विश्व में बोली जाने वाली अनेक भाषाओं में इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की बात की जाये तो एक ही शब्द जेहन में आता है और वह है ब्लॉग। इस शब्द को 1999 में पीटर मरहेल्ज नाम के शख्स ने ईजाद किया था। सबसे पहले जोर्न बर्जर ने 17 दिसंबर 1997 में वेबलॉग शब्द का इस्तेमाल किया था। इसी को पीटर मरहेल्ज ने मजाक-मजाक में मई 1999 को अपने ब्लॉग पीटरमी डॉट कॉम की साइड बार में ‘वी ब्लॉग’ कर दिया। बाद में ‘वी’ को भी हटा दिया और 1999 में ‘ब्लॉग’ शब्द आया। हिंदी ब्लोगिंग की शुरुआत 02 मार्च 2003 को हुई थी और हिंदी का पहला अधिकृत ब्लॉग होने का सौभाग्य प्राप्त है नौ दो ग्यारह को ।
हिंदी ब्लोगिंग के शैशव काल ( वर्ष -2003 से 2007 के मध्य ) के दौरान जगदीश भाटिया,मसिजीवी, आभा, , बोधिसत्व, अविनाश दास, अनुनाद सिंह, शशि सिंह,गौरव सोलंकी, पूर्णिमा वर्मन,अफ़लातून देसाई, अर्जुन स्वरूप, अतुल अरोरा, अशोक कुमार पाण्डेय ,अतानु दे, अविजित मुकुल किशोर,बिज़ स्टोन, चंद्रचूदन गोपालाकृष्णन, चारुकेसी रामदुरई, हुसैन , दिलीप डिसूजा, दीनामेहता ,डॉ जगदीश व्योम , ई-स्वामी, जीतेंद्र चौधरी,मार्क ग्लेसर, नितिन पई, पंकज नरूला,प्रत्यक्षा सिन्हा,रमण कौल,रविशंकर श्रीवास्तव, शशि सिंह,विनय जैन, वरुण अग्रवाल, सृजन शिल्पी, सुनील दीपक, नीरज दीवान,श्रीश शर्मा, जय प्रकाश मानस, अनूप भार्गव, शास्त्री जे सी फिलिप , हरिराम, आलोक पुराणिक,समीर लाल समीर,,ज्ञान दत्त पाण्डेय , रबिश कुमार, अभय तिवारी, नीलिमा, अनाम दास, काकेश, मनीष कुमार,घुघूती बासूती ,उन्मुक्त जैसे उत्साही ब्लोगर हिंदी ब्लोगिंग की सेवा में सर्वाधिक सक्रिय रहे ।
हालाँकि हिंदी ब्लॉग जगत अपने जन्म से हीं सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करता आ रहा है, किन्तु वर्ष-2010 में हिंदी ब्लॉगिंग हर तरह से प्रगतिशीलता की ओर अग्रसर हुयी। संख्या और गुणवत्ता दोनों दृष्टिकोण से इस वर्ष एक नयी क्रान्ति की प्रस्तावना हुयी । हिंदी ब्लौग की संख्या 25000 के आंकड़ो को पार कर गयी, लेकिन वर्ष-2011 की ऐतिहासिकता का अपना एक अलग महत्व है। क्योंकि इस वर्ष उसके हलचलों की वैश्विक स्तर पर केवल चर्चा ही नहीं हुयी है वल्कि इस बात को भी स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया कि आम भारतीयों की स्थिति को हिंदी ब्लॉग जगत ने जितना वेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है उतना न तो हिंदी की इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने और न प्रिंट मीडिया ने ही प्रस्तुत किया इस वर्ष । यानी इस वर्ष हिंदी ब्लॉगिंग ने न्यू मीडिया के रूप में अपनी भूमिका का पूरा निर्वाह किया है ।
इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से बहुतेरे नए और अच्छे ब्लॉग का आगमन हुआ है ।चिट्ठाजगत के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष की प्रथम तिमाही में लगभग सबा छ: हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अबतरित हुए हैं, दूसरी तिमाही में पांच हजार आठ सौ । इसके बाद चिट्ठाजगत ने आंकड़े देने बंद कर दिए । मैंने परिकल्पना की ओर से ब्लॉग सर्वे किया था और कुल मिलाकर जिस निष्कर्ष पर पहुंचा उसके हिसाब से इस वर्ष 20 हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अवतरित हुए हैं , जिसमें से लगभग एक हजार के आसपास पूर्णत: सक्रिय है । इस वर्ष के आंकड़ों को पूर्व के आंकड़ों में मिला दिया जाए तो लगभग 50 हजार ब्लॉग हिंदी के हैं, किन्तु सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी अभी भी काफी पीछे है क्योंकि हिंदी में सक्रिय ब्लॉग की संख्या अभी भी पांच हजार से ज्यादा नहीं है । वहीँ भारत की विभिन्न भाषाओं को मिला दिया जाये तो अंतरजाल पर यह संख्या पांच लाख के आसपास है । तमिल, तेलगू और मराठी में हिंदी से ज्यादा सक्रिय ब्लॉग है ।
वर्ष-2011 की शुरुआत एक ऐसी संगोष्ठी से हुयी,जहां पहले प्रयोग के तहत वेबकास्टिंग से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पूरे विश्व में हुआ । प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड के खटीमा कसबे में यह आयोजन हुआ ११ जनवरी को, जिसमें उपस्थित हुए देश भर के ब्लॉगर। 22 जनवरी को आदर्श नगर दिल्ली में आयोजित ब्लॉगर संगोष्ठी में अविनाश वाचस्पति ने तो यहाँ तक कह दिया कि"हिन्दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए । 4 फरवरी को हिंदी चिट्ठाकारी के प्रखर स्तंभ श्री समीर लाल समीर (ब्लॉग :उड़न तश्तरी )के सम्मान में दिल्ली स्थित कनाट प्लेस वुमेन्स प्रेस क्लब में एक ब्लोगर मिलन का आयोजन हुआ। नज़ाकत, नफ़ासत और तमद्दुन का शहर लखनऊ में 7 फरवरी की शाम मीडिया और ब्लॉग जगत के नाम रही । अवसर था हिंदी के चर्चित ब्लॉगर डा. सुभाष राय के संपादन में प्रकाशित हिंदी दैनिक "जन सन्देश टाईम्स " के लोकार्पण का ।
8-9-10 फरवरी को यमुना नगर (हरियाणा) में प्रवासी सम्मलेन हुआ जिसमें सुप्रसिद्ध कथाकारएवं हंस पत्रिका के संपादक राजेंद्र यादव ने कहा कि निर्वासित होने का दर्द हम सबके भीतर बना रहता है। 25-26 फरवरी को कविता समय आयोजन में पहला कविता समय सम्मान हिंदी के वरिष्ठतम कवियों में एक चंद्रकांत देवताले को और पहला कविता समय युवा सम्मानयुवा कवि कुमार अनुपम को दिया गया । 05 मार्च 2011 को नई दिल्ली में हिन्द-युग्म वर्ष 2010 का वार्षिकोत्सव मनाया गया । 30 अप्रैल 2011 को दिल्ली के हिंदी भवनमें परिकल्पना ने हिंदी साहित्य निकेतन और नुक्कड़ के सहयोग से एक भव्य आयोजन किया । इस अवसर पर देश और विदेश में रहने वाले लगभग 400 ब्लॉगरों की उपस्थिति रही, जिसमें परिकल्पना समूह के तत्वावधान में इतिहास में पहली बार आयोजित ब्लॉगोत्सव 2010 के अंतर्गत चयनित 51 ब्लॉगरों का सारस्वत सम्मान किया गया । इसी क्रम में इसी मंच से नुक्कड़ के द्वारा भी 13 विषय विशेषज्ञ ब्लॉगरों का सम्मान किया गया । इस अवसर पर दो नई प्रकाशित पुस्तकों क्रमश: हिंदी ब्लॉगिंग:अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति और उपन्यास ताकि बचा रहे लोकतंत्र का विमोचन, परिचर्चाएँ एवं सांस्कृतिक संध्या आदि कार्यक्रम भी विशेष आकर्षण में रहे । पूरे कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण इंटरनेट के माध्यम से समूचे विश्व में किया गया ।
ललित शर्मा और डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में 04 मई 2011 को आयोजित की गयी थी ....जिसका विषय "हिंदी भाषा भाषा न्यू मिडिया : संभावनाएं और चुनौतियां" था । यह संभवतः हिंदी ब्लॉगिंग , भाषा और न्यू मीडिया को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाली पहली संगोष्ठी थी। इस वर्ष कविता कोष सम्मान की भी उद्घोषणा हुई,प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह 07 अगस्त 2011 को जयपुर में जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में संपन्न हुआ। इसमें दो वरिष्ठ कवियों (बल्ली सिंह चीमा और नरेश सक्सेना) एवं पाँच युवा कवियों (दुष्यन्त, अवनीश सिंह चौहान, श्रद्धा जैन, पूनम तुषामड़ और सिराज फ़ैसल ख़ान) को सम्मानित किया गया। 11 सितंबर को भारतीय जन नाट्य संघ की उत्तर प्रदेश इकाई और लोकसंघर्ष पत्रिका के तत्वावधान में लखनऊ के कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में सहारा इंडिया परिवार के अधिशासी निदेशक श्री डी. के. श्रीवास्तव के कर कमलों द्वारा मेरी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास “ का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक श्री मुद्रा राक्षस, दैनिक जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक डा. सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार श्री विरेन्द्र यादव, श्री शकील सिद्दीकी, रंगकर्मी राकेश जी,पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी, साहित्यकार डा. गिरिराज शरण अग्रवाल आदि उपस्थित थे ।
वर्ष 2011 के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' 14 नवम्बर 2011 को विज्ञानं भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ द्वारा अक्षिता (पाखी) को कला और ब्लागिंग के क्षेत्र में उसकी विलक्षण उपलब्धि के लिए पुरस्कार दिया गया है । 9-10 दिसंबर को यू. जी. सी. संपोषित ब्लॉगिंग पर पहली संगोष्ठी कल्याण में हुई । इस संगोष्ठी का 'वेब कास्टिंग' के माध्यम से पूरी दुनिया में जीवंत प्रसारण (लाईव वेबकास्ट) हुआ । पहली बार देश से बाहर वर्ष के आखिर में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किसी अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन में हिन्दी के चार ब्लॉगर एकसाथ सम्मानित हुए, जिसमें रवीन्द्र प्रभात , नुक्कड़ ब्लॉग की मॉडरेटर गीता श्री,कथा लेखिका अलका सैनी (चंडीगढ़)और उडिया भाषा के अनुवादक ब्लॉगर दिनेश कुमार माली प्रमुख थे ।
वहुचर्चित चिकित्सक डॉ टी एस दराल का ब्लॉग है अंतर्मंथन जो वर्ष-2009 से लगातार विशिष्टता के साथ सक्रिय है और विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी पोस्ट का शतक लगाने में सफल रहे हैं । यह ब्लॉग एक प्रकार से संवेदनाओं का गुलदस्ता है, जहां सामाजिक-संस्कृति और परिवेशगत परिस्थितियाँ करवट लेती रहती है कभी विमर्श तो कभी अभियान के रूप में । वर्ष-2011 में यह ब्लॉग काफी मुखर रहा।ब्लॉग जगत में ब्लॉग की ख़बरें देने के लिए पहली बार डा. अनवर ज़माल खान के द्वारा ब्लाग समाचार पत्र की तर्ज़ पर मार्च-2011 में ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ नामक ब्लौग लाया गया, उसके बाद ‘भारतीय ब्लॉग समाचार‘ बना और फिर इसी लीक पर एक दो और भी चल रहे हैं।
