Home » YOU ARE HERE » साधु के लक्षण

साधु के लक्षण

संत कबीरदास धर्म के नाम पर पाखंड करने वालों से बचकर रहने की प्रेरणा दिया करते थे। काशी के गंगातट पर वह किसी साधुवेशधारी को नशा करते या अमर्यादित आचरण करते देखते, तो उसे इन पाप कर्मों से बचने का सुझाव देते। एक बार किसी श्रद्धालु ने कबीर से पूछा, ‘साधु के लक्षण क्या होते हैं?’ उन्होंने तपाक से कहा, साधु सोई जानिए, चले साधु की चाल। परमारथ राता रहै, बोलै वचन रसाल। यानी संत उसी को जानो, जिसके आचरण संत की तरह शुद्ध हैं। जो परोपकार-परमार्थ में लगा हो और सबसे मीठे वचन बोलता हो। कबीरदास ने अपनी साखी में लिखा, ‘संत उन्हीं को जानो, जिन्होंने आशा, मोह, माया, मान, हर्ष, शोक और परनिंदा का त्याग कर दिया हो। सच्चे संतजन अपने मान-अपमान पर ध्यान नहीं देते। दूसरे से प्रेम करते हैं और उसका आदर भी करते हैं।’ उनका मानना था कि यदि साधु एक जगह ही रहने लगेगा,
तो वह मोह-माया से नहीं बच सकता। इसलिए उन्होंने लिखा, बहता पानी निरमला- बंदा गंदा होय। साधुजन रमता भला- दाग न लागै कोय। संत कबीरदास जानते थे कि ऐसा समय आएगा, जब सच्चे संतों की बात न मानकर लोग दुर्व्यसनियों की पूजा करेंगे। इसलिए उन्होंने लिखा था, यह कलियुग आयो अबै, साधु न मानै कोय। कामी, क्रोधी, मसखरा, तिनकी पूजा होय। आज कबीर की वाणी सच्ची साबित हो रही है तथा संत वेशधारी अनेक बाबा घृणित आरोपों में घिरे हैं।

5 comments:

  1. "आज कबीर की वाणी सच्ची साबित हो रही है तथा संत वेशधारी अनेक बाबा घृणित आरोपों में घिरे हैं" - सच्ची और अच्छी बात प्रेरक आलेख

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर लिखा है और आपके लिखने का अंदाज़ बहुत अच्छा है | कभी हमारे ब्लॉग पर भी आये -

    jazbaattheemotions.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. " बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये
    लिंक पर जाकर रजिस्टर करें
    . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
    जनोक्ति.कॉम www.janokti.com एक ऐसा हिंदी वेब पोर्टल है जो राज और समाज से जुडे विषयों पर जनपक्ष को पाठकों के सामने लाता है . हमारा प्रयास रोजाना 400 नये लोगों तक पहुँच रहा है . रोजाना नये-पुराने पाठकों की संख्या डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है . 10 हजार के आस-पास पन्ने पढ़े जाते हैं . आप भी अपने कलम को अपना हथियार बनाइए और शामिल हो जाइए जनोक्ति परिवार में !

    जवाब देंहटाएं
  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    जवाब देंहटाएं

हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्‍यवसायिक ब्‍लोगर्स की अभिव्‍याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।

Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.

Popular Posts

Followers