हिंदी ब्लॉग जगत के नज़रिए से वर्ष-२०११
महत्वपूर्ण ही नहीं वल्कि ऐतिहासिक भी रहा है ।
हालाँकि हिंदी ब्लॉग जगत अपने जन्म से हीं सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करता आ रहा है ।लेकिन वर्ष-२०११ की ऐतिहासिकता का अपना एक अलग महत्व है ।क्योंकि इस वर्ष उसके हलचलों की वैश्विक स्तर पर केवल चर्चा ही नहीं हुयी है वल्कि इस बात को भी स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया कि आम भारतीयों की स्थिति को हिंदी ब्लॉग जगत ने जितना वेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है उतना न तो हिंदी की इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने और न प्रिंट मीडिया ने ही प्रस्तुत किया इस वर्ष । यानी इस वर्ष हिंदी ब्लॉगिंग ने न्यू मीडिया के रूप में अपनी भूमिका का पूरा निर्वाह किया है ।
वर्ष-२०११ की शुरुआत एक ऐसी संगोष्ठी से हुयी,जहां पहले प्रयोग के तहत वेबकास्टिंग से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पूरे विश्व में हुआ । प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड के खटीमा कसबे में यह आयोजन हुआ ११ जनवरी को, जिसमें उपस्थित हुए देश भर के ब्लॉगर और साहित्यकारडा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की सद्यःप्रकाशित दो पुस्तकों क्रमशः सुख का सूरज (कविता संग्रह) एवं नन्हें सुमन (बाल कविता का संग्रह) का लोकार्पण भी हुआ।
२२ जनवरी को आदर्श नगर दिल्ली में आयोजित ब्लॉगर संगोष्ठी में अविनाश वाचस्पति ने तो यहाँ तक कह दिया कि"हिन्दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए ।हिंदी भाषा के प्रचार एवं प्रसार के संकल्प को आगे बढ़ने के उद्देश्य से ०१ फरवरी को एक नयी ई पत्रिकाहमारी वाणी का आगमन हुआ,किन्तु वर्ष के समापन के पूर्व ही यह पत्रिका बंद हो गयी ।
४ फरवरी को हिंदी चिट्ठाकारी के प्रखर स्तंभ श्री समीर लाल समीर (ब्लॉग :उड़न तश्तरी )के सम्मान में दिल्ली स्थित कनाट प्लेस वुमेन्स प्रेस क्लब में एक ब्लोगर मिलन का आयोजन हुआ ,जिसमें श्री वो श्रीमती समीर लाल समीर, सतीश सक्सेना,अविनाश वाचस्पति, अजय कुमार झा , रवीन्द्र प्रभात, श्री वो श्रीमती राजीव तनेजा, सर्जना शर्मा,वन्दना गुप्ता,प्रतिभा कुशवाहा,श्रीमती व श्री खुशदीप सहगल,महफूज़ अली,कार्टूनिस्ट इरफ़ान ,शाहनवाज़ ,गीता श्री , मंजरी चतुर्वेदी और शंभू जी आदि उपस्थित हुए !
नज़ाकत, नफ़ासत और तमद्दुन का शहर लखनऊ में०७ फरवरी की शाम मीडिया और ब्लॉग जगत के नाम रही ! मीडिया जगत के इतिहास में जहां इस दिन एक नया पन्ना जुड़ा, वहीं बाहर से आये और शहर के कुछ नामचीन ब्लॉगरों व साहित्यकारों के बीच खुलकर हुई बिभिन्न सामाजिक मुद्दों पर चर्चा ।अवसर था हिंदी के चर्चित ब्लॉगर डा. सुभाष राय के संपादन में प्रकाशित हिंदी दैनिक "जन सन्देश टाईम्स " के लोकार्पण का !
८-९-१० फरवरी को यमुना नगर (हरियाणा) में प्रवासी सम्मलेन हुआ जिसमें सुप्रसिद्ध कथाकारएवं हंस पत्रिका के संपादक राजेंद्रयादव ने कहा कि "निर्वासित होने का दर्द हम सबके भीतर बना रहता है।दिल्ली भी प्रवासियों का शहर है।विदेशों में रह रहे कि भारतीय वहांके लोगों के साथ उतने आत्मसातनहीं हो पाते, जितना उन्हें होनाचाहिए।" २५-२६ फरवरी को कविता समय आयोजन में पहला कविता समय सम्मान हिंदी के वरिष्ठतम कवियों में एक चंद्रकांत देवताले को और पहला कविता समय युवा सम्मानयुवा कवि कुमार अनुपम को दिया गया ।’’बदलती परिस्थितियों के कारण बदलते समाज की मिटती खूबसूरती को मिटने से बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया।’’ ये उद्गार दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोपेश्वर सिंह ने पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य) द्वारा ‘ग्लोबल मीडिया और हिन्दी पत्रकारिता’ विषय पर फरवरी के आखिर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। 05 मार्च 2011 को नई दिल्ली में हिन्द-युग्म वर्ष 2010 का वार्षिकोत्सव मनाया गया ।
30 अप्रैल 2011 को दिल्ली के हिंदी भवनमें परिकल्पना ने हिंदी साहित्य निकेतन और नुक्कड़ के सहयोग से एक भव्य आयोजन किया । इस अवसर पर देश और विदेश में रहने वाले लगभग 400 ब्लॉगरों की उपस्थिति रही, जिसमें परिकल्पना समूह के तत्वावधान में इतिहास में पहली बार आयोजित ब्लॉगोत्सव 2010 के अंतर्गत चयनित 51 ब्लॉगरों का सारस्वत सम्मान किया गया ।इसी क्रम में इसी मंच से नुक्कड़ के द्वारा भी 13 विषय विशेषज्ञ ब्लॉगरों का सम्मान किया गया । इस अवसर पर दो नई प्रकाशित पुस्तकों क्रमश: हिंदी ब्लॉगिंग:अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति और उपन्यासताकि बचा रहे लोकतंत्र का विमोचन, परिचर्चाएँ एवं सांस्कृतिक संध्या आदि कार्यक्रम भी विशेष आकर्षण में रहे । पूरे कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण इंटरनेट के माध्यम से समूचे विश्व में किया गया ।
ललित शर्मा और डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में 04 मई 2011 को आयोजित की गयी थी ....जिसका विषय "हिंदी भाषा भाषा न्यू मिडिया : संभावनाएं और चुनौतियां" था । यह संभवतः हिंदी ब्लॉगिंग , भाषा और न्यू मीडिया को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाली पहली संगोष्ठी थी।
बदलती परिस्थितियों के कारण बदलते समाज की मिटती खूबसूरती को मिटने से बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया। यह सन्देश आया दिल्ली स्थित पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य) में ग्लोबल मीडिया और हिंदी पत्रकारिता विषय पर 16 -17 मई को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में। इस संगोष्ठी में प्रो.गोपेश्वर सिंह ने जहा यह स्वीकार किया किमूल्यों को बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया वहीँ हिंदी के चर्चित ब्लॉगर और पत्रकार रवीश कुमार ने कहा कि बाज़ार के इस दौर में हिन्दी पत्रकारिता को यदि अन्य भाषाओं की पत्रकारिता का मुकाबला करना है तो निश्चित रूप से उसे आम आदमी की भाषा में अपनी बात कहनी होगी। इस संगोष्ठी में वहुचर्चित ब्लॉगर अविनाश दास और अविनाश वाचस्पति भी उपस्थित थे । डा. हरीश अरोरा ने इस संगोष्ठी का संचालन किया था ।