जहाँ पिछले एक दशक में हिन्दी के खिचड़ी स्वरूप के दीवाने बढ़े हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो हिन्दी को उसके तत्सम प्रधान रूप में देखने के पक्षधर हैं। वे लोग हिन्दी के ‘शुद्ध साहित्यिक’स्वरूप को लेखन के दौरान प्रयोग में लाते हैं, वरन अपने चिंतन, वाचन और सम्प्रेषण के लिए भी सहज रूप में इसका प्रयोग करते हैं। विगत कई वर्षों से सक्रीय हिमांशु कुमार पाण्डेय ने इस वर्ष भी अपने ब्लॉग ‘सच्चा शरणम’ में तत्सम प्रधान शब्दावली में विमर्श करते नज़र आए । आकाँक्षा यादव भी इसी श्रेणी की एक प्रतिभा संपन्न रचनाकार हैं। उनके वैचारिक और साहित्यिक चिंतन को इस वर्ष भी प्रतिष्ठापित करता रहा उनका ब्लॉ्ग ‘शब्द-शिखर’ । ईश्वरवादियों के रचाए मायाजाल से अलग वैचारिक मंथन के साथ नास्तिकता का दर्शन को महत्व देने बाले हिंदी के एकलौते ब्लॉग ‘नास्तिकों का ब्लॉग’ पर इस वर्ष विचारों की दृढ़ता स्पष्ट दृष्टिगोचर हुई है।इस ब्लॉग पर इस वर्ष भी तर्क-वितर्क,वाद-विवाद का दौर खूब चला ।
नारी शक्ति के अभ्युयदय में जहाँ एक ओर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में आगे आ रही प्रतिभासम्पन्न महिलाओं द्वारा तय किये गये मील के पत्थरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी ओर अनेक विचारशील महिलाओं ने अपने विरूद्ध रचे जाने वाले षडयंत्रों के खुलासे करके भी महिला शक्ति के विकास में भरपूर योगदान दिया है। लखनऊ निवासी प्रतिभा कटियार एक ऐसी ही विचारशील ब्लॉगर हैं, जिनके विचारों की अनुगूँज उनके ब्लॉग ‘प्रतिभा की दुनिया’ में केवल इस वर्ष ही नहीं देखि गयी,अपितु विगत तीन-चार वर्षों से देखी जा रही है । पर्दे के पीछे से छिपकर लेखन के क्षेत्र में उन्मुक्त उड़ान भरने वालों में अग्रणी ब्लॉगर उन्मुक्त पर इस वर्ष भी बेशुमार उपयोगी सामग्री प्रकाशित हुई है । ब्लॉग जगत में ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जिन्होंने उचित माहौल पाकर स्वयं को आम आदमी से अलग साबित किया है और अपनी रचनात्मक क्षमताओं का लोहा दुनिया वालों से मनवाया है। अल्पना वर्मा एक ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा सम्पान्न ब्लॉगर हैं। उनके चर्चित ब्लॉग का नाम है ‘व्योम के पार’ , जिसपर उनकी प्रतिभा को इस वर्ष भी देखा और परखा गया । नारी शक्ति की प्रतीक एक और शख्शियत का नाम है शिखा वार्ष्णेय जिन्होंने अपने ब्लॉग ‘स्पंदन’ के द्वारा विचारशील लोगों के मन के तारों को झंकृत करने के लिए इसवर्ष भी प्रयासरत नजर आई।समय की नब्ज समझने वाले ब्लॉगरों में इस वर्ष भी अग्रणी दिखे कोटा, राजस्थान निवासी दिनेश राय द्विवेदी अपने ब्लॉग ‘अनवरत’ के माध्यम से ।
अपनी माटी, अपने सम्बंधियों से दूर जाने के बाद व्यक्ति जब अजनबीपन और अकेलापन महसूस करता है, तो नतीजतन उसके अवचेतन में बसी हुई स्मृतियाँ चाहे-अनचाहे लेखन में जगह बनाने लगती हैं। ऐसी ही मोहक स्मृतियों से सुसज्जित और माटी की गंध से लबरेज़ रतलाम म.प्र. में जन्में जबलपुर के मूल निवासी और कनाडाई भारतीय समीरलाल का ब्लॉग ‘उड़नतश्तरी’ विगत चार वर्षों से लगातार हिंदी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉग की सूची में अग्रणी रहा है ।इस वर्ष की बोर्ड का खटरागी यानी अविनाश वाचस्पति कुछ अलग मूड में दिखे । शाहनवाज़ सिद्दीकी के ब्लॉग ‘प्रेमरस’ ने भी इस वर्ष पाठकों को खूब आकर्षित किया । इस वर्ष जहां सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी अपने ब्लॉग सत्यार्थ मित्र पर अनेकानेक सार्थक पोस्ट डालने के वाबजूद अनियमित बने रहे,वहीँ भाषा विज्ञानी अजित वडनेरकर अपने ब्लॉग ‘शब्दों का सफर’ पर पुरानी उर्जा से लबरेज नहीं दिखे । हिन्दी के प्रमुख विज्ञान संचारक के रूप में इस वर्ष डॉ0 अरविंद मिश्र ज्यादा मुखर दिखे, उन्होंने ‘साइंस फिक्शन इन इंडिया’ तथा ‘साई ब्लॉग’ के माध्यम से लगातार विज्ञान कथा के प्रति पाठकों की जागरूकता को बनाए रखा । हिंदी के प्रखर पत्रकार के रूप में इस वर्ष फिरदौस खान कुछ ज्यादा मुखर दिखीं, उन्होंने मेरी डायरी’ के माध्यम से अपने सामाजिक सरोकार के प्रति ज्यदा प्रतिबद्ध दिखीं ।
शिक्षा से जुडी विषमताओं और विद्रूपताओं को ब्लॉग‘प्राइमरी का मास्टर’ के माध्यम से उजागर करते हुए क्रान्ति का शंखनाद करने वालों में विगत कई वर्षों से अग्रणी प्रवीण त्रिवेदी के तेवर इस वर्ष भी बरकरार रहे । हिंदी ब्लॉगिंग के पांचो शोधार्थियों क्रमश:केवल राम,अनिल अत्री,चिराग जैन,गायत्री शर्मा और रिया नागपाल की भी गाहे-बगाहे चर्चा होती रही वर्ष भर,जबकि वर्ष के मासांत में ब्लॉग बुलेटिन पर एक नया प्रयोग किया हिंदी ब्लॉगजगत की चर्चित कवियित्री रश्मि प्रभा ने । उन्हें काफी ब्लॉगर्स मिले और उन्होंने एक नया प्रयोग किया वर्ष के आखिरी महीने में अवलोकन-2011 के माध्यम से । उन्होंने अपनी कलम से नए-पुराने ब्लॉगरों की चुनिन्दा पोस्ट की व्याख्या की।साल 2011 ब्लॉग संसार के लिए एक नए अवसर और बेहतरी का पैगाम लेकर आया। ब्लॉगरों नें ब्लॉगिंग की दुनियां में नए मानदंड स्थापित किए और नए-नए प्रतिभावान ब्लॉगरों को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हिंदी ब्लॉगिंग और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के उद्देश्य से पहली बार इस वर्ष- 2011 के अप्रैल माह से रश्मि प्रभा के संपादन में वटवृक्ष(त्रैमासिक ब्लॉग पत्रिका ) का प्रकाशन शुरू हुआ। सुरेश चिपलूनकर ने इस वर्ष ब्लॉगिंग की चौथी सालगिरह मनाई, रचना ने पांचवीं, वहीँ चिट्ठा चर्चा ने सातवीं। वर्ष 2010 में अवतरित हुए ब्लॉग4वार्ता ने इस वर्ष की समाप्ति से कुछ दिन पूर्व १ लाख हिट्स के जादुई आंकड़े को पार कर गया ।सभी चिट्ठा चर्चाओं में वार्ता की रैंकिग इस वर्ष सबसे अच्छी रही । यह वार्ता की निरंतरता का परिणाम है।
हरबार की तरह इस वर्ष भी मनीष कुमार की वार्षिक संगीतमाला अपनी उल्टी गिनती के साथ शुरू हुई । फिल्म-संगीत पसंद करने वाले ब्लॉगरों के लिये हर वर्ष की शुरूआत में ये एक खास आकर्षण रहता है । वहीँ शरद कोकास की कविता सितारों का मोहताज होना अब जरूरी नहीं को इस वर्ष अत्यधिक सराहना मिली ।आनंद वर्धन ओझा गणतंत्र दिवस में ट्रैफिक लाइट पर दो रूपये का तिरंगा बेचती लड़की को देखकर कुछ दम तोड़ते से विचारों को प्रस्तुत करके सोचने पर विवश कर दिया, वहीँ स्व. कन्हैयालाल नंदन जी के वर्षगांठ पर लखनऊ के पत्रकार-कथाकार दयानंद पाण्डेय ने नंदन जी जुड़ी अपनी यादों को विस्तार से लिखा।
वैसे तो इस वर्ष को साझा ब्लॉगिंग का वर्ष कहा जाए तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से कई सामूहिक ब्लॉग अस्तित्व में आए,जिसमें प्रमुख है हरीश सिंह के द्वारा संचालित भारतीय ब्लॉग लेखक मंच 11 फरवरी 2011 को अस्तित्व में आया, जो हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के साथ ब्लॉग लेखको में प्रेम, भाईचारा, आपसी सौहार्द, देश के प्रति समर्पण और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अस्तित्व में आया । दूसरा महत्वपूर्ण साझा ब्लॉग है प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ । मनोज पाण्डेय के द्वारा संचालित इस ब्लॉग से हिंदी के कई महत्वपूर्ण ब्लॉगर जुड़े हैं । उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी 2011 को ज्ञानरंजन जी के घर से लौटकर गिरीश बिल्लोरे मुकुल ने इस साझा ब्लॉग पर पहला पोस्ट डाला था. ज्ञान रंजन जी प्रगतिशील विचारधारा के अग्रणी संपादकों और सर्जकों में से एक हैं । उनसे और उनकी यादों इस साझा ब्लॉग का शुभारंभ होना अपने आप में गर्व की बात है । तीसरा साझा ब्लॉग है डा. अनवर जमाल खान के द्वारा संचालित हिंदी ब्लॉगर्स फोरम इंटरनेशनल ,जबकि लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन पर लेखकों की संख्या ज्यादा हो जाने से इस वर्ष वन्दना गुप्ता की अध्यक्षता में एक नया साझा ब्लॉग अवतरित हुआ जिसका नाम है ऑल इण्डिया ब्लॉगर्स असोसिएशन । सबकी चर्चा करना तो संभव नहीं,किन्तु विशेष रूप से दो और साझा ब्लॉग के बारे में बताता चलूँ पहला 28 फरवरी को शुरू रश्मि प्रभा के संचालन में शुरू परिचर्चा और उसके बाद सत्यम शिवम् के द्वारा संचालित साहित्य प्रेमी संघ और 13 अप्रैल को डा. रूप चंद शास्त्री मयंक की अध्यक्षता में आया मुशायरा विषय प्रधान होने के कारण अपने आप में उल्लेखनीय है ।
