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(बाबे देया मोरा)

बाबा बालकनाथ जी का नया  भजन 



(बाबे देया मोरा) 



बाबे देया मोरा चल मन्दरा वल्ल चलिए -2 

बाबे दे दर्शन करिए 

बाबे देया मोरा चल मन्दरा ……… 

(1) बाबा रैहंदा शाहतलाईयाँ गऊआँ चारदा रैहंदा 

सबदी मुरादाँ पूरियाँ करदा घर भंडारे भरदा 

ख़ाली खज़ाने भरिए 

बाबे देया मोरा चल मन्दरा ……… 

(2)बाबे दा धूणा है नराला सबदे दुख हर लैंदा 

कष्ट मिटांदा भक्तां दे ओह गिरदे नूँ फड़ लैंदा 

हत्थ बाबे दा फ़डिए 

बाबे देया मोरा चल मन्दरा ……… 

(3) मैं 'दीपक'बाबे दा पुजारी प्यार बाबे दा लैणा 

अपणी झोली विच बाबे दा आशीर्वाद लै लेणा 

अर्ज़ ते दिल नाल करिए 

बाबे देया मोरा चल मन्दरा ……… 



दीपक 'कुल्लुवी'

मैंगलोर (कर्नाटक)



नोट :- हमारा गैस्ट हॉउस सूरतकल मैंगलोर में अरब सागर के तट पर है रोज़ सुबह सुबह जब हम उठते हैं तो बाहर 7,8 मोर मोरनियाँ उनके बच्चे  घूमते फ़िरते लम्बी उढ़ारी मारते नज़र आते हैं बहुत अच्छा लगता है यह सुंदर नज़ारा। उन्हीं से प्रेरित होकर यह नया भजन लिखा। नींद से हमें वही जगाते हैं हररोज़। 



कोई इस भजन को गाना चाहता है तो मुझसे कम्पोज़ की हुई धुन ले सकता है 

09538747095 

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