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*****फासले तो प्यार की यादें भुला देते हैं******----गज़ल

फासले तो प्यार की यादें भुला देते हैं
लोग भी तो प्यार की क्या कम सजा देते हैं

प्यार गर कोई करे तो फ़िर खुदा से ही हो
फ़िर नहीं कोई कहाँ हस्ती मिटा देते हैं

ठोकरें खायी न हो जिसने कभी भी तो गर
वक्त के हालात उसको तो सिखा देतें हैं

जब भलाई और दरिया दिल चले होकर हम
लोग ऐसे कौन किसको कब  सिला देते हैं

जो मगर हमने किया  वो तो फरज है समझा
काम हमसे वो खुदा ही तो  करा देते हैं      !!

4 comments:

  1. जो मगर हमने किया वो तो फरज है समझा
    काम हमसे वो खुदा ही तो करा देते हैं !!
    वाह वाह , खुबसूरत शेर दाद को मुहताज नहीं , बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  2. सुनील जी,
    खूबसूरत दाद के लिए दिली शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  3. टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार विक्षिप्त जी !

    जवाब देंहटाएं

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