मेरी फाँसी की सजा उम्र कैद में बदलो
कहते मियां कसाब
देख के फाँसी का फंदा
मोहे नानी आती याद
हर सुख,सुविधा और ऐश-ओ-आराम
साथ मिलती रहे विरयानी
अतिथि देवो भव:यहाँ
हैं नर्म दिल हिन्दोस्तानी
दीपक कुल्लुवी
३१/८/१२.
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