मई में हीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्रिका ‘सीमापुरी टाइम्स’ युवा लेखक व पत्रकार फ़ज़ल इमाम मल्लिक को उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड-२०११’ देने का फैसला लिया। फ़ज़ल इमाम मल्लिक दिल्ली से प्रकाशित हिंदी दैनिक ‘जनसत्ता’ से जुड़े हैं। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘सनद’ और ‘ऋंखला’ का संपादन भी किया है ।फ़ज़ल इमाम मल्लिक के अलावा अवार्ड ग्रहण करने वाले प्रमुख लोगों में डॉ. ओ.पी.सिंह -पूर्व महानिदेशक स्वास्थ्य उ.प्र., डॉ.संजय महाजन- (स्वास्थ्य), सुश्री अलका लाम्बा-प्रेसिडेंट गो इंडिया संस्था- (समाज सेवा), डॉ.जगदीश गाँधी-प्रबंधक सी एम एस लखनऊ , श्री ओ.एस.यादव-प्रधानाचार्य केंद्रीय विधालय कानपूर (शिक्षा), श्री पंकज शुक्ल संपादक नई दुनिया- मुंबई , श्री चंडीदत्त शुक्ल-समाचार संपादक स्वाभिमान टाइम्स ,श्री अमलेंदु उपाध्याय-संपादक हस्तक्षेप.कॉम, सुश्री श्वेता रश्मि-प्रोडूसर महुआ न्यूज़ - (इलेक्ट्रानिक मीडिया) श्री पंकज चतुर्वेदी-संपादक नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली - (लेखन), श्री अमिताभ ठाकुर -(आईपीएस )-,श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच (तकनीक),श्री ललित गाँधी प्रेसिडेंट शातुरंजय ग्रुप , श्री सुनील सरदार संयोजक सत्य शोधक समाज (सामाजिक परिवर्तन),श्री राकेश राजपूत फिल्म अभिनेता (अभिनय),श्री एम.के.चौबे-महाप्रबंधक अदानी पॉवर प्रोजेक्ट राजस्थान - (बेस्ट मैनेजमेंट),श्री कमल कान्त तिवारी (बाल सेवा),श्री बिमलेश त्रिपाठी (साहित्य), तन्मय चतुर्वेदी-सा-रे-गा-मा-पा लिटिल चैम्प (टैलेंट हंट) शामिल है।
२२ मई २०११, नन्हीं जलपरी के देश की राजधानी डेन्मार्क के प्रथम सांस्कृतिक कैफे ट्रांकेबार में वैश्विक समुदाय की संरक्षक श्रीमती पूर्णिमा वर्मन का भव्य स्वागत किया गया, जिसमें भारतीय मूल के धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बदलती परिस्थितियों के कारण बदलते समाज की मिटती खूबसूरती को मिटने से बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया। यह सन्देश आया दिल्ली स्थित पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य) में ग्लोबल मीडिया और हिंदी पत्रकारिता विषय पर 16 -17 मई को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में। इस संगोष्ठी में प्रो.गोपेश्वर सिंह ने जहा यह स्वीकार किया किमूल्यों को बचाने के लिए जरूरी है वैकल्पिक मीडिया वहीँ हिंदी के चर्चित ब्लॉगर और पत्रकार रवीश कुमार ने कहा कि बाज़ार के इस दौर में हिन्दी पत्रकारिता को यदि अन्य भाषाओं की पत्रकारिता का मुकाबला करना है तो निश्चित रूप से उसे आम आदमी की भाषा में अपनी बात कहनी होगी। इस संगोष्ठी में वहुचर्चित ब्लॉगर अविनाश दास और अविनाश वाचस्पति भी उपस्थित थे । डा. हरीश अरोरा ने इस संगोष्ठी का संचालन किया था ।
मई में हीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्रिका ‘सीमापुरी टाइम्स’ युवा लेखक व पत्रकार फ़ज़ल इमाम मल्लिक को उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड-२०११’ देने का फैसला लिया। फ़ज़ल इमाम मल्लिक दिल्ली से प्रकाशित हिंदी दैनिक ‘जनसत्ता’ से जुड़े हैं। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘सनद’ और ‘ऋंखला’ का संपादन भी किया है ।फ़ज़ल इमाम मल्लिक के अलावा अवार्ड ग्रहण करने वाले प्रमुख लोगों में डॉ. ओ.पी.सिंह -पूर्व महानिदेशक स्वास्थ्य उ.प्र., डॉ.संजय महाजन- (स्वास्थ्य), सुश्री अलका लाम्बा-प्रेसिडेंट गो इंडिया संस्था- (समाज सेवा), डॉ.जगदीश गाँधी-प्रबंधक सी एम एस लखनऊ , श्री ओ.एस.यादव-प्रधानाचार्य केंद्रीय विधालय कानपूर (शिक्षा), श्री पंकज शुक्ल संपादक नई दुनिया- मुंबई , श्री चंडीदत्त शुक्ल-समाचार संपादक स्वाभिमान टाइम्स ,श्री अमलेंदु उपाध्याय-संपादक हस्तक्षेप.कॉम, सुश्री श्वेता रश्मि-प्रोडूसर महुआ न्यूज़ - (इलेक्ट्रानिक मीडिया) श्री पंकज चतुर्वेदी-संपादक नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली - (लेखन), श्री अमिताभ ठाकुर -(आईपीएस )-,श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच (तकनीक),श्री ललित गाँधी प्रेसिडेंट शातुरंजय ग्रुप , श्री सुनील सरदार संयोजक सत्य शोधक समाज (सामाजिक परिवर्तन),श्री राकेश राजपूत फिल्म अभिनेता (अभिनय),श्री एम.के.चौबे-महाप्रबंधक अदानी पॉवर प्रोजेक्ट राजस्थान - (बेस्ट मैनेजमेंट),श्री कमल कान्त तिवारी (बाल सेवा),श्री बिमलेश त्रिपाठी (साहित्य), तन्मय चतुर्वेदी-सा-रे-गा-मा-पा लिटिल चैम्प (टैलेंट हंट) शामिल है।
२२ मई २०११, नन्हीं जलपरी के देश की राजधानी डेन्मार्क के प्रथम सांस्कृतिक कैफे ट्रांकेबार में वैश्विक समुदाय की संरक्षक श्रीमती पूर्णिमा वर्मन का भव्य स्वागत किया गया, जिसमें भारतीय मूल के धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस वर्ष कविता कोष सम्मान की भी उद्घोषणा हुई,प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह 07 अगस्त 2011 को जयपुर में जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में संपन्न हुआ। इसमें दो वरिष्ठ कवियों (बल्ली सिंह चीमा और नरेश सक्सेना) एवं पाँच युवा कवियों (दुष्यन्त, अवनीश सिंह चौहान, श्रद्धा जैन, पूनम तुषामड़ और सिराज फ़ैसल ख़ान) को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में वरिष्ठ कवि श्री विजेन्द्र, श्री ऋतुराज, श्री नंद भारद्वाज एवं वरिष्ठ आलोचक प्रो. मोहन श्रोत्रिय भी उपस्थित थे। समारोह में बल्ली सिंह चीमा एवं नरेश सक्सेना का कविता पाठ मुख्य आकर्षण रहे। कविता कोश के प्रमुख योगदानकर्ताओं को भी कविता कोश पदक एवं सम्मानपत्र देकर सम्मानित किया गया।
११ सितंबर को भारतीय जन नाट्य संघ की उत्तर प्रदेश इकाई और लोकसंघर्ष पत्रिका के तत्वावधान में लखनऊ के कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में सहारा इंडिया परिवार के अधिशासी निदेशक श्री डी. के. श्रीवास्तव के कर कमलों द्वारा मेरी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास “ का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक श्री मुद्रा राक्षस, दैनिक जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक डा. सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार श्री विरेन्द्र यादव, श्री शकील सिद्दीकी, रंगकर्मी राकेश जी,पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी, साहित्यकार डा. गिरिराज शरण अग्रवाल आदि उपस्थित थे ।
वर्ष 2011 के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' 14 नवम्बर 2011 को विज्ञानं भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ द्वारा प्रदान किये गए. विभिन्न राज्यों से चयनित कुल 27 बच्चों को ये पुरस्कार दिए गए, जिनमें मात्र 4 साल 8 माह की आयु में सबसे कम उम्र में पुरस्कार प्राप्त कर अक्षिता (पाखी) ने एक कीर्तिमान स्थापित किया. गौरतलब है कि इन 27 प्रतिभाओं में से 13 लडकियाँ चुनी गई हैं. सम्प्रति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भारतीय डाक सेवा के निदेशक और चर्चित लेखक, साहित्यकार, व ब्लागर कृष्ण कुमार यादव एवं लेखिका व ब्लागर आकांक्षा यादव की सुपुत्री और पोर्टब्लेयर में कारमेल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में के. जी.- प्रथम की छात्रा अक्षिता (पाखी) को यह पुरस्कार कला और ब्लागिंग के क्षेत्र में उसकी विलक्षण उपलब्धि के लिए दिया गया है ।
वर्ष के प्रारंभ में जहां हिंदी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक "हिंदी ब्लॉगिंग: अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति" प्रकाशित हुई,वहीँ वर्ष के मध्य में"हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास" तथा वर्ष के अंत में आई हिंदी ब्लॉगिंग की तीसरी पुस्तक" हिंदी ब्लॉगिंग,स्वरुप-व्याप्ति और संभावनाएं " । .
