Home » YOU ARE HERE » दामिनी' चली गई

दामिनी' चली गई


 

'दामिनी' चली गई दुनियां से 
छोड़ गई कितने स्वाल 
क्या लड़की होना ही था 
उसका घोर अपराध ?
जब तक फाँसी पर न लटकेंगे 
उसके अपराधी 
शांत न होगी रूह उसकी 
कब होगा इन्साफ 
कितने सपने संजोए होंगे 
कितने देखे होंगे ख़्वाब 
पूरे हुए न, रहे अधूरे 
जिंदगी ने छोड़ा साथ 
कानून की देवी की जो खुली न 
अब भी अखियाँ बंद 
तवाही मच जाएगी धरा पर 
सब हो जाएगा बर्वाद 

दीपक कुल्लुवी 
29 दिसंबर 2012

5 comments:

  1. दीपक शर्मा जी आपसे निवेदन है कि पहले अपनी हिन्दी ठीक करें फिर कुछ लिखने का प्रयास करें.

    जवाब देंहटाएं
  2. Rupak ji

    galtiyon ke liye kshama chahonga.
    ab 50 saal ki umar men kya hindi sudhar kar payenge fir bhi kabhi waqt mila to aapse sikhoonga zaroor.

    Man ke bhav kaise lage ..?

    aapka apna

    Deepak

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे आप तो मुझसे ३१ साल बड़े निकले. दीपक अंकल माफ करना लेकिन आपकी कविता में प्रूफ रीडिंग करने की जरूरत होती है. भाव अच्छे लगे. लिखते रहिये लेकिन प्रूफ रीडिंग करने के बाद.
    आपका
    रूपक शर्मा

    जवाब देंहटाएं
  4. डियर रूपक

    नववर्ष 2013 मंगलमय हो

    आपके सुझाव नाकाबिले तारीफ़ है जरूर गौर करेंगे

    धन्यवाद

    दीपक कुल्लुवी

    जवाब देंहटाएं
  5. अंकल नाकाबिले तारीफ़ नहीं काबिले तारीफ कहते हैं.
    आपको भी नया साल मुबारक हो. :)

    जवाब देंहटाएं

हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्‍यवसायिक ब्‍लोगर्स की अभिव्‍याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।

Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.

Popular Posts

Followers