15 जून 2011 को माँ सरस्वती प्रसाद की साहित्य साधना की चर्चा से रश्मि प्रभा ने एक अनोखे ब्लॉग की शुरुआत की नाम दिया शख्स: मेरी कलम से। कुछ नया करने और आप तक ब्लॉगजगत की पोस्टों की , टिप्पणियों की , बहस और विमर्शों की सूचना और खबरें पहुँचाने के उद्देश्य से 13 नवंबर 2011 को एक प्रयोग के रूप में अजय कुमार झा , शिवम् मिश्रा , सुमित प्रताप सिंह, रश्मि प्रभा..., देव कुमार झा, बी. एस. पावला, अंजू चौधरी, मनोज कुमार , महफूज़ अली , योगेन्द्र पाल आदि के संयुक्त प्रयास से ब्लॉग बुलेटिन शुरू किया गया । हिंदी में अपने आप का यह पहला और अनोखा प्रयोग है । इस वर्ष 16 दिसंबर को एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग का अवतरण हुआ, जो ब्लॉगर के नाम पर ही है यानी सुमित प्रताप सिंह । यह ब्लॉग अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए है कि इस ब्लॉग पर हर दुसरे दिन हिंदी जगत के एक महत्वपूर्ण ब्लॉगर का व्यंग्यपरक साक्षात्कार प्रस्तुत किया जाता है । सदैव से ही विज्ञान इस विषय को नकारता रहा है, मगर हिंदी ब्लॉग जगत में गत्यात्मक ज्योतिष की अवधारणा रखने वाली महिला ब्लॉगर धन्वाद निवासी संगीता पुरी ने ज्योतिष में अंधविश्वास के खिलाफ इस वर्ष भी अपनी आवाज़ बुलंद रखा।
डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से इसी वर्ष 'आधुनिक बाल कहानियों का विवेचनात्मक अध्ययन' विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि हासिल करने वाले श्री जाकिर अली रजनीश ने दैनिक 'जनसंदेश टाइम्स' में 'ब्लॉगवाणी' कॉलम के द्वारा ब्लॉगरों को नई पहचान दी है।
साहित्य का भूगोल बहुत विशाल है। इसे न तो किसी सीमा में बाँधना उचित कहा जाएगा और न ही कालखंड में समेटना, फिर भी बीते एक साल में ब्लॉग पर हिंदी साहित्य ने कहाँ तक अपनी विकास यात्रा तय की है, कमोबेश उस पर दृष्टिपात तो किया ही जा सकता है। इसी कड़ी में विशुद्ध साहित्यिक सन्दर्भों को सहेजने में पूरे वर्ष मशगूल रहा प्रभात रंजन का ब्लॉग जानकी पुल। हिंदी ब्लॉगिंग में साहित्य को प्रतिष्ठापित करने की दिशा में क्रान्ति का प्रतीक रहा ब्लॉग हिंद युग्म । रचनाकार, साहित्य शिल्पी और विचार मीमांशा ने अपनी स्तरीयता को बनाए रखा इस वर्ष । नारी का कविता ब्लॉग, नारी ,हिंदी साहित्य मंच,हिंदी साहित्य, साहित्य,साहित्य वैभव ,मोहल्ला लाईव, साखी,वटवृक्ष, सृजन (सुरेश यादव ), वाटिका,मंथन, शब्द सभागार, राजभाषा, लोकसंघर्ष पत्रिका, राजभाषा हिंदी ,गवाक्ष, काव्य कल्पना, परिकल्पना ब्लॉगोत्सव , साहित्यांजलि, कुछ मेरी कलम से,चोखेर वाली, नवोत्पल ,युवा मन , सुबीर संवाद सेवा, अपनी हिंदी , हथकढ , हिंदी कुञ्ज , पढ़ते पढ़ते ,तनहा फलक, आवाज़ , नयी बात, कारवां , सोचालय, पुरवाई ,एक शाम मेरे नाम ,साहित्य सेतु , कबीरा खडा बाज़ार में आदि पूरी निर्भीकता के साथ साहित्य की खुशबू बिखेरते रहे वर्ष भर । वहीँ एक और ई पत्रिका हमारी वाणी इस वर्ष अस्तित्व में आई और काल कलवित भी हो गयी ।
अशोक कुमार पाण्डेय का व्यक्तिगत ब्लॉग "असुविधा" और सामूहिक ब्लॉग "कबाडखाना" इस वर्ष विगत वर्षों की तुलना में ज्यादा प्रखर दिखा। विनीत कुमार ने भी इस वर्ष ब्लॉगिंग में चार वर्ष का सफ़र पूरा कर लिया,वहीँ अफलातून ने पांच वर्ष पूरे किये । सिद्धेश्वर ने अपने ब्लॉग कर्मनाशा पर शब्दों की जादूगरी से मानव जीवन से जुड़े विविध विषयों को मन के परिप्रेक्ष्य में दिखाने का महत्वपूर्ण कार्य किया इस वर्ष, वहीँ मनोज पटेल विश्व भर के कवियों का बहुत बढ़िया अनुवाद करते रहे ब्लॉग "पढ़ते पढ़ते" पर। अपनी माटी पर जिस तरह की सामग्री प्रस्तुत किये हैं मानिक, वह प्रशंसनीय है । कथा चक्र पर अखिलेश लगातार पत्र पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन की सूचना देते रहे । छत्तीसगढ़ के रायपुर से प्रकाशित होने वाली चर्चित त्रैमासिक पत्रिका”सद्भावना दर्पण” मार्च-2011 से मासिक हो गयी ।
इस वर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं और लघु पत्रिकाओं ने भी अपनी छाप छोड़ी हैं। तद्भव, कथादेश, हंस, वागर्थ, वर्तमान साहित्य आदि ने अपने अलग-अलग अंकों में ऐसी सामग्री प्रकाशित की है जो कहीं न कहीं साहित्यकारों और पाठकों को मथती रही है। इनमें से तद्भव, हंस और वर्तमान साहित्य ने अपनी उपस्थिति विश्वजाल पर भी दर्ज की, जो हिंदी साहित्य को विश्वव्यापी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वर्ष हिंदी ब्लॉगिंग और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के उद्देश्य से पहली बार अप्रैल माह से रश्मि प्रभा के संपादन में वटवृक्ष (त्रैमासिक ब्लॉग पत्रिका ) का प्रकाशन शुरू हुआ। ब्लॉग पर साहित्य को समृद्ध करने की दिशा में इस वर्ष ज्यादा मुखर दिखे दो नाम कोलकाता के मनोज कुमार और पुणे की रश्मि प्रभा ।
मनोज कुमार ने जहां मनोज,राजभाषा हिंदी आदि ब्लॉगों पर करण समस्तीपुरी,हरीश प्रकाश गुप्त आदि मित्रों के सहयोग से पूरे वर्ष दुर्लभ साहित्य को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य किया,वहीँ रश्मि प्रभा ने मेरी भावनाएं,वटवृक्ष आदि ब्लॉगों के माध्यम से नयी-नयी साहित्यिक प्रतिभाओं को मुख्यधारा में लाने महत्वपूर्ण कार्य किया । साहित्यको ब्लॉगिंग से जोड़ने वाली त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष का वह इस वर्ष से संपादन भी कर रही हैं । ब्लॉग पर हिंदी को समृद्ध करने वालों में एक नाम डॉ0 कविता वाचक्नवी का है जिन्होंने हिंदी भारत के माध्यम से हिंदी को समृद्ध करने की समर्पित सेवा कर रही हैं । 27 फरवरी 2011 को अवनीश सिंह के द्वारा संचालित प्रेमचंद के पाठकों को समर्पित एक ब्लॉग आया । इनके और भी कई ब्लॉग है जैसे विमर्श, अनकही बातें आदि । साहित्य की बात हो और मुहल्ला लाईव की चर्चा न हो तो सबकुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है । वर्ष-2011 में इस ब्लॉग पर साहित्यिक गतिविधियों से संवंधित अनेकानेक रिपोर्ताज और अन्य सामग्रियां प्रकाशित हुई । अविनाश दास ने इस ब्लॉग की शुरुआत वर्ष-2006 में ब्लॉग स्पॉट पर की थी, जिसे बाद में उन्होंने इसे सामूहिक ब्लॉग में परिवर्तित कर दिया ।
एक ऐसा ब्लॉगर जिसने ब्लॉग पर वर्ष-2009 - 2010 में सर्वाधिक पोस्ट लिखने की उपलब्धि हासिल की,किन्तु वर्ष-2011 में ये पिछड़ गए और यह श्रेय गया डा. राजेन्द्र तेला निरंतर के हिस्से। डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" ने इस वर्ष अपने व्यक्तिगत ब्लॉग निरंतर की कलम से पर एक वर्ष में सर्वाधिक पोस्ट (1669 )लिखने का कीर्तिमान बनाया है ।उल्लेखनीय है कि हिंदी ब्लॉगिंग को साहित्य के सन्निकट लाने वालों में एक महत्वपूर्ण नाम है डा. रूप चंद शास्त्री मयंक का, जिन्होनें 21 जनवरी, 2009 को हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया में अपना कदम बढ़ाया था। उस समय उन्होंने अपना ब्लॉग “उच्चारण” के नाम से बनाया था, जिस पर अबतक 2000 से ज्यादा रचनाएँ पोस्ट की जा चुकी है और इस ब्लॉग के लगभग 400 से ज्यादा समर्थक हैं।
विशुद्ध साहित्यिक रचनाओं के सरोवर में गहरे उतरने को विवश करता एक ब्लॉग है कर्मनाशा । पूरे वर्ष सिद्धेश्वर ने कुछ अच्छी कविताओं के हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किए। इसके अलावा सतीश सक्सेना (मेरे गीत),राज भाटिया (पराया देश, छोटी छोटी बातें), इंदु पुरी (उद्धवजी), अंजु चौधरी (अपनों का साथ), वंदना गुप्ता (जख्म…जो फूलों ने दिये, एक प्रयास), महफूज अली (लेखनी…, Glimpse of Soul), यौगेन्द्र मौदगिल (हरियाणा एक्सप्रैस), अलबेला खत्री (हास्य व्यंग्य, भजन वन्दन, मुक्तक दोहे), संजय अनेजा (मो सम कौन कुटिल खल…?), राजीव तनेजा (हँसते रहो, जरा हट के-लाफ्टर के फटके), जाट देवता (संदीप पवाँर) (जाट देवता का सफर), संजय भास्कर (आदत…मुस्कुराने की), कौशल मिश्रा (जय बाबा बनारस), दीपक डुडेजा (दीपक बाबा की बक बक, मेरी नजर से…), आशुतोष तिवारी (आशुतोष की कलम से), मुकेश कुमार सिन्हा (मेरी कविताओं का संग्रह, जिन्दगी की राहें), पद्मसिंह (पद्मावली), सुशील गुप्ता (मेरे विचार मेरे ख्याल), राकेश कुमार (मनसा वाचा कर्मणा), सर्जना शर्मा (रसबतिया), शाहनवाज़ (प्रेम रस), अजय कुमार झा (झा जी कहिन),कनिष्क कश्यप (ब्लॉग प्रहरी), केवल राम (चलते-चलते, धर्म और दर्शन), ताऊ रामपुरिया (ताऊ डोट इन) और राहुल सिंह ( सिंहावलोकन ) ने भी इस वर्ष कतिपय साहित्यिक रचनाओं से पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है । इसके अलावा सुबीर संवाद सेवा ,कवि कुमार अम्बुज, अपर्णा मनोज, मृत्युबोध, नई बात ,मेरी लेखनी मेरे विचार , अजित गुप्ता का कोना, मन का पाखी, कलम,अंदाज़े मेरा , मो सम कौन कुटिल खल, काव्यांजलि, फुहार आदि पर भी उत्कृष्ट साहित्यिक सामग्री प्रस्तुत की गई है इस वर्ष।
एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग का जिक्र करना चाहूंगा। ब्लॉग पर ब्लॉगरों का परिचय देने के उद्देश्य से राजीव कुलश्रेष्ठ ने वर्ष-2010 में " ब्लॉग वर्ल्ड.कॉम " ब्लॉग की शुरुआत की,किन्तु इस वर्ष यह ब्लॉग कुछ ज्यादा मुखर रहा । इसपर वे लगभग 100 से अधिक ब्लॉगर्स का परिचय पोस्ट के रूप में प्रकशित कर चुके हैं। भारतीय सिनेमा इस समय संसार का, फिल्मों की संख्या के मान से, सबसे बड़ा सिनेमा है। लेकिन सिनेमा पर आधारित ब्लॉग की दृष्टि से हम अभी भी काफी दरिद्र हैं । इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि वर्ष-2011 में एक मात्र प्रयोगधर्मी अभिनेता मनोज बाजपेयी ने अपने ब्लॉग के जरिए अनुभवों को बाँटते नज़र आये । अपने व्यस्त दिनचर्या के वाबजूद इन्होनें अपने ब्लॉग पर इस वर्ष 9 संस्मरणात्मक पोस्ट प्रकाशित किये हैं । वहीँ अजय ब्रह्मात्मज के चवन्नी चैप पर इस वर्ष फिल्म से संवंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयी । यह ब्लॉग सिनेमा पर आधारित ब्लॉग की श्रेणी में सर्वाधिक सक्रिय रहा इस वर्ष । इस ब्लॉग पर इस वर्ष 200 से ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हुए ।
