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मोदी सरकार के फैसले

बेहद दुःखद बात है जी एक राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री को कुछ पढ़े लिखे भी समझ नहीं पा रहे है, ये केवल हमारी शिक्षाप्रणाली का असर है।नोटबन्दी पूरी तरह सफल रही, 2 से 3 लाख फ़र्ज़ी कंपनिया बन्द हुई,नक्सलवाद लगभग समाप्त हुआ, अब कुछ लोग 2000 के नोट इक्कठे करके उनको पुनः पहुंचा रहे है, आतंकवाद की कमर टूट गयी, घर में रखा पैसा सर्कुलेशन में आया,यदि 10 करोड़ लोग 5000 भी घर में रखते है तो ये 5 खरब बनते है, जो केवल ब्लैक मनी ही कहा जायेगा ये पैसा बैंकों में आया अब गरीबों के काम आ रहा है, लाखों करोड़ पकड़ा गया वह देश की अर्थव्यवस्था में शामिल हुआ।लोगों ने कहा जा रहा की गरीब लोगों के द्वारा बैंकों में जमा किया और इन गरीबों को लाइन में खड़ा किया, जिन खातों में पैसा नहीं था उसमें पैसा एकदम कहाँ से आया, बैंको ने नोटबन्दी को विफल करने का प्रयास किया जिससे आज बैंक कर्मचारियों को अच्छे नज़रों से नहीं देखा जा रहा है।कालाधन धन वालों ने हर हथकंडे अपनाये।99.3,%पैसा आना इसी बात का सूचक है की नोटबन्दी सफल रही।कम से कम काला धन देश की अर्थव्यवस्था में शामिल हुआ।आपने देखा होगा रियल एस्टेट market में कितनी गिरावट आयी जिसमे मकान की कीमतें कितनी गिरी ।फ़र्ज़ी कंपनीयां जो गरीबों को दुगना तिगना करने का सपना दिखती थी गरीबों को लूटती थी व् बड़े बड़े लोगों के आयकर को बचाती थी बन्द हुई।आयकरदाताओं की संख्या दुगनी हो गयी कैसे हुई। नोटबन्दी के कारण आयकर चोरी करनेवालों में डर पैदा हुआ।GST को तो विश्व सबसे सफल माना जा रहा है।इसकी विसंगतियों को दूर किया जा रहा है इसे तार्किक बनाया जा रहा है।पेट्रोल उत्पाद का टैक्स structure पहले से बना है मोदी जी ने इसे बाज़ार कीमतों से तय किया, यदि इसे काफी कम किया जाता है तो मुद्रास्फिति बढ़ने का पूरा खतरा है।पहले इसके impact के लिए दुसरे स्रोत पैदा करने होंगे वे मोदी जी अवश्य कर रहे होंगें।2014 में सरकार आने पर पेट्रॉल लगभग 77 रूपये था व् गैस सिलिंडर 700 से ऊपर था उस समय सब्सिडी सरकार गैस एजेंसी को देती थी इसलिए सिलिंडर की कीमते कम थी।सब्सिडी गरीबी दूर करने का स्थाई समाधान नहीं इससे गरीब लोग कम मेहनत करते है, उन्हें सक्षम बनाना आवश्यक है जो प्रयास मोदी जी कर रहे है।विपक्ष जब कोई दल होता है लोकतन्त्र में सरकार की नीतियों का विरोध करना उसका काम होता है, जो 2014 से पहले मोदीजी ने किया आज राहुल गांधी कर रहे है।1947 के बाद कोई भी हथियार भारत में नहीं बनता न हम तकनीक का विकास करते है ,क्यों।देश विदेश में जाकर FDI आयी, उस पैसे जो काम हुआ उससे रोज़गार बढ़ा ,नीजि क्षेत्र में काफी रोज़गार मिला, बेरोज़गारों को ऋण उपलब्ध करवाये गए, इससे भी रोज़गार सृजित हुआ।विदेशों में देश का नाम ऊंचा हुआ,अपनी योजनाए व् उपलब्धीयां गिनाई इससे प्रभावित विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा ,क्या गलत हुआ।15 लाख किसी के खाते में नहीं आते देश की अर्थव्यवस्था में शामिल होते है।led बल्ब ,9 km रोड या अन्य बचकानी बातें है।आतंकवादीयों की कमर टूट चुकी है,सख्ती से कश्मीर में निपटा जा रहा, देश में कोई बड़ी आतंकवादी घटना नहीं घटी,देश के जीडीपी 8.2 हो गयी, राष्ट्रीय राजमार्गों के जाल बिछ गए , देश सुरक्षित है टूरिज़्म को बढ़ावा मिला, महिला सशक्तिकरण के प्रयास सफल हुए, गरीबों के घर गैस चूल्हे पहुंचे, बिहार व् आदिवासी क्षेत्रों तक बिजली पहुंची,फौजियों की वन रैंक वन पेंशन योजना लागू हुई, किसानो का उत्पाद मूल्य दुगना किया गया, गरीबों के घरों तक करोड़ों घर टॉयलेट सुविधा से जुड़े,लोगों को आश्रित नहीं स्वावलम्बी बनाने के प्रयास हुए ये क्या कम है।पाकिस्तान जा कर दोस्ती का सन्देश दिया ताकि की ये न कह पाये की भारत प्रयास नहीं करता, चीन के साथ पूरी कोशिश की की अच्छे सम्बन्ध बने जबकि दुनिया जानती है चीन किसी का नहीं हो सकता।बुलेट ट्रेन जैसी योजना लाई,जो दूरगामी प्रभाव डालेगी।एक तरफ गरीब को खाना उपलब्ध करना व् दूसरा देश को विकास पथ ले जाना ये सयुक्तत प्रयास क्या गलत है।नोटबन्दी से जो भी चोर है चाहे वह बीजेपी या किसी दल का हो कोई भी प्रभावशाली हो या बैंक कर्मी सब पर सख्त कारवाई होनी चाहिये।बाकि पैसे वाले किसी गरीब को ऊंचे पद पर बैठे देखना पसन्द नहीं करते , वे तो गरीब को हमेशा ही गरीब देखना चाहते है।मोदीजी की मुझे सबसे अच्छी बात ये है कि वे माँ भारती के लिए समर्पित,ईमानदार व् योग्य व्यक्ति है पूरा देश ही उनका परिवार है।ओ

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