हिमाचल कल्याण सभा दिल्ली द्वारा पहाड़ी कवि गोष्ठी का आयोजन
(प्रैस रिपोर्टर:दीपक शर्मा कुल्लुवी)
हिमाचल कल्याण सभा दिल्ली द्वारा 07 जनवरी 2012 को पहाड़ी कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें दस कवियों,गीतकारों नें भाग लिया I आठ कविगण दिल्ली से थे और एक लम्बा ग्रां काँगड़ा से वरिष्ट कवि लक्ष्मी नारायण ठाकुर जी और भाषा बिभाग शिमला से आए थे मदन हिमाचली जी I हिमाचल कल्याण सभा के अध्यक्ष श्री डी0 डी0 डोगरा जी ने मंच पर बिराजमान सभी कवियों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और ठाकुर जी नें द्वीप प्रज्बलित करके कार्यक्रम का उद्वघाटन किया I
बजौरा( कुल्लू) निबासी पूर्ण बोद्ध जी जो दिल्ली में उच्च अधिकारी हैं उन्होंने दिल्ली के ऊपर सुन्दर कविता का गुणगान किया राकेश शर्मा जी ने तीन पहाड़ी गीत सुनाए जिनमे 'सोहणी सोहणी शिमले री सड़काँ जिंदे काली घघरी ल्यायाँ' और 'व्याह न कराइयो कुड़ियो फौज़ियाँ दे नाल',डा प्रिय शर्मा जी ने सुन्दर पहाड़ी कविताओं से सबको मन्त्र मुग्ध किया,भाषा बिभाग शिमला से आए मदन हिमाचली जी ने 'कविया तू सच्च की नि बोलदा कविता सुनाई ,एस0.के0 गौतम जी ने पहाड़ी गीत के साथ कविता सुनाई उनकी धर्मपत्नी सुरेख,बेटा दीपांशु भी अच्छे गायक हैं और बेटी अच्छी नृत्यांगना I लम्बा ग्रां काँगड़ा से आए वरिष्ट कवि लक्ष्मी नारायण ठाकुर जी ने पहाड़ी गीत और कविता पाठ किया,के0 एम0 लाल जी ने भी अलग जोशीले अंदाज़ में के साथ नर्स के ऊपर व्यंगात्मक कविता सुनाई बलदेब सांख्यान जी ने अपनें चित परिचित अंदाज़ में अपने लिखे और कम्पोस किये हुए सुन्दर पहाड़ी गीत प्रस्तुत किए I जिनमे एक विरह गीत था'
तू बाईं रे सिरहाणे दिख्याँ बैहंदी
दिख्ख्याँ मेरी याद आंदी...........
और दूसरा गीत था
मुट्टी गए नाले फेरा पाया रुआले
खुशियाँ मनांदे मेरी काथले वाले ..........
सांख्यान जी का बेटा 'अभिषेक' एक अच्छा गायक है और बेटी भी वह शिमला में संगीत शिक्षा ग्रहण कर रही है Iसांख्यान जी बहुत अच्छा लिखते हैं I
मदन हिमाचली जी नें हिमाचल के विख्यात वरिष्ट कवि लेखक श्री जयदेव विद्रोही जी के लेखन कार्य की बड़ी तारीफ की और उनका ज़िक्र किया सौभाग्य से आज ही उनकी नयी कहानियों की किताब 'एक सिसकी दो आंसू 'का बिमोचन देहरादून के नजदीक विकास नगर में था और उतरांचल की एक संस्था उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए अवार्ड देकर नवाज रही थी I
दीपक शर्मा कुल्लुवी ने पहले दौर में दो कवितायेँ
सौ सालाँ दी होई गेई दिल्ली
फिरि भी कैस्जो रोई पेयी दिल्ली
...........
भल्यो लोको आई गिया वदिया दौर चुनावां दा,
भुन्नेयो कुक्कड़ बकरू तंदूरी दारू सोर शराबां दा......
और दूसरे दौर में भी दो पहाड़ी (कांगड़ी ) कविताएँ सुनाई ,
कुमुद शर्मा नें पहले दौर में पहाड़ी कविता.......
औरत तिज्जो अबला बणिके किच्छ नि हासिल होणा
अपणे हक्के दी खातर तिज्जो ज़ुल्में ने लड़णा पौणा
अज्ज द्वापर नि जे लाज बचाणा 'कृष्णे' आयी जाणा
अपणिया रक्षा खातर तिज्जो दुर्गा रूप धरना पौणा ...
और दूसरे दौर में अपना लिखा कम्पोस किया कांगड़ी भजन 'राधा कन्ने नच्चदे कृष्ण मुरारी भजन सुनाया जिसे सुन सब श्रोता तालियों से साथ देते रहे I
यह कार्यक्रम बेहद सफल रहा बीच बीच में सर्द मौसम की मार को चाय के दौर दूर भागते रहे कार्यक्रम समाप्ति उपरांत गरमा गर्म स्वादिष्ट खाना परोसा गया जो बरसों याद रहेगा I
सबसे अफसोसनाक वाक्य यह रहा की इस वर्ष कवि सम्मलेन से हिमाचल प्रदेश शिमला स्थित एकेडमी ने हाथ यह कहकर पीछे हटा लिया की एकेडमी के पास पैसा नहीं है I यह हास्यप्रद भी लगता की इतनें महत्वपूर्ण कार्य के लिए भी पैसा नहीं है दिल्ली में हिमाचल के दस लाख लोग हैं जो अपनी कला संस्कृति को बचाए रखने के लिए तत्पर रहते हैं और इस तरह के आयोजन करते रहते हैं लेकिन सरकारी अनुदान के बिना यह अत्यंत कठिन होता है लेकिन हिमाचल सरकार को इसकी कोई परवाह ही नहीं I यह बेहद शर्मनाक है Iहिमाचल कल्याण सभा के अध्यक्ष श्री डी0 डी0 डोगरा जी ने अपने बल बूते पर यह सफल आयोजन किया जो हिमाचल सरकार ( एकेडमी ) के लिए एक सबक है I रात सात बजे से लेकर देर रात दस बजे तक चले इस कार्यक्रम में काफी संख्या में श्रोता उपस्थित थे और आनंद उठाते रहे I
दुनियाँ को न बदल सके तो
खुद को ही बदल लिया
अपनों से बेगानों से
किनारा कर ही लिया...
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