फिल्म की समीक्षा के क्षेत्र में इधर रश्मि रविजा का नाम तेजी से लोकप्रिय हुआ है ।रश्मि रविजा, वरिष्ठ साहित्यकार और वेब पत्रकार हैं और इनकी गतिविधियाँ इनके स्वयं के ब्लॉग के अलावा विभिन्न महत्वपूर्ण वेब पत्रिकाओं पर भी देखी जा सकती है ।सिनेमा पर आधारित सक्रिय ब्लॉग हालांकि हिंदी में बहुत कम दिखते हैं। प्रमोद सिंह के ब्लॉग सिनेमा सिलेमा पर पूरे वर्ष मात्र एक दर्जन पोस्ट पढ़ने को मिले हैं वहीं दिनेश श्रीनेत ने इंडियन बाइस्कोप पर इस वर्ष केवल छ: पोस्ट प्रकाशित किये,जो निजी कोनों से और भावपूर्ण अंदाज में सिनेमा को देखने की एक कोशिश मात्र कही जा सकती है ।वहीँ अंकुर जैन का ब्लॉग साला सब फ़िल्मी है पर 17 पोस्ट प्रकाशित हुए इस वर्ष ।महेन के चित्रपट ब्लॉग तथा राजेश त्रिपाठी का सिनेमा जगत ब्लॉग पर इस वर्ष पूरी तरह खामोशी छायी रही । हालांकि 15 जून 2011 को खुले पन्ने ब्लॉग पर प्रकाशित क्या है हिंदी सिनेमा का यथार्थवाद काफी पसंद किया गया ।
जहां तक कानून के क्षेत्र में हिन्दी के ब्लॉग का आंकलन किया जाए तो सर्वथा अकाल की स्थिति है। इस क्षेत्र में अकेला अनोखा ब्लॉग है तीसरा खंबा, जो राजस्थान के कोटा निवासी प्रखर क़ानून विद दिनेश राय द्विवेदी का व्यक्तिगत ब्लॉग है और हिंदी जगत में काफी चर्चित भी । हांलाकि क़ानून की धाराओं-उप धाराओं की तथा विभिन्न महत्वपूर्ण केस की सुनवाई की जानकारी देने हेतु एक ब्लॉग और है अदालत, किन्तु यह अब वेब पत्रिका का स्वरुप ले चुका है ।
अपनी अनोखी और चुटीली टिप्पणियों के कारण खुशदीप सहगल का ब्लॉग देशनामा भी इस वर्ष काफी चर्चा में रहा । जगदीश्वर चतुर्वेदी ने वैसे कई महत्पूर्ण राजनीति-सामाजिक मुद्दों को उठाकर काफी सुर्खियाँ बटोरी हैं वहीँ मुद्दों को राष्ट्रीय विमर्श में परिवर्तित करने में इस बार फिर से सफल रहे रणधीर सिंह सुमन यानी लोकसंघर्ष।
वैसे विस्फोट डोट कॉम पर भी सिनेमा पर आधारित कुछ वेहतर सामग्री प्रकाशित हुई है इस वर्ष। इसीप्रकार जहाँ तक राजनीति को लेकर ब्लॉग का सवाल है तो वर्ष 2011 भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार की लगातार उधडती परतों के बाद ए. राजा जैसे मंत्रियों और कुछ कारपोरेट कंपनी के दिग्गज शाहिद बलवा, विनोद गोयेनका और संजय चंद्रा जैसे लोगो के तिहाड़ पहुँचने के साथ अन्ना के भ्रष्टाचार के विरोध और मजबूत लोकपाल के लिए हुए आन्दोलन और उसे मिले जनसमर्थन के लिए जाना जाएगा। भ्रष्टाचार के इन आरोपों ने उत्तराखंड से निशंक और कर्नाटक से येदुरप्पा को गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों जैसे संसद की सर्वोच्चता पर प्रश्न उठाने के लिए भी जाना जाएगा। महिला आरक्षण बिल इस वर्ष भी लटका रहा और वर्ष के अंत में राजनैतिक षड्यंत्र के बीच इसमे लोकपाल बिल का नाम भी जुड़ गया। ऐसा कहना है आशीष तिवारी का दखलंदाजी पर ।करीब 15 साल तक हिंदी के तमाम राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम करने करने के बाद अब दिल्ली में अपना बसेरा बनाने वाले महेंद्र श्रीवास्तव के ब्लॉग आधा सच का नाम मैं प्रमुखता के साथ लेना चाहूंगा, क्योंकि यह ब्लॉग 2011 में अस्तित्व में आया है और छ: दर्जन के आसपास पोस्ट प्रकाशित कर समसामयिक राजनीति और समाज की गहन पड़ताल करने की सफल कोशिश की है ।
वेब मीडिया को एक नया आयाम देने में जनोक्ति इस वर्ष काफी मुखर रहा,वहीँ अनियमितता के वाबजूद विचार मीमांशा भी औसत रूप से मुखर रहा ।अफलातून के ब्लॉग समाजवादी जनपरिषद और प्रमोदसिंह के अजदक तथा हाशिया का जिक्र किया जाना चाहिए। इन सभी ब्लॉग्स पर पोस्ट की संख्या ज्यादा तो नहीं देखि गयी इस वर्ष,किन्तु विमर्श के माध्यम से ये सभी इस वर्ष अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुए हैं । रविकांत प्रसाद का ब्लॉग बेवाक टिपण्णी पर इस वर्ष केवल तीन पोस्ट आये, वहीँ इस वर्ष नसीरुद्दीन के ढाई आखर पर सन्नाटा पसरा रहा ।जबकि उद्भावना पर सात पोस्ट और अनिल रघुराज के एक हिन्दुस्तानी की डायरी पर केवल एक पोस्ट आया इस वर्ष । भारतीय ब्लॉग लेखक संघ और महाराज सिंह परिहार के ब्लॉग विचार बिगुल पर भी इस वर्ष कुछ बेहतर राजनैतिक आलेख पढ़े गए । पुण्य प्रसून बाजपेयी ब्लॉग भी है और ब्लॉगर भी,जिसपर वर्ष-2011 में कूल 71 पोस्ट प्रकाशित हुए और सभी गंभीर राजनीतिक विमर्श से ओतप्रोत।
परिकल्पना ब्लॉग सर्वे के माध्यम से किए गए एक आंकलन के अनुसार हिंदी में राजनीति, सामाजिक मुद्दे, अध्यात्म, दर्शन, धर्म और संस्कृति से संवंधित ब्लॉग का औसत 22% है, वहीँ विज्ञान, अंतरिक्ष और इतिहास से संवंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% । यात्रा, जीवनशैली, स्वास्थ्य, गृह डिजाइन और चिकित्सा से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 14 % है वहीँ समूह ब्लॉग केवल 2% के आसपास । सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस हिंदी ब्लॉगिंग को न्यू मीडिया या कंपोजिट मीडिया कहा जा रहा है उसी से संवंधित ब्लॉग अर्थात न्यूज पोर्टल और प्रिंट मीडिया के ब्लॉग का औसत केवल 5% है । कुल हिंदी ब्लॉग का 5% ब्लॉगसामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से संवंधित है, जबकि हिंदी प्रचार प्रसार से संवंधित ब्लॉग का औसत 18% है । हास्य, व्यंग्य, पहेली और कार्टून से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 3% के आसपास है वहीँ शिक्षा से संवंधित ब्लॉग का प्रतिशत केवल 2% के आसपास ।
साहित्य के ब्लॉग का औसत भी बहुत संतोषप्रद नही दीखता, क्योंकि तमाम हिंदी प्रेमियों में साहित्यकारों की संख्या सर्वाधिक होने के वाबजूद औसत केवल14% के आसपास है । अन्य विषयों का आंकलन करने पर पाया गया कि पर्यावरण, वन्य जीवन, ग्लोबलवार्मिंग से संबंधित ब्लॉग के साथ-साथ वेब डिजाइन, ई– लर्निंग, पॉडकास्ट, रेडियो, वीडियो, खेल, खेल गतिविधि, खाद्य, पाक कला, टीवी, बॉलीवुड सिनेमा, मनोरंजन आदि से संबंधित ब्लॉग का औसत1% के आसपास है । बच्चों से संबंधित ब्लॉग का औसत जहां 2% है, वहीँ नारी सशक्तिकरण से संबंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% के आसपास। सबसे दयनीय स्थिति है बंगाली, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, सिंधी, उर्दू, संस्कृत, तमिल तथा अंग्रेजी से अनुवाद वाले ब्लॉग के साथ-साथ मानव संसाधन, वित्त, प्रबंधन, निवेश, शेयर बाजार, व्यापार, सरकार, विज्ञापन, कानून,खोज, इंटरनेट मार्केटिंग, वेब विश्लेषिकी,प्रौद्योगिकी, गैजेट्स, मोबाइल,संगीत, नृत्य,फैशन,उद्यम और आविष्कार से संबंधित ब्लॉग की , जिसकी औसत काफी नगण्य है ।
वर्ष-2011 में अधिकांश मुद्दों पर कोई न कोई पोस्ट देखने को अवश्य मिली है । साक्षात्कार से ले कर कृषि और विदेशी घटनाक्रमों से ले कर धर्म व महिलाएं– बहस के हरेक मुद्दे को हिंदी ब्लॉग पर इस वर्ष समेट लेने की कोशिश की गई लगती है। एक ब्लॉग है कस्बा, एन.डी.टी.वी. के रबीश कुमार अर्थात एक पत्रकार का का ब्लॉग है मगर इसकी अधिकांश पोस्ट पढ़ कर लगता है कि किसी ऐसे 'साहित्यिक' व्यक्ति का ब्लॉग है जो अपने आप में डूब कर केवल काव्य रचना नहीं करता बल्कि समाज के प्रति बेहद संवेदनशीलता के साथ सोचता है, विचार रखता है| निश्चित रूप से हिंदी ब्लॉग जगत का अनमोल मोती है यह ब्लॉग। प्यार या चाहत के लिए अभीतक दिल को दोषी माना जाताथा, मगर अब हकीकत सामने आई कि ‘लव एड फर्स्ट साइट’ यानी चेहरा देखते ही प्यार हो जानेकी घटना मस्तिष्क काकिया धरा होता है, चोट बेचारे दिल पर होती है। इस वर्ष प्यार की गहन अनुभूतियों का वैज्ञानिक परिक्षण करता एक सार्थक पोस्ट लेकर आये डा. जाकिर अली रजनीश अपने ब्लॉग तस्लीम पर ध्वस्त हो गयी प्यार की परिभाषा शीर्षक से ।
ब्लॉगिंग को बुद्धिजीवियों के बीच नये वर्तमान परिवेश में अभिव्यक्ति के एक मंच के तौर पर देखा जा रहा है। यहाँ तक कि सभी गंभीर ब्लॉग लेखक ब्लॉगिंग को वैकल्पिक मीडिया के रूप में ही देखते हैं। ऐसी मान्यता है कि बदलती परिस्थितियों के कारण बदलते समाज की मिटती खूबसूरती को मिटने से बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया। यही कारण है कि सोशल मीडिया में हिंदी के बढ़ते तेवर और संभावनाओं पर गंभीर बहस होनी शुरू हो चुकी है। परिवर्तन की गति को तकनीक ने बेहद तेज कर दिया है और इससे भाषाई साहित्यिक अंतर्क्रियाएं बढ़ रही है। यहाँ तक की ताज़ा सामिजिक गतिविधियों और समसामयिक राजनैतिक परिदृश्यों पर इरफ़ान, काजल कुमार , कीर्तिश भट्ट आदि के कार्टून्स भी देखे जा सकते हैं ।
ब्लॉगिंग यानी वैकल्पिक मीडिया ने आम आदमी की संवेदनाओं और भावनाओं के सुख को फिर से जागृत किया है। हालांकि वैकल्पिक मीडिया के अस्तित्व में आने से मीडिया ने अपनी ताकत नहीं खोई है बल्कि , ब्लॉग,ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के कारण पुन: संजोई है और अब नया मीडिया और आम आदमी दोनों ही ताकतवर होते जा रहे हैं। जहां तक हिंदी का प्रश्न है तो आज़ादी से पहले जिन मूल्यों की तलाश में आम आदमी ने संघर्ष किया, वही मूल्य आज़ादी के बाद और अधिक विघटित हो गए हैं। ऐसे में आम आदमी के पास अपनी बात को कहने के लिए विकल्प नहीं रहा था परंतु अब आम आदमी के पास तकनीक आने से उसने अपने लिए विकल्पों की स्वयं ही खोज करनी शुरू कर दी है । फलत: ब्लॉगिंग उनके लिए अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम बन कर उभरा है । इसमें कोई संदेह नहीं कि तेज़ी से आम आदमी की अभिव्यक्ति बनने की ओर अग्रसर है ब्लॉगिंग।
