इधर मंदीका दौर अचानक आ धमका तो युवाओं के चमकीले चेहरे एकदम बे नूर हो गए। नौकरियों केलाले पड़ने लगे। जो घंटों नौकरी पर जाने से पहले सौंदर्य प्रसाधनों से खुद को नखसे शिख तक पोते रखते थे वे बेरोजगार हो गए तो उनका उद्योग बंद होने के कगार पर आपहुंचा।
युवाओं केसाथ साथ वे भी परेशान हो उठे। अब क्या बेचें ? किसे बेचें ?उन्होंने आनन फानन में अपनी एमबीए कीटीम की मीटिंग
बुलाई,‘ हे मेरे प्रोडक्ट्सके जुझारू विक्रताओं! जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे देश में ही नहीं, पूरे विश्व मेंमंदी को दौर चल रहा है। युवाओं को चाय का कप तक कमाना मुश्किल हो रहा है ऐसे मेंहमारे कास्मेटिक्स कोई खरीदे भी तो कैसे? जो खरीद भी रहे हैं उनके चेहरे मंदी के कारणऔर भी लटकते जा रहे हैं और वे अपने चेहरों के लटकने का कारण वैश्विक मंदी को नमान कर हमारे प्रॉडक्टस के हल्केपन को मान रहे हैं। दोष उनका भी नहीं। खैर छोडो!अब मुद्दा यह है कि बाजार में बने रहने के लिए क्या बनाया जाए? कहीं ऐसा न होकि मुझे भी आप लोगों की छंटनी करनी पड़े।' छंटनी का नाम सुनते ही सारे के सारे मीटिंगमें बैठे एमबीओं के चेहरे लटक गए।
एक ने पलकझपकते कहा,‘सर! मेरेहिसाब से अब धूप बनाया जाए। 'उसने कहा तो बगल वाले दोनों हंस पड़े। मालिक भी हंसना चाहरहा था पर वह गंभीर रहा। कुछ देर सोचने का नाटक करने के बाद पूछा,‘धूप क्यों?'
‘सर मैंने इतिहासपढ़ा है। और इतिहास कहता है कि हम उस समय जब विदेशी आक्रमणों से खुद को बचातेबचाते थक गए थे तो हमने हार स्वीकार कर ली थी।'
‘तो?'
‘ मनुष्य के पासहारने के बाद जब कोई रास्ता नहीं रहता तो वह कहीं और जाए या न जाए पर भगवान कीशरण में अवश्य चला चला जाता है।'
‘तो??' मालिक की दिलचस्पीउसकी बात में कुछ और बढ़ी।
‘भगवान की पूजाकरने के लिए धूप की तो जरूरत पड़ेगी ही न सर!'
‘तो??'
‘ तो तय है सर!मंदी के कारण पूरे समाज के साथ हमारा युवा वर्ग कहीं और जाए या न जाए ईश्वर कीशरण में जरूर जाएगा।'
‘तो?'
‘तो सर इन दिनोंबाजार में कुछ बिके या न धूप बहुत बिकेगा। जितना चाहे धूप बनाओ, धूप की मांग कमनहीं होगी। मंदी के मारों के पास भगवान की शरण में जाने के सिवाय और कोई रास्ताहै ही नहीं। और भगवान के पास धूप के बिना जाना घोर अपराध बताया गया है शास्त्रोंमें। मंदी के दिनों में मनुष्य अपराध करने से तो नहीं डरता पर घोर अपराध करने सेबहुत डरता है। मेरी विनम्र राय है कि अगर हम कास्मेटिक्स बनाना बंद कर धूप बनानेका काम शुरू कर दें तो कंपनी के वारे न्यारे होंगे। आजकल धूप की इतनी मांग है किधूप में चाहे तारकोल भी डाल दी जाए तो भी किसी को शिकायत न होगी। '
‘पर धूपों से तोबाजार अटा पड़ा है।'
‘पर हम मल्टीपरपजधूप बनाएंगे सर! आई मीन वन फॉर आल।'
और उनकीकंपनी ने समाज की नब्ज पकड़ धूप बनाने का काम शुरू कर दिया।
धूप बन करतैयार हो गया तो धूप का नामकरण करने की बारी आई। धूप के मालिक ने एकबार फिर अपनेएमबीओं की आपात बैठक बुलाई। एमबीओं को संबोधित करते हुए धूप के मालिक ने कहा,‘ हमारा धूप बन करतैयार हो गया है। अब उसका नामकरण करना श्ोष है। कोई ऐसा नाम बताइए कि धूप दुकानोंमें जाने से पहले ही उठ जाए।'
काफी देरतक सभी सोच में डूबे रहे। कुछ देर के बाद एक ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे एमबीए नेसन्नाटा तोड़ते़ कहा,‘ हनुमान धूप नाम रखें सर!'
