भजन से पहले
कर्म कुछ ऐसे थे अपनें
न मौत आयी न चैन आया
न हमको घर ही मिला दाता
तेरा दर भी था ठुकराया
तू मूरत है मुहब्बत की
तेरा कोई नहीं सानी
रहम दिल है बड़ा ही तू
सदा करता मेहरबानी
------
तू कर इतना रहम हमपे
तेरे दर से न जाएँ हम
रोटी मिले मिले न मिले
तेरा प्रसाद खाएं हम
---
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
18 /02 /12 .
dahanyabad nisha ji for your valuable comments
जवाब देंहटाएं'kulluvi'