उल्लेखनीय है कि ९-१० दिसंबर को यू. जी. सी. संपोषित ब्लॉगिंग पर पहली संगोष्ठी कल्याण में हुई । इस संगोष्ठी का 'वेब कास्टिंग' के माध्यम से पूरी दुनिया में जीवंत प्रसारण (लाईव वेबकास्ट) हुआ । इस अवसर पर डा. मनीष मिश्र के संपादन में प्रकाशित ब्लॉगिंग की तीसरी पुस्तक का लोकार्पण हुआ । दो दिवसीय यह संगोष्ठी कुल छ: सत्रों में विभाजित था ।इस संगोष्ठी में संपूर्ण भारत से प्रतिभागी आये, इनमें दिल्ली से अविनाश वाचस्पति और हरीश अरोड़ा, मेरठ से डा. अशोक मिश्र, लखनऊ से रवीन्द्र प्रभात और सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी, हिमाचल प्रदेश से केवल राम,कोलकाता से शैलेश भारतवासी और आशीष मेहता,कानपुर से मानव मिश्र,भोपाल से रवि रतलामी,पंजाब से डा. अशोक कुमार, मुम्बई से श्रीमती अनिता कुमार,युनुस खान और अनूप सेठी इत्यादि. साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार श्री आलोक भट्टाचार्या भी इस संगोष्ठी में सम्मिलित हुए. विभिन्न महाविद्यालयों -विश्वविद्यालयों से जुड़े प्राध्यापक भी बड़ी संख्या में इस संगोष्ठी में शामिल थे ।
पहली बार देश से बाहर वर्ष के आखिर में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किसी अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन में हिन्दी के चार ब्लॉगर एकसाथ सम्मानित हुए, जिसमें रवीन्द्र प्रभात , नुक्कड़ ब्लॉग की मॉडरेटर गीता श्री,कथा लेखिका अलका सैनी(चंडीगढ़)और उडिया भाषा के अनुवादक ब्लॉगर दिनेश कुमार माली प्रमुख थे । इसके अलावा दैनिक भारत भास्कर के संपादक संदीप तिवारी,लघु पत्रकारिता के लिए आधारशिला के संपादक दिवाकर भट्ट (देहरादून),वरिष्ठ कवि और पत्रकार सुधीर सक्सेना, ग़ज़लगो सुमीता केशवा (मुंबई) तथा पत्रकारिता के लिए बीपीएन टाईम्स के संपादक ताहिर हैदरी (रायपुर), पीपुल्स समाचार दैनिक के युवा पत्रकार ब्रजेश शुक्ला (जबलुपुर) को भी सृजनश्री सम्मान से अलंकृत किया गया ।
उल्लेखनीय है कि साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध साहित्यिक संस्था (वेब पोर्टल )सृजन गाथा डॉट कॉम पिछले पाँच वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं । इसके अलावा वह तीन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों का संयोजन भी कर चुकी है जिसका पिछला आयोजन मॉरीशस में किया गया था । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी-संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के लिए संस्था द्वारा, किये जा रहे प्रयासों और पहलों के अनुक्रम में इस बार 15से 21 दिसंबर तक थाईलैंड में चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में हिंदी के आधिकारिक विद्वान,अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट एवं अनेक हिंदी प्रचारक के रूप में डॉ. डी.के.जोशी, डॉ. कल्पना टेंभुलकर, डॉ. सुखदेव,अखिल सिंह, डॉ. सत्यविश्वास, क्रियेटिव्ह टेव्हल्स के डायरेक्टर विक्की मल्होत्रा, सन्नी मलहोत्रा सहित 50 से अधिक भारतीय तथा थाईलैंड के संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया तथा बैंकाक, पटाया, कोहलर्न आईलैंड, कोरल आईलैंड, थाई कल्चरल शो, गोल्डन बुद्ध मंदिर, विश्व की सबसे बड़ी जैम गैलरी, सफारी वर्ल्ड आदि स्थलों का सांस्कृतिक अध्ययन और पर्यटन के अवसर का भी लाभ उठाया ।
जहां तक बच्चों के ब्लौग का सवाल है, बच्चों को मानसिक खुराक देने के उद्देश्य से संचालित चिट्ठों की श्रेणी में इस वर्ष ‘बाल उद्यान’ कुछ ज्यादा मुखर दिखा । इसके अलावा ‘नन्हा मन’ ,‘नन्हें-मुन्ने’ और‘बाल-संसार’ पर भी विविधतापूर्ण रोचक और पठनीय सामग्री पढ़ने को मिली है । बच्चों से जुड़े तमाम ब्लॉगों की भीड़ में इस वर्ष एक ऐसा ब्लॉग भी दिखा जो अपने पवित्र आदर्शों को इस वर्ष भी पूरी तरह निभाया है, नाम है ‘नन्हे पंख’ । यह ब्लॉग अपने आप में विशिष्ट इसलिए भी है कि इस ब्लॉग के माध्यम से मानसिक रूप से बिकलांग बच्चों की आवाज़ उठाकर जन चेतना जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है ।
एक ओर जहाँ इन्टेरनेट पर बच्चोंक के लिए रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक सामग्री से सुसज्जित ब्लॉगों की संख्या पिछले कुछ एक सालों में तेजी से बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर ऐसे ब्लॉग भी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं जिनमें अभिभावक अपने बच्चों की गतिविधियों पर केन्द्रित सामग्री का प्रकाशन करते हैं। इस श्रेणी के ब्लॉग में इस वर्ष अग्रणी रहा है ‘आदित्यु’ , ‘पाखी की दुनिया’ , ‘लविज़ा’ , ‘माधव’,‘अक्षयाँशी’ , ‘जादू’ व , ‘नन्ही परी’। ये तमाम ब्लॉ.ग एक तरह से बचपन की ऑनलाइन डायरी के समान हैं, जहाँ पर बच्चों की गतिविधयाँ सचित्र रूप में लगातार दर्ज हो रही हैं। बुलंदशहर के एक गाँव के जन्में ओमप्रकाश यूँ तो साहित्य की सभी विधाओं के महारथी हैं, पर उनकी सबसे दृढ़ पहचान अगर किसी क्षेत्र में है, तो वह बाल साहित्य में है। बच्चों के समग्र विकास के लिए लिखे जाने वाले साहित्य की श्रेणी में उनके दो ब्लॉग उनके ‘आखरमाला’ और ‘संधान’ पर इस वर्ष भरपूर मात्रा में वैचारिकता और साहित्यिकता का भरपूर संगम देखने को मिला ।बच्चों के ब्लॉग की चर्चा करने की दिशा में बाल चर्चा मंच इस वर्ष काफी अग्रणी रहा।