हिंदी ब्लोगिंग के शैशव काल ( वर्ष -2003 से 2007 के मध्य ) के दौरान जगदीश भाटिया,मसिजीवी, आभा, , बोधिसत्व, अविनाश दास, अनुनाद सिंह, शशि सिंह,गौरव सोलंकी, पूर्णिमा वर्मन,अफ़लातून देसाई, अर्जुन स्वरूप, अतुल अरोरा, अशोक कुमार पाण्डेय ,अतानु दे, अविजित मुकुल किशोर,बिज़ स्टोन, चंद्रचूदन गोपालाकृष्णन, चारुकेसी रामदुरई, हुसैन , दिलीप डिसूजा, दीनामेहता ,डॉ जगदीश व्योम , ई-स्वामी, जीतेंद्र चौधरी,मार्क ग्लेसर, नितिन पई, पंकज नरूला,प्रत्यक्षा सिन्हा,रमण कौल,रविशंकर श्रीवास्तव, शशि सिंह,विनय जैन, वरुण अग्रवाल, सृजन शिल्पी, सुनील दीपक, नीरज दीवान,श्रीश शर्मा, जय प्रकाश मानस, अनूप भार्गव, शास्त्री जे सी फिलिप , हरिराम, आलोक पुराणिक,समीर लाल समीर,,ज्ञान दत्त पाण्डेय , रबिश कुमार, अभय तिवारी, नीलिमा, अनाम दास, काकेश, मनीष कुमार,घुघूती बासूती ,उन्मुक्त जैसे उत्साही ब्लोगर हिंदी ब्लोगिंग की सेवा में सर्वाधिक सक्रिय रहे ।
हालाँकि हिंदी ब्लॉग जगत अपने जन्म से हीं सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करता आ रहा है, किन्तु वर्ष-2010 में हिंदी ब्लॉगिंग हर तरह से प्रगतिशीलता की ओर अग्रसर हुयी। संख्या और गुणवत्ता दोनों दृष्टिकोण से इस वर्ष एक नयी क्रान्ति की प्रस्तावना हुयी । हिंदी ब्लौग की संख्या 25000 के आंकड़ो को पार कर गयी, लेकिन वर्ष-2011 की ऐतिहासिकता का अपना एक अलग महत्व है। क्योंकि इस वर्ष उसके हलचलों की वैश्विक स्तर पर केवल चर्चा ही नहीं हुयी है वल्कि इस बात को भी स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया कि आम भारतीयों की स्थिति को हिंदी ब्लॉग जगत ने जितना वेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है उतना न तो हिंदी की इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने और न प्रिंट मीडिया ने ही प्रस्तुत किया इस वर्ष । यानी इस वर्ष हिंदी ब्लॉगिंग ने न्यू मीडिया के रूप में अपनी भूमिका का पूरा निर्वाह किया है ।
इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से बहुतेरे नए और अच्छे ब्लॉग का आगमन हुआ है ।चिट्ठाजगत के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष की प्रथम तिमाही में लगभग सबा छ: हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अबतरित हुए हैं, दूसरी तिमाही में पांच हजार आठ सौ । इसके बाद चिट्ठाजगत ने आंकड़े देने बंद कर दिए । मैंने परिकल्पना की ओर से ब्लॉग सर्वे किया था और कुल मिलाकर जिस निष्कर्ष पर पहुंचा उसके हिसाब से इस वर्ष 20 हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अवतरित हुए हैं , जिसमें से लगभग एक हजार के आसपास पूर्णत: सक्रिय है । इस वर्ष के आंकड़ों को पूर्व के आंकड़ों में मिला दिया जाए तो लगभग 50 हजार ब्लॉग हिंदी के हैं, किन्तु सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी अभी भी काफी पीछे है क्योंकि हिंदी में सक्रिय ब्लॉग की संख्या अभी भी पांच हजार से ज्यादा नहीं है । वहीँ भारत की विभिन्न भाषाओं को मिला दिया जाये तो अंतरजाल पर यह संख्या पांच लाख के आसपास है । तमिल, तेलगू और मराठी में हिंदी से ज्यादा सक्रिय ब्लॉग है ।
वर्ष-2011 की शुरुआत एक ऐसी संगोष्ठी से हुयी,जहां पहले प्रयोग के तहत वेबकास्टिंग से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पूरे विश्व में हुआ । प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड के खटीमा कसबे में यह आयोजन हुआ ११ जनवरी को, जिसमें उपस्थित हुए देश भर के ब्लॉगर। 22 जनवरी को आदर्श नगर दिल्ली में आयोजित ब्लॉगर संगोष्ठी में अविनाश वाचस्पति ने तो यहाँ तक कह दिया कि"हिन्दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए । 4 फरवरी को हिंदी चिट्ठाकारी के प्रखर स्तंभ श्री समीर लाल समीर (ब्लॉग :उड़न तश्तरी )के सम्मान में दिल्ली स्थित कनाट प्लेस वुमेन्स प्रेस क्लब में एक ब्लोगर मिलन का आयोजन हुआ। नज़ाकत, नफ़ासत और तमद्दुन का शहर लखनऊ में 7 फरवरी की शाम मीडिया और ब्लॉग जगत के नाम रही । अवसर था हिंदी के चर्चित ब्लॉगर डा. सुभाष राय के संपादन में प्रकाशित हिंदी दैनिक "जन सन्देश टाईम्स " के लोकार्पण का ।
8-9-10 फरवरी को यमुना नगर (हरियाणा) में प्रवासी सम्मलेन हुआ जिसमें सुप्रसिद्ध कथाकारएवं हंस पत्रिका के संपादक राजेंद्र यादव ने कहा कि निर्वासित होने का दर्द हम सबके भीतर बना रहता है। 25-26 फरवरी को कविता समय आयोजन में पहला कविता समय सम्मान हिंदी के वरिष्ठतम कवियों में एक चंद्रकांत देवताले को और पहला कविता समय युवा सम्मानयुवा कवि कुमार अनुपम को दिया गया । 05 मार्च 2011 को नई दिल्ली में हिन्द-युग्म वर्ष 2010 का वार्षिकोत्सव मनाया गया । 30 अप्रैल 2011 को दिल्ली के हिंदी भवनमें परिकल्पना ने हिंदी साहित्य निकेतन और नुक्कड़ के सहयोग से एक भव्य आयोजन किया । इस अवसर पर देश और विदेश में रहने वाले लगभग 400 ब्लॉगरों की उपस्थिति रही, जिसमें परिकल्पना समूह के तत्वावधान में इतिहास में पहली बार आयोजित ब्लॉगोत्सव 2010 के अंतर्गत चयनित 51 ब्लॉगरों का सारस्वत सम्मान किया गया । इसी क्रम में इसी मंच से नुक्कड़ के द्वारा भी 13 विषय विशेषज्ञ ब्लॉगरों का सम्मान किया गया । इस अवसर पर दो नई प्रकाशित पुस्तकों क्रमश: हिंदी ब्लॉगिंग:अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति और उपन्यास ताकि बचा रहे लोकतंत्र का विमोचन, परिचर्चाएँ एवं सांस्कृतिक संध्या आदि कार्यक्रम भी विशेष आकर्षण में रहे । पूरे कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण इंटरनेट के माध्यम से समूचे विश्व में किया गया ।
ललित शर्मा और डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में 04 मई 2011 को आयोजित की गयी थी ....जिसका विषय "हिंदी भाषा भाषा न्यू मिडिया : संभावनाएं और चुनौतियां" था । यह संभवतः हिंदी ब्लॉगिंग , भाषा और न्यू मीडिया को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाली पहली संगोष्ठी थी। इस वर्ष कविता कोष सम्मान की भी उद्घोषणा हुई,प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह 07 अगस्त 2011 को जयपुर में जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में संपन्न हुआ। इसमें दो वरिष्ठ कवियों (बल्ली सिंह चीमा और नरेश सक्सेना) एवं पाँच युवा कवियों (दुष्यन्त, अवनीश सिंह चौहान, श्रद्धा जैन, पूनम तुषामड़ और सिराज फ़ैसल ख़ान) को सम्मानित किया गया। 11 सितंबर को भारतीय जन नाट्य संघ की उत्तर प्रदेश इकाई और लोकसंघर्ष पत्रिका के तत्वावधान में लखनऊ के कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में सहारा इंडिया परिवार के अधिशासी निदेशक श्री डी. के. श्रीवास्तव के कर कमलों द्वारा मेरी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास “ का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक श्री मुद्रा राक्षस, दैनिक जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक डा. सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार श्री विरेन्द्र यादव, श्री शकील सिद्दीकी, रंगकर्मी राकेश जी,पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी, साहित्यकार डा. गिरिराज शरण अग्रवाल आदि उपस्थित थे ।
वर्ष 2011 के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' 14 नवम्बर 2011 को विज्ञानं भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ द्वारा अक्षिता (पाखी) को कला और ब्लागिंग के क्षेत्र में उसकी विलक्षण उपलब्धि के लिए पुरस्कार दिया गया है । 9-10 दिसंबर को यू. जी. सी. संपोषित ब्लॉगिंग पर पहली संगोष्ठी कल्याण में हुई । इस संगोष्ठी का 'वेब कास्टिंग' के माध्यम से पूरी दुनिया में जीवंत प्रसारण (लाईव वेबकास्ट) हुआ । पहली बार देश से बाहर वर्ष के आखिर में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किसी अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन में हिन्दी के चार ब्लॉगर एकसाथ सम्मानित हुए, जिसमें रवीन्द्र प्रभात , नुक्कड़ ब्लॉग की मॉडरेटर गीता श्री,कथा लेखिका अलका सैनी (चंडीगढ़)और उडिया भाषा के अनुवादक ब्लॉगर दिनेश कुमार माली प्रमुख थे ।
वहुचर्चित चिकित्सक डॉ टी एस दराल का ब्लॉग है अंतर्मंथन जो वर्ष-2009 से लगातार विशिष्टता के साथ सक्रिय है और विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी पोस्ट का शतक लगाने में सफल रहे हैं । यह ब्लॉग एक प्रकार से संवेदनाओं का गुलदस्ता है, जहां सामाजिक-संस्कृति और परिवेशगत परिस्थितियाँ करवट लेती रहती है कभी विमर्श तो कभी अभियान के रूप में । वर्ष-2011 में यह ब्लॉग काफी मुखर रहा।ब्लॉग जगत में ब्लॉग की ख़बरें देने के लिए पहली बार डा. अनवर ज़माल खान के द्वारा ब्लाग समाचार पत्र की तर्ज़ पर मार्च-2011 में ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ नामक ब्लौग लाया गया, उसके बाद ‘भारतीय ब्लॉग समाचार‘ बना और फिर इसी लीक पर एक दो और भी चल रहे हैं।
