भगा दिया .
चाहता तो मैं भी हूँ अपनी सोच का बदलना ,
पर डर हैं लोगों के हँसने का,
पर तेरे हौसलों ने मुझे फिर से बुलंद कर दिया
bahut achhe
जवाब देंहटाएंdeepak sharma kuluvi