बाल-हित चिंतकों का एक ऐसा वर्ग समाज में अब भी सक्रिय है, जो अपनी बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग बचपन को बचाने और संवारने में करता दीखता है। ऐसे ही एक सजग चिंतक हैं हेमंत कुमार, जो लगातार कई वर्षों से विपरीत हवाओं के बावजूद अपने ब्लॉग‘क्रिएटिव कोना’ एवं ‘फुलबगिया’ के द्वारा इस शमा को जलाए हुए हैं।इस वर्ष भी इसपर अनेक उपयोगी पोस्ट देखे गए ।
मासूम बच्चे की तरह संवेदनाओं का पुष्प खिलने वाली महिला ब्लॉगरों की श्रेणी में इस वर्ष कुछ ज्यादा मुखर दिखीं आराधना चतुर्वेदी । उनके व्यक्तिगत ब्लॉग ‘आराधना का ब्लॉग’ पर ढ़रों अच्छी-अच्छी कहानियाँ पढ़ने को मिली है ।
ब्लॉगर को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की दिशा में रवि रतलामी ने अपने ब्लॉग छीटें और बौछारेंपर जनवरी से अक्टूबर तक लगातार जानकारीपूर्ण आलेख परोसते रहें, किन्तु वर्ष के दो महीने वे पूरी तरह आसपास की बिखरी हुयी कहानियों को सहेजते नज़र आए । जबकि कनिष्क कश्यप ब्लॉग प्रहरी में तरह-तरह के सुधार करते नज़र आए । शाहनवाज़ हमारी वाणी पर ब्लॉग की बारीकियों को समझाते नज़र आए । ई पंडित श्रीश शर्मा विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुछ ज्यादा सक्रिय दिखे । रविन्द्र पुंजकी गतिविधियाँ औसत रही । वहीँ विगत वर्ष के चर्चित तकनीकी ब्लॉगर विनय प्रजापति का ब्लॉग ‘तकनीक दृष्टा’ इस वर्ष पूरी तरह सुस्त दिखा जबकि तकनीकी ब्लॉगर के रूप में इस वर्ष बी .एस. पाबला अन्य वर्षों की तुलना में कुछ ज्यादा मुखर दिखे । उल्लेखनीय है कि राहजरा, भिलाई, छत्तीसगढ़ में जन्में और वहीं पले-बढ़े पाबला भिलाई इस्पात संयत्र में सेवारत हैं। वे ब्लॉग की दुनिया में 2005 से सक्रिय रहे हैं उनका मुख्य ब्लॉग है ‘जिन्दगी के मेले’ ।
औपचारिक शिक्षा के नाम पर बी-एस0सी0 के बाद पत्रकारिता में डिप्लोकमा कोर्स करने के बाद पाबला ने अनौपचारिक शिक्षा के रूप से वेबसाइट डिजाइनिंग का ज्ञान अर्जित किया है और उसे ही हिन्दी सेवा का माध्यम बनाया है। उनके हिन्दी् सेवा के इस जुनून को ‘कल की दुनिया’, ‘ब्लॉग बुखार’, ‘कम्यूटर सुरक्षा’ एवं ‘शोध व सर्वे’ आदि ब्लॉगों पर भी महसूस किया जा सकता है। इसके अलावा तकनीकी ज्ञान बांटने की श्रेणी में इस वर्ष वरिष्ठ ब्लॉगर आशीष खंडेलवाल की तुलना में नए किन्तु उत्साही ब्लॉगर नवीन प्रकाश कुछ ज्यादा मुखर दिखे हैं। वहीँ वर्ष-२००७ में तकनीकी चिट्ठा "तकनीकी दस्तक"लेकर आये सागर नाहर के ब्लॉग पर इस वर्ष पूरी तरह पसरा रहा सन्नाटा ।
तकनीकी विशेषज्ञों की श्रेणी में विगत वर्ष एक महत्वपूर्ण नाम उभर कर आया था योगेन्द्र पाल का ।‘योगेन्द्रपाल की सूचना प्रौद्यौगिकी डायरी’ एक ऐसा ही सार्थक प्रयास है,साथ ही योगेन्द्र ‘अपना ब्लॉग’ एग्रीगेटर के मॉडरेटर भी हैं । इस वर्ष ये कुछ ज्यादा मुखर दिखे । इसप्रकार इस वर्ष तकनीकी समस्याओं से निबटने के लिए ई-पण्डित,हिंदी ब्लॉग टिप्स,तकनीकी दस्तक,ई -मदद,हिंदी टेक ब्लॉग ,तरकश.कॉम,ब्लॉग मदद,टेक वार्ता,ज्ञान दर्पण,तकनीकी संवाद,ब्लॉग बुखार बिल्कुल तैयार दिखे ।
तकनीकी विशेषज्ञों की श्रेणी में विगत वर्ष एक महत्वपूर्ण नाम उभर कर आया था योगेन्द्र पाल का ।‘योगेन्द्रपाल की सूचना प्रौद्यौगिकी डायरी’ एक ऐसा ही सार्थक प्रयास है,साथ ही योगेन्द्र ‘अपना ब्लॉग’ एग्रीगेटर के मॉडरेटर भी हैं । इस वर्ष ये कुछ ज्यादा मुखर दिखे । इसप्रकार इस वर्ष तकनीकी समस्याओं से निबटने के लिए ई-पण्डित,हिंदी ब्लॉग टिप्स,तकनीकी दस्तक,ई -मदद,हिंदी टेक ब्लॉग ,तरकश.कॉम,ब्लॉग मदद,टेक वार्ता,ज्ञान दर्पण,तकनीकी संवाद,ब्लॉग बुखार बिल्कुल तैयार दिखे ।
शायरी के अलग-अलग मूड को ध्यान में रखते हुए विनय प्रजापति के द्वारा तीन अलग-अलग बनाए ब्लॉग क्रमश:‘गुलाबी कोंपलें’, ‘चाँद, बादल और शाम’ तथा ‘तख़लीक़-ए-नज़र’ पर इस वर्ष पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा । ब्लॉग पर साहित्य को समृद्ध करने की दिशा में इस वर्ष ज्यादा मुखर दिखे दो नाम कोलकाता के मनोज कुमार और पुणे की रश्मि प्रभा । मनोज कुमार ने जहां मनोज,राजभाषा हिंदी आदि ब्लॉगों पर करण समस्तीपुरी,हरीश प्रकाश गुप्त आदि मित्रों के सहयोग से पूरे वर्ष दुर्लभ साहित्य को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य किया,वहीँ रश्मि प्रभा ने मेरी भावनाएं,वटवृक्ष आदि ब्लॉगों के माध्यम से नयी-नयी साहित्यिक प्रतिभाओं को मुख्यधारा में लाने महत्वपूर्ण कार्य किया । साहित्यको ब्लॉगिंग से जोड़ने वाली त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष का वह इस वर्ष से संपादन भी कर रही हैं । ब्लॉग पर हिंदी को समृद्ध करने वालों में एक नाम डॉ0 कविता वाचक्नवी का है जिन्होंने हिंदी भारत के माध्यम से हिंदी को समृद्ध करने की समर्पित सेवा कर रही हैं ।