‘क्यों?'
‘हनुमान संकटमोचक हैं। अतः इस धूप को लेकर जनता को लगेगा कि इसके प्रयोग से उनके संकट गायब होजाएंगे।'
‘पर हनुमान तोयति हैं। इससे धूप का बाजार सीमित हो जाएगा सर!' दूसरे एमबीए नेकहा तो उसके तर्क में दम देख धूप का मालिक पहले को घूरने लगा।
‘ तो गणेश छाप धूपनाम रखें सर!'तीसरेएमबीए ने सुझाव दिया।
‘नहीं, गणेश बाजार मेंऔर भी बहुत कुछ बेच रहे हैं । उनको और एक्सप्लाइट् करना घाटे का काम रहेगा सर!' चौथे एमबीए नेकहा।
‘ देखिए, आप लोग अक्ल सेकाम क्यों नहीं ले रहे। धूप को एक धर्म से जोड़ने पर दूसरे धर्मों के लोग उसेकहां खरीदेंगे?जबकि आजमंदी के दौर से उबरने के लिए धूप सभी धर्मों के लोगों के लिए जरूरी है। ऐसा करनेसे धूप की मार्किट कम नहीं हो जाएगी क्या? नॉन सेक्यूलर् देश में इस वक्त सेक्यूलर्धूप की जरूरत है।'
‘पर सर देश मेंसेक्यूलर् सेक्यूलर् भी नहीं।' पांचवे एमबीए ने कहा।
‘तो उसका नामरखते हैं सेक्यूलर् धूप।' हाथी की टांग में सबकी टांग।
और सेक्यलर्धूप के विज्ञापन बन गए- जो मंदी को भगाना चाहें, तो सच्चेप्रतिनिधि हर नुक्कड़ पर सेक्यूलर् धूप जलाएं। महंगाई से चाहो जो छुटकारा पाना, तो सुबहो शाम घरमें चूल्हे से पहले सेक्यूलर् धूप जलाना। जो झेल रहे हों बेरोजगारी की मार, मुक्ति के लिएसेक्यूलर् धूप बस एक बार। न चाय, न काफी, न सूप, हर एक का जीवन रक्षक सेक्यूलर् धूप। सेक्यूलर्धूप आप चाहे झुग्गी में जलांए,चाहे किराए के मकान में जलाएं, चाहे बंगले परजलाएं, जहां भी जलाएंकेवल और केवल खुशहाली पाएं। गंगू तेली का प्यारा सेक्यूलर् धूप! राजा भोज कादुलारा सेक्यूलर् धूप। जो बीवी से करे प्यार, वो सेक्यूलर्धूप से कैसे करे इनकार! सेक्यूलर् धूप घर में लाइए, हरेक श्मशानमें समृद्धि पाइए। तीनों लोकों का दुलारा, सेक्यूलर् धूप हमारा। जब जब भगवान होंपरेशान, उनके लबों पर भीबस एक ही नाम! सेक्यूलर् धूप!!
और लोगहैं कि आटे की जगह भी धूप ही खरीद रहे हैं। धूप बाहर के देशों को भी धड़ाधड़ आयातहो रहा है। वाह! भूखे पेट भजन होई गोपाला??
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लोगर्स की अभिव्याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।
Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.