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राष्ट्रप्रेम अंधभक्ति नही

 मुझे कभी कभी हैरानी होती है जब न केवल अनजान लोग बल्कि समझ बूझ वाले व्यक्ति मोदी के चाहनेवालो को अंधभक्त की संज्ञा देते है,जिनको राष्ट्रीय राजनीति में मात्र 7वर्षों का अनुभव है।शायद ये कोई डर है या दुर्भावना ,कुछ भी हो ये केवल नकरात्मकता का ही परिचायक है।वे भूल जाते है कभी इंदिरा इज़ इंडिया का भी नारा लगा था ,मुलायम की परिवार भक्ति,लालू की परिवार भक्ति ममता की भक्ति एन टी रामराव की भक्ति जयललिता की भक्ति एम जी रामचंद्रन कि भक्ति,नेहरू की भक्ति व ऐसे पारिवारिक उत्तराधिकारियों की भक्ति जो पद के योग्य नहीं थे उस भक्ति को क्या कहा जायेगा।मैं मोदी जी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ इसका मतलब ये कदापि नही की मैं अंधभक्त हूँ हाँ अंधभक्त हूँ में अपने परिवार का अपनी मातृभूमि का जिसका मुझपर ऋण है जिसको मैं इस जीवन मैं नहीं चुका सकता।जो मातृभूमि से खिलवाड़ करता है और देश के प्रमुख को अपशब्द कहता है उसका ईश्वर भी भला नही कर सकता।करोना काल में मोदी जी ने जिस तरह इस देश को संभाला प्रशंसनीय है विपक्षी हर बात में नकारात्मकता फैलाते रहे,यहाँ तक वेक्सीन को भी मोदी वैक्सीन कहा गया।मोदीजी जननायक है उन्होंने कोई गलत काम नही किया,केवल अपने चुनावी मेनिफेस्टो को लागू किया,ये वह दस्तावेज़ होता है जिसे कोई भी दल अपने चुनावों से पहले घोषित करता है।सभी की इसे लागू करना चाहिए।पूरे विश्व के साथ साथ भारत में भी पिछले वर्ष से विपदा का दौर चल रहा है क्या अच्छा होता सब मिलकर इसका सामना करते पर देश को कमजोर करने के लिये तरह तरह के आंदोलन खड़े करके देश को पीछे करने का काम होता रहा।मोदी जी चट्टान की तरह खड़े इस विपरीत परिस्थितियों का सामना करते रहे और विश्व मंच पर एक शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे ।जिस राष्ट्राध्यक्ष की इज़्ज़त विश्व में होती उससे देश का कद बढ़ता है।रही साम्प्रदायिकता की बात अपने धर्म को मानने से कोई साम्प्रदायिक नही हो सकता,साम्प्रदायिक कोई दल या व्यक्ति तब होता जब वह किसी को दूसरे धर्म के विरूद्ध भड़काता है या किसी धर्म का प्रयोग तुष्टिकरण के लिये करता है।पेट्रोल के दाम शीघ्र कम होंगे पहले देश का सुरक्षित रहना आवश्यक है।समय के साथ कोई अन्य नेता भी आयेगा जो राष्ट्रभक्ति को ही श्रेष्ठ भक्ति मानेगा उसका भी उतना ही सम्मान होगा शायद अधिक भी हो सकता।अतः मेरा मानना है राष्ट्रभक्ति को अंधभक्ति कहना सर्वथा अनुचित है।


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