बदलता वक्त
बदलते वक्त ने
बदला हर नज़र को
काटों से भर दिया
मेरे इस चमन को
कि हर सुमन के हिस्से में
बस एक उदासी है
न समझ पाया वो फिजां को
क्यों इतना जज़्बाती है
जब जब है वो टुटा डाली से
हर सपना उसका चूर हुआ
मुरझाना ही है नसीब उसका
ये उसको महसूस हुआ
मुरझाना ही है नसीब उसका
ये उसको.....................!!
सुमन ‘मीत’
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बदलता वक्त
Posted by सु-मन (Suman Kapoor)
Posted on सोमवार, दिसंबर 13, 2010
with 3 comments
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3 comments:
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न समझ पाया वो फिजां को
जवाब देंहटाएंक्यों इतना जज़्बाती है
जब जब है वो टुटा डाली से
हर सपना उसका चूर हुआ
अत्यधिक संवेदनशील व्यक्ति जल्दी व्यथित होता है। सुन्दर रचना। शुभकामनायें।
BILKUL HAQIKAT LIKHI HAI AAPNE
जवाब देंहटाएंKULUVI
Nirmla ji,Kuluvi ji shukriya....
जवाब देंहटाएं