भीड़ में कहीं खो जाते हैं हर बार
भटक जाते हैं अनेक दिशाओं की ओर
न जाने मन क्यूँ इतना चंचल हो जाता है
इस भीड़ से हटकर दिशाएं हटा लेती है
इस भीड़ भरी दिशाओं में हरेक से जुड़कर
हमेशा हम कहीं न कहीं खो जाते हैं भीड़ में
भटक जाते हैं अनेक दिशाओं की ओर
न जाने मन क्यूँ इतना चंचल हो जाता है
इस भीड़ से हटकर दिशाएं हटा लेती है
हर कदम पर हम कहीं खो से जाते हैं
हम सोचकर भी हल नहीं निकल पातेइस भीड़ भरी दिशाओं में हरेक से जुड़कर
हमेशा हम कहीं न कहीं खो जाते हैं भीड़ में
इस भीड़ भरी दिशाओं में हरेक से जुड़कर
जवाब देंहटाएंहमेशा हम कहीं न कहीं खो जाते हैं भीड़ में
sundar shabdon se piroyi rachna