Home » YOU ARE HERE » (तलाक,तलाक,तलाक)

(तलाक,तलाक,तलाक)


नववर्ष 2013 मंगलमय हो 

(तलाक,तलाक,तलाक)

 











गुस्से में बीबी मेरी आग बबूला हो गयी 
सच बतलाएँ भईया अपनी तो लाटरी ही खुल गई 
गस्से में उसने हमें 'तलाक,तलाक 'कह दिया 
कहीं  मुकर  न जाए हमनें,झट से कबूल कर लिया
बरसों बाद यह मौक़ा ख़ुशी का जीवन में आया था 
इसीलिए कबूल करनें में हमनें एक पल न गवाया था 
अब हम सब मिलजुलकर एक ही घर में रहते हैं 
वह  कुढ़ती रहती है और हम ऐश करते हैं 
अब जब भी कोई पूछता आपके घर पे कौन कौन हैं 
हम कहते मेरे दो बच्चे और तलाक़शुदा मैं हूँ
अपनें मासूम बच्चों के लिए नई अम्मा ढूँढ रहा हूँ 
इन बच्चों की खातिर मैं यह कदम फूंक रहा हूँ   
दूसरे कमरे में मेरी ऐक्स वाईफ रहती है
तलाक़ कह कर फस गयी इसलिए गुमसुम रहती है  
राम,राम जपती  है फेरती राम नाम की माला 
कहीं रोटियां खा न जाएँ हम लगाकर रखती किचन में ताला 
हम भी मास्टर चावी से ताला खोल ही जाते हैं 
वोह जो बनाकर रखती है उससे मौज उढ़ाते हैं 


दीपक कुल्लुवी 
1 जनवरी 2013

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्‍यवसायिक ब्‍लोगर्स की अभिव्‍याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।

Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.

Popular Posts

Followers