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हिमाचल के लेखकों के लेखन की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान


 ठियोग के डिग्री कॉलेज में साहित्यिक संस्था 'सर्जक की ओर शनिवार को  रखी गई संगोष्ठी में हिमाचल के लेखकों के लेखन की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और उसके सरोकारों को लेकर विचार विमर्श हुआ। इसमें प्रदेश से बाहर से आए वरिष्ठ लेखक और आलोचक सत्यपाल सहगल ने कई टिप्स लेखकों को दिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में लिखा जा रहा साहित्य किसी तरह भी कमतर नहीं है। उन्होंने कविताओं में अध्यात्म की भी वकालत की। ठियोग में इतने सारे लेखकों के जुटने पर उनका कहना था कि ठियोग प्रदेश की साहित्यिक राजधानी बनता जा रहा है। पहले यह स्थान मंडी को हासिल था। हाल ही में बिहार की 'जनपथ और मध्यप्रदेश की 'आकंठा पत्रिकाओं की और से निकाले गए हिमाचल विशेषांकों के लिए संपादकों अनंत कुमार सिंह और हरिशंकर अग्रवाल का आभार जताया और हिमाचल के वर्तमान लेखन को समग्रता के साथ देश भर के पाठकों के सामने लाने के लिए उन्हें साधुवाद दिया। सर्जक के इस कार्यक्रम का दूसरा सत्र और भी सफल रहा जब हाल में प्रदेश के लगभग सभी वर्तमान हिन्दी कवियों ने अपनी बेहतरीन कविताएं सुनाईं। एक और जहां प्रदेश के स्थापित कवियों अवतार एनगिल, तेजराम शर्मा, रेखा, मधुकर भारती ने अपनी ताजा कविताएं सुनाईं, वहीं आजकल के चर्चित युवा कवियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। ऊना के कुलदीप शर्मा ने अपनी कविता 'सिक्योरिटी गार्ड के जरिए वर्तमान युवा पीढ़ी के असंतोष की ऐसी तस्वीर खींची कि हाल देर तक तालियों से गूंजता रहा। ऊना के ही युवा शायर शाहिद अंजुम ने अपनी गजलों के शेरों में परिवारों के टूटने, रिश्तों के बिखरने और महीन संवेदनाओं की परतें खोलते कई बिंब खींचे। उनकी एक बानगी देखिए-- अब तो मां बाप भी मुल्कों की तरह मिलते हैं-सरहदों की तरह औलाद भी बंट जाती है। केलंग से आए अजेय ने भी अर्थों की गहराई लिए कविता सुनाई। सुरेश सेन निशांत-सुंदरनगर, यादवेंद्र शर्मा, आत्माराम रंजन, ओम भारद्वाज, प्रकाश बादल, सुदर्शन वशिष्ठ, बद्री सिंह भाटिया, सत्यनारायण स्नेही, मोनिका, रत्न चन्द निर्झर, अरुण डोगरा, हरिदत्त वर्मा, देवेन्द्र शर्मा, वेद प्रकाश, सुनील ग्रोवर, मोहन आदि दो दर्जन कवियों ने कविता पाठ किया। पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ. सत्यपाल सहगल और दूसरे सत्र की अध्यक्षता अवतार एन. गिल ने की। मंच संचालन सुदर्शन वशिष्ठ और आत्माराम रंजन ने किया।

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