अमृतसर में जन्मीं पी-एच.डी., प्रभाकर एवं शास्त्री जैसी उपाधियों की धारक कविता पंजाबी, हिन्दी, संस्कृत, मराठी और अंग्रेजी भाषाओं की जानकार हैं। नार्वे, जर्मनी, थाईलैण्ड, यू.के. और यू.एस.ए. जैसे देशों में रहने के बाद भी वे हिन्दी बोलना न सिर्फ गर्व का विषय समझती हैं, बल्कि हिन्दी के उत्थान के लिए प्राण पण से लगी रहती हैं।
जहाँ पिछले एक दशक में हिन्दी के खिचड़ी स्वरूप के दीवाने बढ़े हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो हिन्दी को उसके तत्सम प्रधान रूप में देखने के पक्षधर हैं। वे लोग हिन्दी के ‘शुद्ध साहित्यिक’स्वरूप को लेखन के दौरान प्रयोग में लाते हैं, वरन अपने चिंतन, वाचन और सम्प्रेषण के लिए भी सहज रूप में इसका प्रयोग करते हैं। विगत कई वर्षों से सक्रीय हिमांशु कुमार पाण्डेय ने इस वर्ष भी अपने ब्लॉग ‘सच्चा शरणम’ में तत्सम प्रधान शब्दावली में विमर्श करते नज़र आए । आकाँक्षा यादव भी इसी श्रेणी की एक प्रतिभा संपन्न रचनाकार हैं। उनके वैचारिक और साहित्यिक चिंतन को इस वर्ष भी प्रतिष्ठापित करता रहा उनका ब्लॉ्ग ‘शब्द-शिखर’ । ईश्वरवादियों के रचाए मायाजाल से अलग वैचारिक मंथन के साथ नास्तिकता का दर्शन को महत्व देने बाले हिंदी के एकलौते ब्लॉग ‘नास्तिकों का ब्लॉग’ पर इस वर्ष विचारों की दृढ़ता स्पष्ट दृष्टिगोचर हुई है।इस ब्लॉग पर इस वर्ष भी तर्क-वितर्क,वाद-विवाद का दौर खूब चला ।
नारी शक्ति के अभ्युयदय में जहाँ एक ओर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में आगे आ रही प्रतिभासम्पन्न महिलाओं द्वारा तय किये गये मील के पत्थरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी ओर अनेक विचारशील महिलाओं ने अपने विरूद्ध रचे जाने वाले षडयंत्रों के खुलासे करके भी महिला शक्ति के विकास में भरपूर योगदान दिया है। लखनऊ निवासी प्रतिभा कटियार एक ऐसी ही विचारशील ब्लॉगर हैं, जिनके विचारों की अनुगूँज उनके ब्लॉग ‘प्रतिभा की दुनिया’ में केवल इस वर्ष ही नहीं देखि गयी,अपितु विगत तीन-चार वर्षों से देखी जा रही है । पर्दे के पीछे से छिपकर लेखन के क्षेत्र में उन्मुक्त उड़ान भरने वालों में अग्रणी ब्लॉगर उन्मुक्त पर इस वर्ष भी बेशुमार उपयोगी सामग्री प्रकाशित हुई है । ब्लॉग जगत में ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जिन्होंने उचित माहौल पाकर स्वयं को आम आदमी से अलग साबित किया है और अपनी रचनात्मक क्षमताओं का लोहा दुनिया वालों से मनवाया है। अल्पना वर्मा एक ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा सम्पान्न ब्लॉगर हैं। उनके चर्चित ब्लॉग का नाम है ‘व्योम के पार’ , जिसपर उनकी प्रतिभा को इस वर्ष भी देखा और परखा गया । नारी शक्ति की प्रतीक एक और शख्शियत का नाम है शिखा वार्ष्णेय जिन्होंने अपने ब्लॉग ‘स्पंदन’ के द्वारा विचारशील लोगों के मन के तारों को झंकृत करने के लिए इसवर्ष भी प्रयासरत नजर आई।
‘गुल्लक’ ब्लॉग के संचालक राजेश उत्साही इस वर्ष कुछ ज्यादा उत्साही नज़र आए ।उनके ब्लॉग पर इस वर्ष अनेक सारगर्भित पोस्ट देखे गए ।वहीँ अपने ओजपूर्ण विचारों से बिगुल के साथ ब्लॉंग जगत में विराजमान डॉ0 महाराज सिंह परिहार अपने ब्लॉग ‘विचार-बिगुल’ के माध्यम से विचारों का शंखनाद करते नज़र आए । वहीँ सकारात्महक सोच को लेकर एक मिशन की तरह कार्य करते नज़र आए इस वर्ष हंसराज 'सुज्ञ', जो अपने ब्लॉग 'सुज्ञ' के द्वारा समाज में सकारात्मकता के प्रचार-प्रसार के लिए कटिबद्ध हैं।
अपने देश, समाज, भाषा और संस्कृति के बारे में गहराई से सोचने वाली एक महत्वपूर्ण शख्शियत हैं‘चोंच में आकाश’ ब्लॉग की संचालिका पूर्णिमा वर्मन। एक ओर जहां उनकी इस वर्ष भी ब्लॉग पर सार्थक उपस्थिति देखी गयी ।इसके अलावा वे ऑनलाईन पत्रिकाओं 'अभिव्यक्ति' और 'अनुभूति' के माध्यम से लेखन, संपादन, पत्रकारिता,अध्यापन, कला, ग्राफ़िक डिज़ायनिंग और जाल प्रकाशन के लिए समर्पित दिखीं ।
समय की नब्ज समझने वाले ब्लॉगरों में इस वर्ष भी अग्रणी दिखे कोटा, राजस्थान निवासी दिनेश राय द्विवेदी अपने ब्लॉग ‘अनवरत’ के माध्यम से । दिनेश राय द्विवेदी पेशे से वकील हैं और साहित्य, कानून, समाज, पठन, सामाजिक संगठन, लेखन, साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में समान रुचि रखते हैं। वे कानून के जानकार हैं और साहित्य के मर्मज्ञ भी। इसके साथ ही साथ वे एक वैज्ञानिक दृष्टि सम्पन्न व्यक्ति हैं। दिनेश एक संवेदनशील व्यक्ति भी हैं। वे समाज में घट रही घटनाओं के मूक दृष्टा भर नहीं हैं। वे उन्हें देखकर सिर्फ वक्ता की ही भूमिका नहीं निभाते हैं बल्कि अपनी तर्कपूर्ण और सुलझी हुई दृष्टि से कानून सम्मत राह भी सुझाते हैं और जरूरतमंदों को अपने स्तर से मुफ्त कानूनी सलाह अपने ब्लॉग ‘तीसरा खम्बा’ के द्वारा भी उपलब्ध कराते हैं।
