'दामिनी' चली गई दुनियां से
छोड़ गई कितने स्वाल
क्या लड़की होना ही था
उसका घोर अपराध ?
जब तक फाँसी पर न लटकेंगे
उसके अपराधी
शांत न होगी रूह उसकी
कब होगा इन्साफ
कितने सपने संजोए होंगे
कितने देखे होंगे ख़्वाब
पूरे हुए न, रहे अधूरे
जिंदगी ने छोड़ा साथ
कानून की देवी की जो खुली न
अब भी अखियाँ बंद
तवाही मच जाएगी धरा पर
सब हो जाएगा बर्वाद
दीपक कुल्लुवी
29 दिसंबर 2012
दीपक शर्मा जी आपसे निवेदन है कि पहले अपनी हिन्दी ठीक करें फिर कुछ लिखने का प्रयास करें.
जवाब देंहटाएंRupak ji
जवाब देंहटाएंgaltiyon ke liye kshama chahonga.
ab 50 saal ki umar men kya hindi sudhar kar payenge fir bhi kabhi waqt mila to aapse sikhoonga zaroor.
Man ke bhav kaise lage ..?
aapka apna
Deepak
अरे आप तो मुझसे ३१ साल बड़े निकले. दीपक अंकल माफ करना लेकिन आपकी कविता में प्रूफ रीडिंग करने की जरूरत होती है. भाव अच्छे लगे. लिखते रहिये लेकिन प्रूफ रीडिंग करने के बाद.
जवाब देंहटाएंआपका
रूपक शर्मा
डियर रूपक
जवाब देंहटाएंनववर्ष 2013 मंगलमय हो
आपके सुझाव नाकाबिले तारीफ़ है जरूर गौर करेंगे
धन्यवाद
दीपक कुल्लुवी
अंकल नाकाबिले तारीफ़ नहीं काबिले तारीफ कहते हैं.
जवाब देंहटाएंआपको भी नया साल मुबारक हो. :)