शिमला। गेयटी थियेटर शिमला में विख्यात छायाकार एवं पत्रकार बीरबल शर्मा के छायाचित्रों की प्रदर्शनी ‘वाह हिमाचल’ ने दर्शकों को एक ही छत्त के नीचे पूरे हिमाचल के दर्शन करा दिए। गत 13 से 17 मई तक के लिए लगाई गई इस प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। शाम के समय तो प्रदर्शनी स्थल में तिल धरने तक के लिए भी जगह नहीं बचती थी। दर्शकों के इस उत्साह को देखते हुए आयोजकों ने प्रदर्शनी को एक दिन आगे 18 मई बढ़ा दिया।ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में इस प्रदर्शनी का आयोजन इसलिए भी सार्थक हो गया, क्योंकि पर्यटक इसके माध्यम से पूरे प्रदेश की समृद्ध लोक संस्कृति, अनूठे सौंदर्य और देव परंपराओं के भी दर्शन कर पाए। अनेक पर्यटकों ने टिप्पणी दर्ज की कि वे तो शिमला घूमने आए थे, लेकिन छायाचित्रों को देखने के बाद उन्हें लग रहा है जैसे उन्होंने पूरे हिमाचल को बहुत नजदीक से देख लिया है। प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक गुप्ता और ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री जयराम ठाकुर सहित अनेक गणमान्य लोग भी प्रदर्शनी देखने पहुंचे।
प्रदर्शनी में प्रदेश की कुदरती झीलें, पारंपरिक वेशभूषा में सजी युवतियां, गहनों से लदी महिलाएं, कठिन जीवन में भी खुशहाल लोग, अनूठी लोक परंपराएं व त्यौहार दर्शकों के कदम रोक रहे थे। लोग एक-एक चित्र के आगे कई-कई मिनट खड़े रह कर उनकी गहराई मापते रहे। सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले चित्रों में पट्टी उठाए चौहार की लड़की, लकड़ी का बोझा उठाए नन्हीं कुरमी, भुंडा में पकती धाम, तारा देवी में पेड़ों से बंधी आस्थाएं, झील में तैरते नोट, किन्नर कैलाश, श्रीखंड, बड़भाग सिंह में तालों में बंद किस्मत, तत्तापानी का तुलादान आदि रहे।
इस चित्रकला प्रदर्शनी की सफलता का एक कारण यह भी रहा कि आयोजकं समय-समय पर चित्रों को बदल कर उनके स्थान पर नए चित्र लगाते रहे ताकि प्रदर्शनी में दोबारा आने वाले दर्शकों को कुछ नया देखने के मिल सके। प्रदर्शनी के अंतिम दिन बीरबल शर्मा का कहना था, ”मुझे खुशी है कि दर्शकों ने मेरे छायाचित्रों को बहुत सराहा। मेरा जो प्रयास था कि पर्यटन सीजन में शिमला आने वाले सैलानियों को एक ही छत्त के नीचे पूरे हिमाचल प्रदेश के दर्शन हो सकें, उसमें मैं काफी कामयाब रहा। इस सफलता के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग और अन्य सहयोगी संस्थानों एवं मित्रों का भी मैं आभारी हूं।”
फोटोग्राफी और पत्रकारिता के लिए समर्पित प्रकृति प्रेमी बीरबल शर्मा ने मंडी-कुल्लू मार्ग पर बिंदरावणी में विशाल ‘हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी’ स्थापित कर रखी है, जिसमें दुर्लभ छायाचित्र ही नहीं बल्कि प्रदेश की संस्कृति को दर्शातीं प्राचीन वस्तुओं का विशाल संग्रह भी है
प्रदर्शनी में प्रदेश की कुदरती झीलें, पारंपरिक वेशभूषा में सजी युवतियां, गहनों से लदी महिलाएं, कठिन जीवन में भी खुशहाल लोग, अनूठी लोक परंपराएं व त्यौहार दर्शकों के कदम रोक रहे थे। लोग एक-एक चित्र के आगे कई-कई मिनट खड़े रह कर उनकी गहराई मापते रहे। सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले चित्रों में पट्टी उठाए चौहार की लड़की, लकड़ी का बोझा उठाए नन्हीं कुरमी, भुंडा में पकती धाम, तारा देवी में पेड़ों से बंधी आस्थाएं, झील में तैरते नोट, किन्नर कैलाश, श्रीखंड, बड़भाग सिंह में तालों में बंद किस्मत, तत्तापानी का तुलादान आदि रहे।
इस चित्रकला प्रदर्शनी की सफलता का एक कारण यह भी रहा कि आयोजकं समय-समय पर चित्रों को बदल कर उनके स्थान पर नए चित्र लगाते रहे ताकि प्रदर्शनी में दोबारा आने वाले दर्शकों को कुछ नया देखने के मिल सके। प्रदर्शनी के अंतिम दिन बीरबल शर्मा का कहना था, ”मुझे खुशी है कि दर्शकों ने मेरे छायाचित्रों को बहुत सराहा। मेरा जो प्रयास था कि पर्यटन सीजन में शिमला आने वाले सैलानियों को एक ही छत्त के नीचे पूरे हिमाचल प्रदेश के दर्शन हो सकें, उसमें मैं काफी कामयाब रहा। इस सफलता के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग और अन्य सहयोगी संस्थानों एवं मित्रों का भी मैं आभारी हूं।”
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