दिनेश की तरह कुछ ऐसे ही सकारात्मक सोच के मालिक हैं रायपुर, छत्तीसगढ़ निवासी जी. के. अवधिया और उनका चर्चित ब्लॉग है ‘धान के देश में’। इस वर्ष इस ब्लॉग पर कुछ अच्छे पोस्ट देखने को मिले हैं ।स्वार्थ और षडयंत्र से परे समाज में सकारत्मक अनुभूतियों के मलय पवन का झोंका लाने के उद्देश्य से सक्रीय ब्लॉगर अभिषेक ओझा के ब्लॉग ‘ओझा उवाच’ भी इसी श्रेणी का ब्लॉग है जिसपर लगातार सकारात्मक पोस्ट देखे गए । अंधविश्वास के प्रति व्यंग्य के माध्यम से प्रहार करने वाले संजय ग्रोवर का संवाद घर इस वर्ष खासी चर्चा में रहा । एक गैर हिन्दी भाषी राज्य में जन्म लेने के बावजूद हिन्दी् को सर्व-भारतीय भाषा मानते हुए हिंदी में ब्लॉगिंग करने वाले इन्द्रोनील भट्टाचारजी ‘सैल’ का ब्लॉग ‘जज़्बात, जिंदगी और मैं’ पूरे वर्ष समाज की तार्किक एवं वैज्ञानिक सोच को उद्घाटित करता नज़र आया । स्वस्थ हास्य को परोसने के महारथी ब्लॉगर राजीव तनेजा ने इस वर्ष पाठकों को अपने ब्लॉगहंसते रहो के माध्यम से खूब गुदगुदाया ।
अपनी माटी, अपने सम्बंधियों से दूर जाने के बाद व्यक्ति जब अजनबीपन और अकेलापन महसूस करता है, तो नतीजतन उसके अवचेतन में बसी हुई स्मृतियाँ चाहे-अनचाहे लेखन में जगह बनाने लगती हैं। ऐसी ही मोहक स्मृतियों से सुसज्जित और माटी की गंध से लबरेज़ रतलाम म.प्र. में जन्में जबलपुर के मूल निवासी और कनाडाई भारतीय समीरलाल का ब्लॉग ‘उड़नतश्तरी’ विगत चार वर्षों से लगातार हिंदी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉग की सूची में अग्रणी रहा है । यह आश्चर्य का विषय है की इस वर्ष भी यह ब्लॉग अपनी स्थिति को बनाए रखने में सफल दिखा ।वेहतर साहित्य को ब्लॉगिंग से जोड़ने वाले ब्लॉगरों में एक नाम विगत कुछ वर्षों में तेजी से उभरा है, नाम है दीपक चौरसिया ‘मशाल’ । यूँ तो दीपक उत्तीरी आयरलैण्ड (यूनाइटेड किंग्डम) के क्वींस विश्व विद्यालय में कैंसर के शोधार्थी हैं, पर यह उनके घर के साहित्यिक माहौल का ही सुपरिणाम है कि वे विज्ञान के विद्यार्थी होने के बावजूद स्वयं को हिन्दी साहित्य् के बेहद करीब पाते हैं। उनके इसी प्रेम का सुफल है उनका अपना ब्लॉग ‘मसि-कागद’। बहुत सुन्दर ब्लॉग है यह और इसपर प्रकाशित रचनाएं इस वर्ष खूब आकर्षित की ।
वर्ष-२००६ से हिंदी ब्लॉगिंग में जुड़े रहने के वाबजूद सुर्ख़ियों से दूर रहने वाली महिला ब्लॉगर पूनम मिश्रा के ब्लॉग फ़लसफ़े’ पर इसवर्ष मेरी नज़र ऐसी ठिठकी की ठिठकी ही रह गयी ।यह ब्लॉग पूनम के अनुभवों का एक ऐसा आईना है जिसमें सामाजिक विद्रूपताओं के अक्स देखे जा सकते हैं । इस वर्ष की बोर्ड का खटरागी यानी अविनाश वाचस्पति कुछ अलग मूड में दिखे । पेशे से सरकारी मुलाजिम, स्वभाव से विनम्र और सहयोगी अविनाश वाचस्पति आशुकवि में सिद्धहस्त एक खालिश व्यंग्यकार हैं और ब्लॉग जगत में‘नुक्कड़’ के मॉडरेटर (संचालक) के रूप में जाने जाते हैं। अपनी सोच को जन-जन तक ले जाने का जज्बा रखने वाले अविनाश फेसबुक और ट्विटर से लेकर नुक्कड़ और मैं आपसे मिलना चाहता हूं तक में एक अलग अंदाज़ में नज़र आए । फेसबुक पर कभी मुन्ना भाई तो कभी अन्ना भाई के रूप में दिखे । ब्लॉगिंग के प्रति इस वर्ष उनका जुनून और समर्पण का भाव खूब देखा गया । वह आजकल शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं और चिकित्सा जारी है परंतु उनकी सक्रियता में तनिक भी कमी नहीं आई है। वह लेखन को जीवन मानते हैं।
शाहनवाज़ सिद्दीकी के ब्लॉग ‘प्रेमरस’ ने भी इस वर्ष पाठकों को खूब आकर्षित किया । शाहनवाज़ विज्ञापन के क्षेत्र से जुड़े हैं और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं। उन्होंने ब्लॉगिंग की शुरुआत हालांकि 2007 में ही कर दी थी। तब वे इंग्लिश में लिखा करते थे। किन्तु उनके मन में बचपन से ही हिंदी के प्रति एक लगाव सा था, जो मार्च 2010 में ‘प्रेम रस’ के रूप में फलीभूत हुआ। इसी क्रम में इस वर्ष डॉ0 पवन कुमार मिश्र का ब्लॉग ‘हरी धरती’ की भी काफी सराहना हुई है । इस वर्ष विजय माथुर का ब्लॉग क्रान्ति का स्वर कुछ ज्यादा आक्रामक दिखा । स्वयं को ढोंग और पाखण्ड से दूर रखने वाले विजय माथुर सत्यार्थ प्रकाश’की रौशनी में अपनी सोच विकसित की है और अपनी इसी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण सच को सच कहने की हिम्मत जुटाई है। वे अपनी एक पोस्ट ‘कुल क्रूर कुरीति तोड़ेंगे,सब दुष्कर्मों को छोड़ेंगे’ में समाज में व्याएप्त ढ़ोंग और आडम्बरों का चित्रण करते हुए लिखते हैं: ‘जियत पिता से दंगम दंगा/मरे पिता पहुँचायें गंगा/जियत पिता को न पूँछी बात/ मरे पिता को खीर और भात/जियत पिता को घूंसे लात/मरे पिता को श्राद्ध करात/जियत पिता को डंडा, लठिया/मरे पिता को तोसक तकिया/जियत पिता को कछू न मान/मरत पिता को पिंडा दान।’ हमारे चारों ओर ऐसे लोक सचेतकों की कमी नहीं है, जो सोए हुए समाज को जगाने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक सचेतक हैं मैनपुरी, उत्तर प्रदेश के निवासी शिवम मिश्रा, जो इस वर्ष पूरी दृढ़ता के साथ अपने ब्लॉंग ‘जागो सोने वालों’ के माध्यम से जन चेतना जाग्रत करने का कार्य किया हैं।
