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जहाँ से तरक्की का, इंसानियत का, आपसी भाईचारे का, निष्कलंक, निस्वार्थ , अहिंसा युक्त, भ्रष्टाचार रहित जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होता है वही तीर्थ स्थान है. वर्तमान  में यदि हम गहनता से अवलोकन करेगे तो केवल एक ही नाम ऐसा है जहाँ से हमे मानवता के  सम्पूर्ण दर्शन का ज्ञान होता है, जिसे हम गाँधी दर्शन कहते है. महात्मा गाँधी एक व्यक्ति नही है न ही एक संत, महात्मा गाँधी विश्व है, उनका आचरण समाज को प्रगति का मार्ग देता है. उनकी कही हर बात जीवन जीने की शास्वत कला है. विश्व मानवता उनके विचारों की कायल है. महात्मा गाँधी सोलह कला  सम्पूर्ण व्यक्तित्व है जो सदेव पूजनीय है इसीलिए दो अक्तूबर को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है. महात्मा गाँधी  भगवान का एक दिव्य अंश थे जिन्होंने भारत भूमि पर अवतार लिया उनके  अवतरण से भारत भूमि  भी सम्मानित है. आज भरत के भारत को राम, रहीम, नानक, इशु की धरा के साथ-साथ गाँधी के भारत के नाम से पहचाना जाता है जो गौरव की बात है.  महात्मा गाँधी की विचारधारा हर क्षेत्र में चाहे राजतन्त्र हो, धर्मतन्त्र हो, प्रशासनिकतन्त्र हो या पत्रकारिता का क्षेत्र, प्रसांगिक है. महात्मा गाँधी जीवन की हर कसौटी पर समाज का नेतृत्व करते है और सब को संमार्ग पर चलने कि प्रेरणा देते दीखते है इसीलिए उनके नाम को तीर्थ के समान माना जाना चाहिए. प्रधानमंत्री श्री नरीन्द्र मोदी ने इस महान आत्मा कि जन्म जयेंती के अवसर पर स्वच्छ भारत कि कल्पना का अलौकिक कदम उठाया  है जिसे आज के दिन हर भारतवासी अपने सामर्थ्ये के अनुरूप पूर्ण श्रदा के साथ स्वच्छ भारत कि कल्पना को साकाररूप देने में दिल से हाथ बटा रहा है. स्वच्छता का ये अभियान भारतवासियों की दिनचर्या बननी चाहिए  तभी हम  अपने बापू महात्मा गाँधी को सच्ची श्रदांजली अर्पित करने में सफल होंगे. दो अक्तूबर का दूसरा पावन पहलू है भारत में दिव्य आत्मा श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म लेना, जिन्होंने जय जवान –जय किसान का नारा देकर भारत की शक्ति का परचम विश्व क्षितिज पर लहराया. शास्त्री जी के अमूल्य योगदान का भारत सदा कर्जदार रहेगा. ये भारत का सौभाग्य है जो हमे इश्वर के ये दो अनमोल अंश अवतार रूप में मिले. इन दोनों आत्मायों के साथ-साथ आज हम उन सभी अलौकिल महान विभूतियों को शत- शत नमन करते है जिनके बलिदानों से हमे स्वतंत्र साँस मिली. महात्मा गाँधी के विचारों,उद्गारों को यदि हम अपने व्यवहारिक जीवन में उतारेगें तो कोई भी ऐसी शक्ति नही है जो हमे विचलित कर सके. महात्मा गाँधी मानवता का वो पवित्र पारावार है जिस कि आचमन मात्र से हम अपना जीवन पवन बना सकते है और समाज को  इंसानियत, भाईचारे के सूत्र में पिरो कर  निष्कलंक, निस्वार्थ , अहिंसायुक्त, भ्रष्टाचारमुक्त  विश्व कि परिकल्पना को साकाररूप दे सकते है.
                                                                                               
  अमृत कुमार शर्मा                     

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