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रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म के मायने: डॉ॰ विरेन्द्र कुमार बसु

पुस्तक समीक्षा

रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म नामक पुस्तक डॉ॰ सियाराम द्वारा लिखित है, जो कानपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत तिलक महाविद्यालय में एसिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यह पुस्तक कानपुर विश्वव्द्यालय से लघुशोध पर आधारित है। लेखक के अनुसार इस पुस्तक में व्यक्त विचार अनेकानेक लेखकों, समीक्षकों, संस्थाओं, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों आदि से संदर्भ सहित प्रस्तुत किए गए हैं। इस पुस्तक की भूमिका वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ राम बहादुर मिश्र ने लिखी है, जिसमें उन्होने रवीन्द्र प्रभात को लोक मेधा का कलमकार माना है, वहीं उन्होने स्वीकार किया है कि रवीन्द्र प्रभात के लेखन की विशेषता है कि वे जिस जीवन और समाज से अनुभव बटोरते हैं उससे अगाध प्रेम भी करते हैं।  यही कारण है कि उनके पास एक भोगा हुआ यथार्थ है जिसे उन्होने शब्दों में पिरोया है। उन्होने यह भी स्वीकार किया है, कि रवीन्द्र प्रभात लोकभाषा की ताकत को भलीभाँति समझते हैं और उसका सटीक प्रयोग भी करते हैं। वस्तुत: वे लोक मेधा के ऐसे रचनाकार हैं जो लोक की हर प्रवृति से वाकिफ हैं।

पुस्तक के लेखक का मानना है, कि रवीन्द्र प्रभात पहले एक सशक्त साहित्याशिल्पी हैं और बाद में हिन्दी के प्रथम ब्लॉग विश्लेषक। रवीन्द्र प्रभात की पहचान और लोकप्रियता हिन्दी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सर्वाधिक है। वे हिन्दी ब्लॉग आलोचना के स्तंभ पुरुष हैं। हालांकि आलोचना कर्म सदैव से ही विवादों के घेरे में रहा है लेकिन रवीन्द्र प्रभात की ब्लॉग आलोचना लाभ-लोभ, पद-प्रतिष्ठा के सारे प्रलोभनों से अलग, अपनी व्यापक दृष्टि और अपने विचार के प्रति पूरी निष्ठा और संकल्पों के साथ प्रतिबद्ध हैं और यही इनकी ब्लॉग आलोचना की बड़ी विशेषता है।

86 पृष्ठ के इस पुस्तक में सबसे पहले रवीन्द्र प्रभात के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विहंगम दृष्टि डाली गयी है। उसके बाद उनकी काव्य चेतना के विविध रचनाधर्मी आयाम को विश्लेषित किया गया है। तत्पश्चात उनके कथा साहित्य में संघर्ष और द्वंद्व, व्यंग्य और सामाजिक परिस्थितियाँ, हिन्दी ब्लॉग आलोचना में उनकी भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाले गए हैं। इस पुस्तक में रवीन्द्र प्रभात के साहित्य में प्रयुक्त सुभाषित को भी प्रस्तुत किया गया है। साथ ही इस पुस्तक में चार साक्षात्कार क्रमश: आलोक उपाध्याय, जागृति शर्मा, निशा सिंह और डॉ॰ सियाराम के द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं, जो इस पुस्तक की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है।

यह पुस्तक एक शोध ग्रंथ है जो साहित्यकार और चिट्ठाकार रवीन्द्र प्रभात के व्यक्तित्व व कृतित्व पर एकाग्र है। भाषा का लालित्य और विंब प्रशंसनीय है। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है, कि यह पुस्तक सहेज कर रखने लायक है और अन्य शोध हेतु प्रयुक्त होने वाली सर्वोत्कृष्ट सामग्री है।




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पुस्तक का नाम: 
रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म
प्रकार: पेपर बैक
लेखक : डॉ॰ सियाराम
प्रकाशक: अवध भारती प्रकाशन नरौली, हैदरगढ़, बाराबंकी (उ॰ प्र॰)
आई॰ एस॰ बी॰ एन॰ 9978-93-83967-35-3

मूल्य: 180 रुपये 
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