हिंदी को आयामित करने के उद्देश्य से सक्रिय ब्लॉगरों में विगत कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण नाम उभरा है नाम है रंजना रंजू भाटिया । रंजना हिन्दीं की उन ब्लॉगर्स में से हैं, जो काफी समय से इस माध्येम को सार्थकता प्रदान करती रही हैं। वे ‘हिन्द युग्म्’ के द्वारा काफी समय से बाल साहित्य को समृद्ध करती रही हैं, उन्होंने ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ के लिए शानदार विज्ञानपरक लेखों का सृजन किया है, वे ‘हिन्दी मीडिया’ पर ब्लॉंगों की समीक्षा के लिए भी जानी जाती हैं और ‘जीवन ऊर्जा’ पर स्वास्थ्य चेतना का प्रचार-प्रसार करती भी नजर आती हैं। पर अगर उनके मन की बातों को पढ़ना है, तो उसका ठिकाना एक ही है और वह है उनका अपना ब्लॉग ‘कुछ मेरी कलम से’। इस वर्ष यह ब्लॉग अपने कई सार्थक पोस्ट से पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है । इस वर्ष जहां सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी अपने ब्लॉग सत्यार्थ मित्र पर अनेकानेक सार्थक पोस्ट डालने के वाबजूद अनियमित बने रहे,वहीँ भाषा विज्ञानी अजित वडनेरकर अपने ब्लॉग ‘शब्दों का सफर’ पर पुरानी उर्जा से लबरेज नहीं दिखे । अजित वडनेरकर भले ही पेशे से पत्रकारिता में हों, पर उनके पास एक सा कौशल है। वे हमें सिर्फ एक शब्द के बारे में ही नहीं बताते, उसके जन्म, उसके अड़ोसी-पड़ोसी और रिश्तेदारों को भी हमारे सामने हाजिर कर देते हैं और यह काम वह इतनी कुशलता से करते हैं कि पाठक मुग्ध सा हो जाता है।
हिन्दी के प्रमुख विज्ञान संचारक के रूप में इस वर्ष डॉ0 अरविंद मिश्र ज्यादा मुखर दिखे, उन्होंने ‘साइंस फिक्शन इन इंडिया’ तथा ‘साई ब्लॉग’ के माध्यम से लगातार विज्ञान कथा के प्रति पाठकों की जागरूकता को बनाए रखा । हिंदी के प्रखर पत्रकार के रूप में इस वर्ष फिरदौस खान कुछ ज्यादा मुखर दिखीं, उन्होंने मेरी डायरी’ के माध्यम से अपने सामाजिक सरोकार के प्रति ज्यदा प्रतिबद्ध दिखीं । शिक्षा से जुडी विषमताओं और विद्रूपताओं को ब्लॉग‘प्राइमरी का मास्टर’ के माध्यम से उजागर करते हुए क्रान्ति का शंखनाद करने वालों में विगत कई वर्षों से अग्रणी प्रवीण त्रिवेदी के तेवर इस वर्ष भी बरकरार रहे ।
हिंदी की वेब पत्रिकाओं में इस वर्ष अग्रणी रही सृजनगाथा,अभिव्यक्ति और अनुभूति। साथ ही दि सन्दे पोस्ट, पाखी,एक कदम आगे, गर्भनाल , पुरवाई, प्रवासी टुडे, अन्यथा, भारत दर्शन,सरस्वती पत्र , पांडुलिपि , प्रवक्ता , हिंद युग्म , अरगला ,तरकश , अनुरोध , ताप्तीलोक, कैफे हिन्दी, हंस ,,ताप्तीलोक, अक्षय जीवन ,अक्षर पर्व ,पर्यावरण डाइजेस्ट , ड्रीम २०४७ ,गर्भनाल ,मीडिया विमर्श, ,काव्यालय,कलायन ,निरन्तर ,भारत दर्शन ,सरस्वती ,अन्यथा , परिचय ,Hindi Nest dot Com, तद्भव, उद्गम ,कृत्या , Attahaas , रंगवार्ता ,क्षितिज ,इन्द्रधनुष इण्डिया सार-संसार ,लेखनी -,मधुमती ,साहित्य वैभव ,विश्वा,सनातन प्रभात,हम समवेत,वाङ्मय ,समाज विकास -,गृह सहेली,साहित्य कुंज,लोकमंच,उर्वशी ,संस्कृति , प्रेरणा , जनतंत्र , समयांतर ,साहित्य शिल्पी,परिकल्पना ब्लॉगोत्सव और नव्या का प्रदर्शन भी संतोषप्रद रहा ।
स्वास्थ्य संबधी जानकारी देने वाले ब्लॉगरों में अग्रणी रहे इस वर्ष कुमार राधारमण और विनय चौधरी, अलका सर्बत मिश्र, राम बाबू सिंह, सुशील बाकलिबाल, मीडिया डॉक्टर प्रवीण चोपडा , डॉ टी एस दराल आदि।
जहाँ तक कुशल कार्टूनिस्टों का प्रशन है तो इसवर्ष काजल कुमार, इरफ़ान खान,अनुराग चतुर्वेदी, कीर्तिश भट्ट, अजय सक्सेना, कार्टूनिस्ट चंदर, राजेश कुमार दुबे, अभिषेक आदि ज्यादा सक्रिय नज़र आए।
ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत के स्थान की क्षतिपूर्ति करने में इंडली,हमारीवाणी,ब्लॉग प्रहरी, अपना ब्लॉग,एक स्वचालित ब्लॉग संकलक,लालित्य,ब्लॉग अड्डा,Woman Who Blog In Hindi,ब्लोग्कुट, इंडी ब्लोगर, रफ़्तार,ब्लॉग प्रहरी,क्लिप्द इन,हिंदी चिट्ठा निर्देशिका, गूगल लॉग ,वर्ड प्रेस की ब्लोग्स ऑफ द डे,वेब दुनिया की हिंदी सेवा,जागरण जंक्सन,बीबीसी के ब्लॉग प्लेटफार्म,हिंदी मे ब्लॉग लिखती नारी की अद्भुत रचना,ब्लोग्स इन मीडिया,फीड क्लस्टर.कॉम,आज के हस्ताक्षर,परिकल्पना समूह, महिलावाणी,हिन्दीब्लॉग जगत,हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट,ब्लॉग परिवार,चिट्ठा संकलक, लक्ष्य, हमर छत्तीसगढ़, हिन्दी ब्लॉग लिंक मिलकर पूरा करने की पूरी कोशिश करते रहे। मगर इस वर्ष लोकप्रियता की दृष्टि से हमारी वाणी ने अपार सफलता अर्जित की।
