जीने की आस है
जो छोड़ जाता है
बदलने के लिए
एक नया मंजर है कहीं
अँधेरा छोड़ देता है
कहीं बदलाव की स्थिति
पनपते हुये नहीं दिखती
इस संघर्ष में फिर भी
गुजरना चाहता हूँ
हासिल करना चाहता हूँ
अपने मकाम को
संघर्ष जो हमें कचोटती है
उसे छोड़ने के लिए निरंतर
फिर भी लड़ रहा हूँ एक नये
परिवेश के लिए |
जो छोड़ जाता है
बदलने के लिए
एक नया मंजर है कहीं
अँधेरा छोड़ देता है
कहीं बदलाव की स्थिति
पनपते हुये नहीं दिखती
इस संघर्ष में फिर भी
गुजरना चाहता हूँ
हासिल करना चाहता हूँ
अपने मकाम को
संघर्ष जो हमें कचोटती है
उसे छोड़ने के लिए निरंतर
फिर भी लड़ रहा हूँ एक नये
परिवेश के लिए |
खुबसूरत रचना.....नववर्ष की शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएंadbhut rachna
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