बेवजह
बेवजह
नज़रों से अपने तो आंसू भी बरसे
मगर तुमको हरगिज़ न आया तरस
पागल थे हम बेवजह ही जो तरसे
दीपक कुल्लुवी
بوجہ
تومر ہم تیری یادوں میں تدپے
نظروں سے اپنے تو آنسو بھی برسے
مگر تمکو ہرگز نہ آیا ترس
پاگل تھے ہم بوجہ ہی جو ترسے
دیپک کلّوی
٠١/٠٩/١٢.
हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लागर्स का मंच
RSS Feed । Mobile Version । Advertise । Business Solutions । ToS । Privacy Policy । Copyright । Contact | © ? . All Rights Reserved. [ ENRICHED BY : ADHARSHILA ] [ I ♥ BLOGGER ] |
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लोगर्स की अभिव्याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।
Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.