उनके शहर से हम चले जब जाएंगे
कैसे कहें फ़िर लौटकर कब आएंगे
जैसे तलाशेंगे कहीं भी वो सकूँ
यादों ज़हन में तो हमें तब पाएंगे
ऐसा नहीं के बिन हमारे कुछ थमे
ये भी नहीं के भूल वो सब जाएंगे
चाहत करीबी की सतायेगी कभी
ज़हनो ज़िगर में यार हम तब छाएंगे
हम तो फकीरों सी जिये सारी खुशी
उन्हें यहाँ की दे खुशी सब जाएंगे !!
सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंनिशा जी,
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार !
निशा जी,
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु हार्दिक आभार !
बेज़ार जी,
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु हार्दिक आभार !