जहाँ पिछले एक दशक में हिन्दी के खिचड़ी स्वरूप के दीवाने बढ़े हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो हिन्दी को उसके तत्सम प्रधान रूप में देखने के पक्षधर हैं। वे लोग हिन्दी के ‘शुद्ध साहित्यिक’स्वरूप को लेखन के दौरान प्रयोग में लाते हैं, वरन अपने चिंतन, वाचन और सम्प्रेषण के लिए भी सहज रूप में इसका प्रयोग करते हैं। विगत कई वर्षों से सक्रीय हिमांशु कुमार पाण्डेय ने इस वर्ष भी अपने ब्लॉग ‘सच्चा शरणम’ में तत्सम प्रधान शब्दावली में विमर्श करते नज़र आए । आकाँक्षा यादव भी इसी श्रेणी की एक प्रतिभा संपन्न रचनाकार हैं। उनके वैचारिक और साहित्यिक चिंतन को इस वर्ष भी प्रतिष्ठापित करता रहा उनका ब्लॉ्ग ‘शब्द-शिखर’ । ईश्वरवादियों के रचाए मायाजाल से अलग वैचारिक मंथन के साथ नास्तिकता का दर्शन को महत्व देने बाले हिंदी के एकलौते ब्लॉग ‘नास्तिकों का ब्लॉग’ पर इस वर्ष विचारों की दृढ़ता स्पष्ट दृष्टिगोचर हुई है।इस ब्लॉग पर इस वर्ष भी तर्क-वितर्क,वाद-विवाद का दौर खूब चला ।
नारी शक्ति के अभ्युयदय में जहाँ एक ओर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में आगे आ रही प्रतिभासम्पन्न महिलाओं द्वारा तय किये गये मील के पत्थरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी ओर अनेक विचारशील महिलाओं ने अपने विरूद्ध रचे जाने वाले षडयंत्रों के खुलासे करके भी महिला शक्ति के विकास में भरपूर योगदान दिया है। लखनऊ निवासी प्रतिभा कटियार एक ऐसी ही विचारशील ब्लॉगर हैं, जिनके विचारों की अनुगूँज उनके ब्लॉग ‘प्रतिभा की दुनिया’ में केवल इस वर्ष ही नहीं देखि गयी,अपितु विगत तीन-चार वर्षों से देखी जा रही है । पर्दे के पीछे से छिपकर लेखन के क्षेत्र में उन्मुक्त उड़ान भरने वालों में अग्रणी ब्लॉगर उन्मुक्त पर इस वर्ष भी बेशुमार उपयोगी सामग्री प्रकाशित हुई है । ब्लॉग जगत में ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जिन्होंने उचित माहौल पाकर स्वयं को आम आदमी से अलग साबित किया है और अपनी रचनात्मक क्षमताओं का लोहा दुनिया वालों से मनवाया है। अल्पना वर्मा एक ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा सम्पान्न ब्लॉगर हैं। उनके चर्चित ब्लॉग का नाम है ‘व्योम के पार’ , जिसपर उनकी प्रतिभा को इस वर्ष भी देखा और परखा गया । नारी शक्ति की प्रतीक एक और शख्शियत का नाम है शिखा वार्ष्णेय जिन्होंने अपने ब्लॉग ‘स्पंदन’ के द्वारा विचारशील लोगों के मन के तारों को झंकृत करने के लिए इसवर्ष भी प्रयासरत नजर आई।समय की नब्ज समझने वाले ब्लॉगरों में इस वर्ष भी अग्रणी दिखे कोटा, राजस्थान निवासी दिनेश राय द्विवेदी अपने ब्लॉग ‘अनवरत’ के माध्यम से ।
अपनी माटी, अपने सम्बंधियों से दूर जाने के बाद व्यक्ति जब अजनबीपन और अकेलापन महसूस करता है, तो नतीजतन उसके अवचेतन में बसी हुई स्मृतियाँ चाहे-अनचाहे लेखन में जगह बनाने लगती हैं। ऐसी ही मोहक स्मृतियों से सुसज्जित और माटी की गंध से लबरेज़ रतलाम म.प्र. में जन्में जबलपुर के मूल निवासी और कनाडाई भारतीय समीरलाल का ब्लॉग ‘उड़नतश्तरी’ विगत चार वर्षों से लगातार हिंदी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉग की सूची में अग्रणी रहा है ।इस वर्ष की बोर्ड का खटरागी यानी अविनाश वाचस्पति कुछ अलग मूड में दिखे । शाहनवाज़ सिद्दीकी के ब्लॉग ‘प्रेमरस’ ने भी इस वर्ष पाठकों को खूब आकर्षित किया । इस वर्ष जहां सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी अपने ब्लॉग सत्यार्थ मित्र पर अनेकानेक सार्थक पोस्ट डालने के वाबजूद अनियमित बने रहे,वहीँ भाषा विज्ञानी अजित वडनेरकर अपने ब्लॉग ‘शब्दों का सफर’ पर पुरानी उर्जा से लबरेज नहीं दिखे । हिन्दी के प्रमुख विज्ञान संचारक के रूप में इस वर्ष डॉ0 अरविंद मिश्र ज्यादा मुखर दिखे, उन्होंने ‘साइंस फिक्शन इन इंडिया’ तथा ‘साई ब्लॉग’ के माध्यम से लगातार विज्ञान कथा के प्रति पाठकों की जागरूकता को बनाए रखा । हिंदी के प्रखर पत्रकार के रूप में इस वर्ष फिरदौस खान कुछ ज्यादा मुखर दिखीं, उन्होंने मेरी डायरी’ के माध्यम से अपने सामाजिक सरोकार के प्रति ज्यदा प्रतिबद्ध दिखीं ।
शिक्षा से जुडी विषमताओं और विद्रूपताओं को ब्लॉग‘प्राइमरी का मास्टर’ के माध्यम से उजागर करते हुए क्रान्ति का शंखनाद करने वालों में विगत कई वर्षों से अग्रणी प्रवीण त्रिवेदी के तेवर इस वर्ष भी बरकरार रहे । हिंदी ब्लॉगिंग के पांचो शोधार्थियों क्रमश:केवल राम,अनिल अत्री,चिराग जैन,गायत्री शर्मा और रिया नागपाल की भी गाहे-बगाहे चर्चा होती रही वर्ष भर,जबकि वर्ष के मासांत में ब्लॉग बुलेटिन पर एक नया प्रयोग किया हिंदी ब्लॉगजगत की चर्चित कवियित्री रश्मि प्रभा ने । उन्हें काफी ब्लॉगर्स मिले और उन्होंने एक नया प्रयोग किया वर्ष के आखिरी महीने में अवलोकन-2011 के माध्यम से । उन्होंने अपनी कलम से नए-पुराने ब्लॉगरों की चुनिन्दा पोस्ट की व्याख्या की।साल 2011 ब्लॉग संसार के लिए एक नए अवसर और बेहतरी का पैगाम लेकर आया। ब्लॉगरों नें ब्लॉगिंग की दुनियां में नए मानदंड स्थापित किए और नए-नए प्रतिभावान ब्लॉगरों को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हिंदी ब्लॉगिंग और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के उद्देश्य से पहली बार इस वर्ष- 2011 के अप्रैल माह से रश्मि प्रभा के संपादन में वटवृक्ष(त्रैमासिक ब्लॉग पत्रिका ) का प्रकाशन शुरू हुआ। सुरेश चिपलूनकर ने इस वर्ष ब्लॉगिंग की चौथी सालगिरह मनाई, रचना ने पांचवीं, वहीँ चिट्ठा चर्चा ने सातवीं। वर्ष 2010 में अवतरित हुए ब्लॉग4वार्ता ने इस वर्ष की समाप्ति से कुछ दिन पूर्व १ लाख हिट्स के जादुई आंकड़े को पार कर गया ।सभी चिट्ठा चर्चाओं में वार्ता की रैंकिग इस वर्ष सबसे अच्छी रही । यह वार्ता की निरंतरता का परिणाम है।
हरबार की तरह इस वर्ष भी मनीष कुमार की वार्षिक संगीतमाला अपनी उल्टी गिनती के साथ शुरू हुई । फिल्म-संगीत पसंद करने वाले ब्लॉगरों के लिये हर वर्ष की शुरूआत में ये एक खास आकर्षण रहता है । वहीँ शरद कोकास की कविता सितारों का मोहताज होना अब जरूरी नहीं को इस वर्ष अत्यधिक सराहना मिली ।आनंद वर्धन ओझा गणतंत्र दिवस में ट्रैफिक लाइट पर दो रूपये का तिरंगा बेचती लड़की को देखकर कुछ दम तोड़ते से विचारों को प्रस्तुत करके सोचने पर विवश कर दिया, वहीँ स्व. कन्हैयालाल नंदन जी के वर्षगांठ पर लखनऊ के पत्रकार-कथाकार दयानंद पाण्डेय ने नंदन जी जुड़ी अपनी यादों को विस्तार से लिखा।
वैसे तो इस वर्ष को साझा ब्लॉगिंग का वर्ष कहा जाए तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से कई सामूहिक ब्लॉग अस्तित्व में आए,जिसमें प्रमुख है हरीश सिंह के द्वारा संचालित भारतीय ब्लॉग लेखक मंच 11 फरवरी 2011 को अस्तित्व में आया, जो हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के साथ ब्लॉग लेखको में प्रेम, भाईचारा, आपसी सौहार्द, देश के प्रति समर्पण और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अस्तित्व में आया । दूसरा महत्वपूर्ण साझा ब्लॉग है प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ । मनोज पाण्डेय के द्वारा संचालित इस ब्लॉग से हिंदी के कई महत्वपूर्ण ब्लॉगर जुड़े हैं । उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी 2011 को ज्ञानरंजन जी के घर से लौटकर गिरीश बिल्लोरे मुकुल ने इस साझा ब्लॉग पर पहला पोस्ट डाला था. ज्ञान रंजन जी प्रगतिशील विचारधारा के अग्रणी संपादकों और सर्जकों में से एक हैं । उनसे और उनकी यादों इस साझा ब्लॉग का शुभारंभ होना अपने आप में गर्व की बात है । तीसरा साझा ब्लॉग है डा. अनवर जमाल खान के द्वारा संचालित हिंदी ब्लॉगर्स फोरम इंटरनेशनल ,जबकि लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन पर लेखकों की संख्या ज्यादा हो जाने से इस वर्ष वन्दना गुप्ता की अध्यक्षता में एक नया साझा ब्लॉग अवतरित हुआ जिसका नाम है ऑल इण्डिया ब्लॉगर्स असोसिएशन । सबकी चर्चा करना तो संभव नहीं,किन्तु विशेष रूप से दो और साझा ब्लॉग के बारे में बताता चलूँ पहला 28 फरवरी को शुरू रश्मि प्रभा के संचालन में शुरू परिचर्चा और उसके बाद सत्यम शिवम् के द्वारा संचालित साहित्य प्रेमी संघ और 13 अप्रैल को डा. रूप चंद शास्त्री मयंक की अध्यक्षता में आया मुशायरा विषय प्रधान होने के कारण अपने आप में उल्लेखनीय है ।
15 जून 2011 को माँ सरस्वती प्रसाद की साहित्य साधना की चर्चा से रश्मि प्रभा ने एक अनोखे ब्लॉग की शुरुआत की नाम दिया शख्स: मेरी कलम से। कुछ नया करने और आप तक ब्लॉगजगत की पोस्टों की , टिप्पणियों की , बहस और विमर्शों की सूचना और खबरें पहुँचाने के उद्देश्य से 13 नवंबर 2011 को एक प्रयोग के रूप में अजय कुमार झा , शिवम् मिश्रा , सुमित प्रताप सिंह, रश्मि प्रभा..., देव कुमार झा, बी. एस. पावला, अंजू चौधरी, मनोज कुमार , महफूज़ अली , योगेन्द्र पाल आदि के संयुक्त प्रयास से ब्लॉग बुलेटिन शुरू किया गया । हिंदी में अपने आप का यह पहला और अनोखा प्रयोग है । इस वर्ष 16 दिसंबर को एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग का अवतरण हुआ, जो ब्लॉगर के नाम पर ही है यानी सुमित प्रताप सिंह । यह ब्लॉग अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए है कि इस ब्लॉग पर हर दुसरे दिन हिंदी जगत के एक महत्वपूर्ण ब्लॉगर का व्यंग्यपरक साक्षात्कार प्रस्तुत किया जाता है । सदैव से ही विज्ञान इस विषय को नकारता रहा है, मगर हिंदी ब्लॉग जगत में गत्यात्मक ज्योतिष की अवधारणा रखने वाली महिला ब्लॉगर धन्वाद निवासी संगीता पुरी ने ज्योतिष में अंधविश्वास के खिलाफ इस वर्ष भी अपनी आवाज़ बुलंद रखा।
डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से इसी वर्ष 'आधुनिक बाल कहानियों का विवेचनात्मक अध्ययन' विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि हासिल करने वाले श्री जाकिर अली रजनीश ने दैनिक 'जनसंदेश टाइम्स' में 'ब्लॉगवाणी' कॉलम के द्वारा ब्लॉगरों को नई पहचान दी है।
साहित्य का भूगोल बहुत विशाल है। इसे न तो किसी सीमा में बाँधना उचित कहा जाएगा और न ही कालखंड में समेटना, फिर भी बीते एक साल में ब्लॉग पर हिंदी साहित्य ने कहाँ तक अपनी विकास यात्रा तय की है, कमोबेश उस पर दृष्टिपात तो किया ही जा सकता है। इसी कड़ी में विशुद्ध साहित्यिक सन्दर्भों को सहेजने में पूरे वर्ष मशगूल रहा प्रभात रंजन का ब्लॉग जानकी पुल। हिंदी ब्लॉगिंग में साहित्य को प्रतिष्ठापित करने की दिशा में क्रान्ति का प्रतीक रहा ब्लॉग हिंद युग्म । रचनाकार, साहित्य शिल्पी और विचार मीमांशा ने अपनी स्तरीयता को बनाए रखा इस वर्ष । नारी का कविता ब्लॉग, नारी ,हिंदी साहित्य मंच,हिंदी साहित्य, साहित्य,साहित्य वैभव ,मोहल्ला लाईव, साखी,वटवृक्ष, सृजन (सुरेश यादव ), वाटिका,मंथन, शब्द सभागार, राजभाषा, लोकसंघर्ष पत्रिका, राजभाषा हिंदी ,गवाक्ष, काव्य कल्पना, परिकल्पना ब्लॉगोत्सव , साहित्यांजलि, कुछ मेरी कलम से,चोखेर वाली, नवोत्पल ,युवा मन , सुबीर संवाद सेवा, अपनी हिंदी , हथकढ , हिंदी कुञ्ज , पढ़ते पढ़ते ,तनहा फलक, आवाज़ , नयी बात, कारवां , सोचालय, पुरवाई ,एक शाम मेरे नाम ,साहित्य सेतु , कबीरा खडा बाज़ार में आदि पूरी निर्भीकता के साथ साहित्य की खुशबू बिखेरते रहे वर्ष भर । वहीँ एक और ई पत्रिका हमारी वाणी इस वर्ष अस्तित्व में आई और काल कलवित भी हो गयी ।
अशोक कुमार पाण्डेय का व्यक्तिगत ब्लॉग "असुविधा" और सामूहिक ब्लॉग "कबाडखाना" इस वर्ष विगत वर्षों की तुलना में ज्यादा प्रखर दिखा। विनीत कुमार ने भी इस वर्ष ब्लॉगिंग में चार वर्ष का सफ़र पूरा कर लिया,वहीँ अफलातून ने पांच वर्ष पूरे किये । सिद्धेश्वर ने अपने ब्लॉग कर्मनाशा पर शब्दों की जादूगरी से मानव जीवन से जुड़े विविध विषयों को मन के परिप्रेक्ष्य में दिखाने का महत्वपूर्ण कार्य किया इस वर्ष, वहीँ मनोज पटेल विश्व भर के कवियों का बहुत बढ़िया अनुवाद करते रहे ब्लॉग "पढ़ते पढ़ते" पर। अपनी माटी पर जिस तरह की सामग्री प्रस्तुत किये हैं मानिक, वह प्रशंसनीय है । कथा चक्र पर अखिलेश लगातार पत्र पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन की सूचना देते रहे । छत्तीसगढ़ के रायपुर से प्रकाशित होने वाली चर्चित त्रैमासिक पत्रिका”सद्भावना दर्पण” मार्च-2011 से मासिक हो गयी ।
इस वर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं और लघु पत्रिकाओं ने भी अपनी छाप छोड़ी हैं। तद्भव, कथादेश, हंस, वागर्थ, वर्तमान साहित्य आदि ने अपने अलग-अलग अंकों में ऐसी सामग्री प्रकाशित की है जो कहीं न कहीं साहित्यकारों और पाठकों को मथती रही है। इनमें से तद्भव, हंस और वर्तमान साहित्य ने अपनी उपस्थिति विश्वजाल पर भी दर्ज की, जो हिंदी साहित्य को विश्वव्यापी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वर्ष हिंदी ब्लॉगिंग और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के उद्देश्य से पहली बार अप्रैल माह से रश्मि प्रभा के संपादन में वटवृक्ष (त्रैमासिक ब्लॉग पत्रिका ) का प्रकाशन शुरू हुआ। ब्लॉग पर साहित्य को समृद्ध करने की दिशा में इस वर्ष ज्यादा मुखर दिखे दो नाम कोलकाता के मनोज कुमार और पुणे की रश्मि प्रभा ।
मनोज कुमार ने जहां मनोज,राजभाषा हिंदी आदि ब्लॉगों पर करण समस्तीपुरी,हरीश प्रकाश गुप्त आदि मित्रों के सहयोग से पूरे वर्ष दुर्लभ साहित्य को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य किया,वहीँ रश्मि प्रभा ने मेरी भावनाएं,वटवृक्ष आदि ब्लॉगों के माध्यम से नयी-नयी साहित्यिक प्रतिभाओं को मुख्यधारा में लाने महत्वपूर्ण कार्य किया । साहित्यको ब्लॉगिंग से जोड़ने वाली त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष का वह इस वर्ष से संपादन भी कर रही हैं । ब्लॉग पर हिंदी को समृद्ध करने वालों में एक नाम डॉ0 कविता वाचक्नवी का है जिन्होंने हिंदी भारत के माध्यम से हिंदी को समृद्ध करने की समर्पित सेवा कर रही हैं । 27 फरवरी 2011 को अवनीश सिंह के द्वारा संचालित प्रेमचंद के पाठकों को समर्पित एक ब्लॉग आया । इनके और भी कई ब्लॉग है जैसे विमर्श, अनकही बातें आदि । साहित्य की बात हो और मुहल्ला लाईव की चर्चा न हो तो सबकुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है । वर्ष-2011 में इस ब्लॉग पर साहित्यिक गतिविधियों से संवंधित अनेकानेक रिपोर्ताज और अन्य सामग्रियां प्रकाशित हुई । अविनाश दास ने इस ब्लॉग की शुरुआत वर्ष-2006 में ब्लॉग स्पॉट पर की थी, जिसे बाद में उन्होंने इसे सामूहिक ब्लॉग में परिवर्तित कर दिया ।
एक ऐसा ब्लॉगर जिसने ब्लॉग पर वर्ष-2009 - 2010 में सर्वाधिक पोस्ट लिखने की उपलब्धि हासिल की,किन्तु वर्ष-2011 में ये पिछड़ गए और यह श्रेय गया डा. राजेन्द्र तेला निरंतर के हिस्से। डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" ने इस वर्ष अपने व्यक्तिगत ब्लॉग निरंतर की कलम से पर एक वर्ष में सर्वाधिक पोस्ट (1669 )लिखने का कीर्तिमान बनाया है ।उल्लेखनीय है कि हिंदी ब्लॉगिंग को साहित्य के सन्निकट लाने वालों में एक महत्वपूर्ण नाम है डा. रूप चंद शास्त्री मयंक का, जिन्होनें 21 जनवरी, 2009 को हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया में अपना कदम बढ़ाया था। उस समय उन्होंने अपना ब्लॉग “उच्चारण” के नाम से बनाया था, जिस पर अबतक 2000 से ज्यादा रचनाएँ पोस्ट की जा चुकी है और इस ब्लॉग के लगभग 400 से ज्यादा समर्थक हैं।
विशुद्ध साहित्यिक रचनाओं के सरोवर में गहरे उतरने को विवश करता एक ब्लॉग है कर्मनाशा । पूरे वर्ष सिद्धेश्वर ने कुछ अच्छी कविताओं के हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किए। इसके अलावा सतीश सक्सेना (मेरे गीत),राज भाटिया (पराया देश, छोटी छोटी बातें), इंदु पुरी (उद्धवजी), अंजु चौधरी (अपनों का साथ), वंदना गुप्ता (जख्म…जो फूलों ने दिये, एक प्रयास), महफूज अली (लेखनी…, Glimpse of Soul), यौगेन्द्र मौदगिल (हरियाणा एक्सप्रैस), अलबेला खत्री (हास्य व्यंग्य, भजन वन्दन, मुक्तक दोहे), संजय अनेजा (मो सम कौन कुटिल खल…?), राजीव तनेजा (हँसते रहो, जरा हट के-लाफ्टर के फटके), जाट देवता (संदीप पवाँर) (जाट देवता का सफर), संजय भास्कर (आदत…मुस्कुराने की), कौशल मिश्रा (जय बाबा बनारस), दीपक डुडेजा (दीपक बाबा की बक बक, मेरी नजर से…), आशुतोष तिवारी (आशुतोष की कलम से), मुकेश कुमार सिन्हा (मेरी कविताओं का संग्रह, जिन्दगी की राहें), पद्मसिंह (पद्मावली), सुशील गुप्ता (मेरे विचार मेरे ख्याल), राकेश कुमार (मनसा वाचा कर्मणा), सर्जना शर्मा (रसबतिया), शाहनवाज़ (प्रेम रस), अजय कुमार झा (झा जी कहिन),कनिष्क कश्यप (ब्लॉग प्रहरी), केवल राम (चलते-चलते, धर्म और दर्शन), ताऊ रामपुरिया (ताऊ डोट इन) और राहुल सिंह ( सिंहावलोकन ) ने भी इस वर्ष कतिपय साहित्यिक रचनाओं से पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है । इसके अलावा सुबीर संवाद सेवा ,कवि कुमार अम्बुज, अपर्णा मनोज, मृत्युबोध, नई बात ,मेरी लेखनी मेरे विचार , अजित गुप्ता का कोना, मन का पाखी, कलम,अंदाज़े मेरा , मो सम कौन कुटिल खल, काव्यांजलि, फुहार आदि पर भी उत्कृष्ट साहित्यिक सामग्री प्रस्तुत की गई है इस वर्ष।
एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग का जिक्र करना चाहूंगा। ब्लॉग पर ब्लॉगरों का परिचय देने के उद्देश्य से राजीव कुलश्रेष्ठ ने वर्ष-2010 में " ब्लॉग वर्ल्ड.कॉम " ब्लॉग की शुरुआत की,किन्तु इस वर्ष यह ब्लॉग कुछ ज्यादा मुखर रहा । इसपर वे लगभग 100 से अधिक ब्लॉगर्स का परिचय पोस्ट के रूप में प्रकशित कर चुके हैं। भारतीय सिनेमा इस समय संसार का, फिल्मों की संख्या के मान से, सबसे बड़ा सिनेमा है। लेकिन सिनेमा पर आधारित ब्लॉग की दृष्टि से हम अभी भी काफी दरिद्र हैं । इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि वर्ष-2011 में एक मात्र प्रयोगधर्मी अभिनेता मनोज बाजपेयी ने अपने ब्लॉग के जरिए अनुभवों को बाँटते नज़र आये । अपने व्यस्त दिनचर्या के वाबजूद इन्होनें अपने ब्लॉग पर इस वर्ष 9 संस्मरणात्मक पोस्ट प्रकाशित किये हैं । वहीँ अजय ब्रह्मात्मज के चवन्नी चैप पर इस वर्ष फिल्म से संवंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयी । यह ब्लॉग सिनेमा पर आधारित ब्लॉग की श्रेणी में सर्वाधिक सक्रिय रहा इस वर्ष । इस ब्लॉग पर इस वर्ष 200 से ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हुए ।
