मय के प्याले तो इक बहाना है
पी के यहाँ कौन भूल पाता है
यह तो इक ऐसा दर्द है दोस्तों
जो मौत के साथ ही जाता है
दीपक कुल्लुवी
کون
مے کے پیالے تو اک بہانہ ہے
پی کے یہاں کون بھول پتا ہے
یہ تو اک ایسا درد ہے دوستو
جو موت کے ساتھ ہی جاتا ہے
دیپک کلّوی
ग़ालिब ने जितनी पी
हम उतनी पी नहीं सकते
वोह ब्रांड भी नहीं है
सस्ती भी नहीं मिलती
غالب نے جتنی پی
ہم اتنی پی نہیں سکتے
وہ برانڈ بھی نہیں ہے
سستی بھی نہیں ملتی
دیپک کلّوی
٣/٩/١٢
٩٣٥٠٠٧٨٣٩٩
दीपक कुल्लुवी
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