Home » YOU ARE HERE » दर्द

दर्द










 ... कुछ रोज पहले ही
जिया था मैंने तुझको
अपनी साँसों को कर दिया था
नाम तेरे
मेरा दिल धड़कने लगा था
तेरी ही धड़कनों से
कर ही दिए थे बन्द
सभी दर-ओ-दीवार बेजारी के
बस तेरी ही महक से
कर लिया था सरोबार
वजूद अपना ।
जिस्म से उठती थी
इक खुशबू सौंधी सी
जो करा देती थी
तेरे होने का एहसास
हर बार-हर पल मुझको ।
हुआ यूँ भी
गए रोज ;
तड़पती रही साँसे
तेरी महक के लिए
धड़कनों के लिए
तरसती रहीं धड़कने मेरी |


इस बीच
न जाने कब से
आने लगी मौत
दबे पाँव करीब मेरे
बन गए हैं जिस्म पर
कुछ अनचाहे जख्म
रिसने लगी है
ड़वाहट हमारे रिश्ते की
जो कभी घुलती थी
सबा’ बन मेरे जिस्म-ओ-जाँ में |


अब तो तैरते हैं
आँखों में 

गम के खारे बादल
जो बना ही लेते हैं राह
बरसने के लिए
रात की तन्हाई में
और फिर खामोश आँखें
पत्थरा जाती है
झरती हैं रात-रात भर 
निर्झर..........

                             
                                    सुमन कपूर 'मीत'

5 comments:

  1. बहुत ही खुबसूरत
    और कोमल भावो की अभिवयक्ति......

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (२7) में शामिल की गई है /आप इस मंच पर पधारिये/और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका आशीर्वाद हमेशा इस ब्लोगर्स मीट को मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है /
    http://www.hbfint.blogspot.com/2012/01/27-frequently-asked-questions.html

    जवाब देंहटाएं

हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्‍यवसायिक ब्‍लोगर्स की अभिव्‍याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।

Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.

Popular Posts

Followers