फिल्म की समीक्षा के क्षेत्र में इधर रश्मि रविजा का नाम तेजी से लोकप्रिय हुआ है ।रश्मि रविजा, वरिष्ठ साहित्यकार और वेब पत्रकार हैं और इनकी गतिविधियाँ इनके स्वयं के ब्लॉग के अलावा विभिन्न महत्वपूर्ण वेब पत्रिकाओं पर भी देखी जा सकती है ।सिनेमा पर आधारित सक्रिय ब्लॉग हालांकि हिंदी में बहुत कम दिखते हैं। प्रमोद सिंह के ब्लॉग सिनेमा सिलेमा पर पूरे वर्ष मात्र एक दर्जन पोस्ट पढ़ने को मिले हैं वहीं दिनेश श्रीनेत ने इंडियन बाइस्कोप पर इस वर्ष केवल छ: पोस्ट प्रकाशित किये,जो निजी कोनों से और भावपूर्ण अंदाज में सिनेमा को देखने की एक कोशिश मात्र कही जा सकती है ।वहीँ अंकुर जैन का ब्लॉग साला सब फ़िल्मी है पर 17 पोस्ट प्रकाशित हुए इस वर्ष ।महेन के चित्रपट ब्लॉग तथा राजेश त्रिपाठी का सिनेमा जगत ब्लॉग पर इस वर्ष पूरी तरह खामोशी छायी रही । हालांकि 15 जून 2011 को खुले पन्ने ब्लॉग पर प्रकाशित क्या है हिंदी सिनेमा का यथार्थवाद काफी पसंद किया गया ।
जहां तक कानून के क्षेत्र में हिन्दी के ब्लॉग का आंकलन किया जाए तो सर्वथा अकाल की स्थिति है। इस क्षेत्र में अकेला अनोखा ब्लॉग है तीसरा खंबा, जो राजस्थान के कोटा निवासी प्रखर क़ानून विद दिनेश राय द्विवेदी का व्यक्तिगत ब्लॉग है और हिंदी जगत में काफी चर्चित भी । हांलाकि क़ानून की धाराओं-उप धाराओं की तथा विभिन्न महत्वपूर्ण केस की सुनवाई की जानकारी देने हेतु एक ब्लॉग और है अदालत, किन्तु यह अब वेब पत्रिका का स्वरुप ले चुका है ।
अपनी अनोखी और चुटीली टिप्पणियों के कारण खुशदीप सहगल का ब्लॉग देशनामा भी इस वर्ष काफी चर्चा में रहा । जगदीश्वर चतुर्वेदी ने वैसे कई महत्पूर्ण राजनीति-सामाजिक मुद्दों को उठाकर काफी सुर्खियाँ बटोरी हैं वहीँ मुद्दों को राष्ट्रीय विमर्श में परिवर्तित करने में इस बार फिर से सफल रहे रणधीर सिंह सुमन यानी लोकसंघर्ष।
वैसे विस्फोट डोट कॉम पर भी सिनेमा पर आधारित कुछ वेहतर सामग्री प्रकाशित हुई है इस वर्ष। इसीप्रकार जहाँ तक राजनीति को लेकर ब्लॉग का सवाल है तो वर्ष 2011 भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार की लगातार उधडती परतों के बाद ए. राजा जैसे मंत्रियों और कुछ कारपोरेट कंपनी के दिग्गज शाहिद बलवा, विनोद गोयेनका और संजय चंद्रा जैसे लोगो के तिहाड़ पहुँचने के साथ अन्ना के भ्रष्टाचार के विरोध और मजबूत लोकपाल के लिए हुए आन्दोलन और उसे मिले जनसमर्थन के लिए जाना जाएगा। भ्रष्टाचार के इन आरोपों ने उत्तराखंड से निशंक और कर्नाटक से येदुरप्पा को गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों जैसे संसद की सर्वोच्चता पर प्रश्न उठाने के लिए भी जाना जाएगा। महिला आरक्षण बिल इस वर्ष भी लटका रहा और वर्ष के अंत में राजनैतिक षड्यंत्र के बीच इसमे लोकपाल बिल का नाम भी जुड़ गया। ऐसा कहना है आशीष तिवारी का दखलंदाजी पर ।करीब 15 साल तक हिंदी के तमाम राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम करने करने के बाद अब दिल्ली में अपना बसेरा बनाने वाले महेंद्र श्रीवास्तव के ब्लॉग आधा सच का नाम मैं प्रमुखता के साथ लेना चाहूंगा, क्योंकि यह ब्लॉग 2011 में अस्तित्व में आया है और छ: दर्जन के आसपास पोस्ट प्रकाशित कर समसामयिक राजनीति और समाज की गहन पड़ताल करने की सफल कोशिश की है ।
वेब मीडिया को एक नया आयाम देने में जनोक्ति इस वर्ष काफी मुखर रहा,वहीँ अनियमितता के वाबजूद विचार मीमांशा भी औसत रूप से मुखर रहा ।अफलातून के ब्लॉग समाजवादी जनपरिषद और प्रमोदसिंह के अजदक तथा हाशिया का जिक्र किया जाना चाहिए। इन सभी ब्लॉग्स पर पोस्ट की संख्या ज्यादा तो नहीं देखि गयी इस वर्ष,किन्तु विमर्श के माध्यम से ये सभी इस वर्ष अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुए हैं । रविकांत प्रसाद का ब्लॉग बेवाक टिपण्णी पर इस वर्ष केवल तीन पोस्ट आये, वहीँ इस वर्ष नसीरुद्दीन के ढाई आखर पर सन्नाटा पसरा रहा ।जबकि उद्भावना पर सात पोस्ट और अनिल रघुराज के एक हिन्दुस्तानी की डायरी पर केवल एक पोस्ट आया इस वर्ष । भारतीय ब्लॉग लेखक संघ और महाराज सिंह परिहार के ब्लॉग विचार बिगुल पर भी इस वर्ष कुछ बेहतर राजनैतिक आलेख पढ़े गए । पुण्य प्रसून बाजपेयी ब्लॉग भी है और ब्लॉगर भी,जिसपर वर्ष-2011 में कूल 71 पोस्ट प्रकाशित हुए और सभी गंभीर राजनीतिक विमर्श से ओतप्रोत।
परिकल्पना ब्लॉग सर्वे के माध्यम से किए गए एक आंकलन के अनुसार हिंदी में राजनीति, सामाजिक मुद्दे, अध्यात्म, दर्शन, धर्म और संस्कृति से संवंधित ब्लॉग का औसत 22% है, वहीँ विज्ञान, अंतरिक्ष और इतिहास से संवंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% । यात्रा, जीवनशैली, स्वास्थ्य, गृह डिजाइन और चिकित्सा से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 14 % है वहीँ समूह ब्लॉग केवल 2% के आसपास । सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस हिंदी ब्लॉगिंग को न्यू मीडिया या कंपोजिट मीडिया कहा जा रहा है उसी से संवंधित ब्लॉग अर्थात न्यूज पोर्टल और प्रिंट मीडिया के ब्लॉग का औसत केवल 5% है । कुल हिंदी ब्लॉग का 5% ब्लॉगसामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से संवंधित है, जबकि हिंदी प्रचार प्रसार से संवंधित ब्लॉग का औसत 18% है । हास्य, व्यंग्य, पहेली और कार्टून से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 3% के आसपास है वहीँ शिक्षा से संवंधित ब्लॉग का प्रतिशत केवल 2% के आसपास ।
साहित्य के ब्लॉग का औसत भी बहुत संतोषप्रद नही दीखता, क्योंकि तमाम हिंदी प्रेमियों में साहित्यकारों की संख्या सर्वाधिक होने के वाबजूद औसत केवल14% के आसपास है । अन्य विषयों का आंकलन करने पर पाया गया कि पर्यावरण, वन्य जीवन, ग्लोबलवार्मिंग से संबंधित ब्लॉग के साथ-साथ वेब डिजाइन, ई– लर्निंग, पॉडकास्ट, रेडियो, वीडियो, खेल, खेल गतिविधि, खाद्य, पाक कला, टीवी, बॉलीवुड सिनेमा, मनोरंजन आदि से संबंधित ब्लॉग का औसत1% के आसपास है । बच्चों से संबंधित ब्लॉग का औसत जहां 2% है, वहीँ नारी सशक्तिकरण से संबंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% के आसपास। सबसे दयनीय स्थिति है बंगाली, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, सिंधी, उर्दू, संस्कृत, तमिल तथा अंग्रेजी से अनुवाद वाले ब्लॉग के साथ-साथ मानव संसाधन, वित्त, प्रबंधन, निवेश, शेयर बाजार, व्यापार, सरकार, विज्ञापन, कानून,खोज, इंटरनेट मार्केटिंग, वेब विश्लेषिकी,प्रौद्योगिकी, गैजेट्स, मोबाइल,संगीत, नृत्य,फैशन,उद्यम और आविष्कार से संबंधित ब्लॉग की , जिसकी औसत काफी नगण्य है ।
वर्ष-2011 में अधिकांश मुद्दों पर कोई न कोई पोस्ट देखने को अवश्य मिली है । साक्षात्कार से ले कर कृषि और विदेशी घटनाक्रमों से ले कर धर्म व महिलाएं– बहस के हरेक मुद्दे को हिंदी ब्लॉग पर इस वर्ष समेट लेने की कोशिश की गई लगती है। एक ब्लॉग है कस्बा, एन.डी.टी.वी. के रबीश कुमार अर्थात एक पत्रकार का का ब्लॉग है मगर इसकी अधिकांश पोस्ट पढ़ कर लगता है कि किसी ऐसे 'साहित्यिक' व्यक्ति का ब्लॉग है जो अपने आप में डूब कर केवल काव्य रचना नहीं करता बल्कि समाज के प्रति बेहद संवेदनशीलता के साथ सोचता है, विचार रखता है| निश्चित रूप से हिंदी ब्लॉग जगत का अनमोल मोती है यह ब्लॉग। प्यार या चाहत के लिए अभीतक दिल को दोषी माना जाताथा, मगर अब हकीकत सामने आई कि ‘लव एड फर्स्ट साइट’ यानी चेहरा देखते ही प्यार हो जानेकी घटना मस्तिष्क काकिया धरा होता है, चोट बेचारे दिल पर होती है। इस वर्ष प्यार की गहन अनुभूतियों का वैज्ञानिक परिक्षण करता एक सार्थक पोस्ट लेकर आये डा. जाकिर अली रजनीश अपने ब्लॉग तस्लीम पर ध्वस्त हो गयी प्यार की परिभाषा शीर्षक से ।
ब्लॉगिंग को बुद्धिजीवियों के बीच नये वर्तमान परिवेश में अभिव्यक्ति के एक मंच के तौर पर देखा जा रहा है। यहाँ तक कि सभी गंभीर ब्लॉग लेखक ब्लॉगिंग को वैकल्पिक मीडिया के रूप में ही देखते हैं। ऐसी मान्यता है कि बदलती परिस्थितियों के कारण बदलते समाज की मिटती खूबसूरती को मिटने से बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया। यही कारण है कि सोशल मीडिया में हिंदी के बढ़ते तेवर और संभावनाओं पर गंभीर बहस होनी शुरू हो चुकी है। परिवर्तन की गति को तकनीक ने बेहद तेज कर दिया है और इससे भाषाई साहित्यिक अंतर्क्रियाएं बढ़ रही है। यहाँ तक की ताज़ा सामिजिक गतिविधियों और समसामयिक राजनैतिक परिदृश्यों पर इरफ़ान, काजल कुमार , कीर्तिश भट्ट आदि के कार्टून्स भी देखे जा सकते हैं ।
ब्लॉगिंग यानी वैकल्पिक मीडिया ने आम आदमी की संवेदनाओं और भावनाओं के सुख को फिर से जागृत किया है। हालांकि वैकल्पिक मीडिया के अस्तित्व में आने से मीडिया ने अपनी ताकत नहीं खोई है बल्कि , ब्लॉग,ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के कारण पुन: संजोई है और अब नया मीडिया और आम आदमी दोनों ही ताकतवर होते जा रहे हैं। जहां तक हिंदी का प्रश्न है तो आज़ादी से पहले जिन मूल्यों की तलाश में आम आदमी ने संघर्ष किया, वही मूल्य आज़ादी के बाद और अधिक विघटित हो गए हैं। ऐसे में आम आदमी के पास अपनी बात को कहने के लिए विकल्प नहीं रहा था परंतु अब आम आदमी के पास तकनीक आने से उसने अपने लिए विकल्पों की स्वयं ही खोज करनी शुरू कर दी है । फलत: ब्लॉगिंग उनके लिए अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम बन कर उभरा है । इसमें कोई संदेह नहीं कि तेज़ी से आम आदमी की अभिव्यक्ति बनने की ओर अग्रसर है ब्लॉगिंग।
- रवीन्द्र प्रभात
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