नारी और चोखेर बाली ब्लॉग महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने में सफल रहा, वहीँ कुछ महिला ब्लॉगर विगत वर्ष की तुलना में ज्यादा प्रखर दिखीं जिसमें निर्मला कपिला,संगीता पूरी,नीलिमा,आशा जोगेलकर, मनीषा पांडे,आर. अनुराधा,प्रतिभा,संध्या गुप्ता,बेजी,नीलिमा सुखीजा अरोडा, कीर्ति वैद्य,रेखा श्रीवास्तव, आकांक्षा, आभा ,पारुल "पुखराज",डॉ सुधा ओम ढिंगरा,नीलिमा गर्ग, संगीता मनराल ,दीप्ति, उन्मुक्ति, पूजा प्रसाद, प्रत्यक्षा, अर्चना ,पल्लवी त्रिवेदी, सुजाता, फ़िरदौस ख़ान, वंदना पांडेय,रेणु, लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`, मनविंदर, डा.मीना अग्रवाल ,पद्मा श्रीवास्तव,सुमन जिंदल,डॉ मंजुलता सिंह, आलोकिता, मोनिका गुप्ता,दीपा,साधना वैद्य, डॉ. पूनम गुप्ता,वर्षा,सुनीता शानू,डॉ॰ मोनिका शर्मा, शिखा कौशिक, शालिनी कौशिक,अजीत गुप्ता ,गीतिका गुप्ता,अनुजा,गरिमा,माया,मनविंदर, किरण राजपुरोहित, डॉ.कविता वाचक्नवी,रश्मि रविजा,मुक्ति, शोभना चौरे,मीनाक्षी,अनिता कुमार, स्वप्नदर्शी, रंजना ,प्रतिभा , अंशुमाला, कविता रावत , वन्दना अवस्थी दुबे ,रंजना,स्वाति ,मोनिका, हरकीरत हीर ,सुशीला पुरी ,डा कविता किरण,संगीता स्वरुप,स्वप्न मंजूषा ,डा दिव्या श्रीवास्तव ,अल्पना देशपांडे,वन्दना गुप्ता और रश्मि प्रभा प्रमुख हैं।
पुरुष ब्लॉगरों में इस वर्ष सक्रियता और सार्थक पोस्ट की दृष्टि से अग्रणी रहे समीर लाल समीर ,अनूप शुक्ल,राकेश खंडेलवाल,रमण कौल,युनुस खान,रविश कुमार,प्रवीण पाण्डेय,डॉ आशुतोष शुक्ल ,मनोज कुमार,अमरेन्द्र त्रिपाठी,प्रेम प्रकाश,डॉ रूप चंद्र शास्त्री,राजीव थेपडा,यशवंत माथुर,विजय माथुर ,अशोक कुमार पांडेय,रवि रतलामी,मनीष कुमार, अमितेश,ललित कुमार, डॉ पवन कुमार,जीतेन्द्र चौधरी, परमेन्द्र, दिनेश शर्मा, प्रकाश बादल , अरविंद श्रीवास्तव , नीरज गोस्वामी ,दीपक भारतदीप, ताऊ रामपुरिया , अलवेला खत्री , रणधीर सिंह सुमन , मनोज कुमार पाण्डेय , ललित शर्मा, डा. सिद्धेश्वर सिंह, रावेन्द्र कुमार रवि ,राजीव तनेजा , पवन चन्दन , के. एम. मिश्र का सुदर्शन ,-रवीश कुमार,जी के अवधिया , गिरीश पंकज , ज्ञान दत्त पाण्डेय,मसिजीवी , यशवंत मेहता , राजकुमार ग्वालानी, सूर्यकान्त गुप्ता , शिवम मिश्र , रुद्राक्ष पाठक ,अजय कुमार झा , देव कुमार झा , उद्धव , उदय प्रकाश , शहरोज, शरद कोकास , संजय व्यास ,खुशदीप सहगल,संतोष त्रिवेदी, अनुनाद सिंह,मनोज पाण्डेय आदि
।
हिंदी ब्लॉगिंग के पांचो शोधार्थियों क्रमश:केवल राम,अनिल अत्री,चिराग जैन,गायत्री शर्मा और रिया नागपाल की भी गाहे-बगाहे चर्चा होती रही वर्ष भर,जबकि वर्ष के मासांत में ब्लॉग बुलेटिन पर एक नया प्रयोग किया हिंदी ब्लॉगजगत की चर्चित कवियित्री रश्मि प्रभा ने ।
कहा गया है कि कलम में एक अदभुत ताकत होती है ... और इस ताकत के कई संचालक । पूरे साल तक हम इस ताकत से जीवन के कई बीज बोते हैं .... अचानक एक दिन रश्मि प्रभा को ख्याल आया कि मैं ब्लॉगरों से वर्ष की वह एक रचना मांगूं , जिसे वे एक बार फिर पाठक के मध्य लाना चाहते हैं .... इसकी सूचना उन्होंने बुलेटिन , नयी पुरानी हलचल , आत्मचिंतन वगैरह पर दी... जिनके इमेल्स थे , उनसे कहा , फेसबुक पर डाला .... ।
उन्हें काफी ब्लॉगर्स मिले और उन्होंने एक नया प्रयोग किया वर्ष के आखिरी महीने में अवलोकन-२०११ के माध्यम से । उन्होंने अपनी कलम से नए-पुराने ब्लॉगरों की चुनिन्दा पोस्ट की व्याख्या की . ब्लॉगर्स की सहमती से वे इसे पुस्तक का रूप देना चाहती है ।यह सब करने के पीछे उनका उद्देश्य था अधिक से अधिक ब्लॉग्स आपके पास लाना और उनकी पसंद की रचना से आपको मिलाना.....। इस वर्ष उन्होंने जिन ब्लॉगर्स की एक पसंदीदा रचना को स्थान दिया,उनमें प्रमुख है समीर लाल समीर , रवीन्द्र प्रभात ,
महेंद्र श्रीवास्तव , यशवंत माथुर , शेखर सुमन ,प्रतीक माहेश्वरी , संगीता स्वरुप , संजय मिश्र 'हबीब' , गुंजन अग्रवाल , वंदना गुप्ता , मोनाली जोहरी , कैलाश शर्मा , डॉ जेन्नी शबनम , माहेश्वरी कनेरी , निशांत , मीनाक्षी , अंजना दयाल , वंदना अवस्थी , इंदु रवि सिंह , अनुपमा त्रिपाठी , प्रियंका राठौड़ , रंजना भाटिया ,एम् वर्मा , पूनम श्रीवास्तव , लावण्या शाह , रश्मि रविज़ा , अजय कुमार झा , शिवम् मिश्रा , मृदुला प्रधान , शाहिद मिर्ज़ा 'शाहिद' , इस्मत जैदी , पूजा शर्मा , विजय माथुर , शिखा वार्ष्णेय , प्रवीण पाण्डेय , इन्द्रनील भट्टाचार्य , वंदना सिंह , प्रतिभा सक्सेना , दर्शन कौर धनोए , धर्मेन्द्र कुमार सिंह , अंजू अनन्या , प्रतिभा कटियार , गूँज झांझरिया , ममता बाजपाई , विभा रानी श्रीवास्तव , सीमा सिंघल , अविनाश वाचस्पति , गौतम राजरिशी , साधना वैद , हरकीरत हीर , दिगम्बर नासवा , वाणी शर्मा , ज्योति मिश्रा , आशा जोगलेकर , रंजना , अपर्णा भटनागर , सागर , सुमन सिन्हा , आनंद सकलानी , आनंद द्विवेदी , अमित श्रीवास्तव , निधि टंडन , नीरज गोस्वामी , अनामिका , निवेदिता , मुकेश सिन्हा , त्रिलोक सिंह ठकुरेला , राजेंद्र तेला , मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी' , अंजू चौधरी , राजेश उत्साही ,प्राण शर्मा, अविनाश चन्द्र , श्याम कोरी उदय , सोनल रस्तोगी , कविता रावत , श्यामल सुमन , पी सी गोदियाल , दर्पण साह , राजे शा , डॉ रूपचंद्र शास्त्री मयंक , डॉ टी एस दराल , सतीश सक्सेना , चन्द्र भूषण गाफिल , पल्लवी सक्सेना , इंदु पूरी आदि ।
..........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-२०११ की कुछ और झलकि
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