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भारत का परिदृश्य

 सदियों की गुलामी के बाद देश स्वतंत्र हुआ सभी ने राहत की सांस ली, लेकिन आज भी कुछ लोग है जो अपने निहित स्वार्थों  के कारण देश को गुलामी की तरफ ले जाना चाहते है।मैं यहां पर यूरोप व अमेरिका के आधुनिकीकरण व देश के पिछड़ेपन पर कुछ बातें लिखना चाहता हूं, 

1 विदेशी भारत की इसलिये राज कर पाए क्योंकि शस्त्र के बल पर उन्होंने बांटने का काम किया।भाई भाई को आपस में लड़ाया,कभी धर्म के नाम कभी जात पात के नाम पर,कभी गरीबी अमीरी के नाम पर कभी लिंग के भेदभाव के नाम पर,देश को विखण्डित रखा।आज भी आज़ादी के बाद कुछ लोगों की यही सोच देश को पीछे धकेल रही है वरना  सभी प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण देश कैसे दुनिया की दौड़ में पीछे रहता।आज कुछ राजनेता देश को आगे ले जाने के बजाए अपने व्यक्तिगत हितों के लिये देश की कुर्बानी देने को तैयार है।

2 पुनर्जागरण के बाद यूरोप ने जब राष्ट्रवाद को अपनाया और राष्ट्रीय राज्यों का गठन हुआ नये राष्ट्र बने चाहे वह फ्रांस हो इंग्लैंड, स्पेन,पोलैंड जर्मनी,इटली, रूस, हंगरी चेक रिपब्लिक या कोई अन्य  तीव्रता से विकास हुआ ऐसा क्यों हुआ क्योंकि उन्होंने अपने राष्ट्रों को प्रमुखता दी।साम्राज्यवाद का विकास हुआ और देखते ही देखते पूरे विश्व पर यूरोप के देशों का आधिपत्य स्थापित हो गया वह इसलिये क्योंकि जहाँ साम्राज्यवाद का प्रभाव पड़ा उनके लोग पिछड़े थे और आपस में लड़ते,लालची थे अपने व्यक्तिगत हितों के लिये राष्ट्र तो क्या अपने निजी रिश्तों की कुर्बानी दे सकते थे।यही बात इन पारखी,(यूरोपीय)लोगों ने पहचानी और इनकी सम्पदाओं को लूट करने अपने देशों को ले जाकर समृद्ध होते रहे।तब भी ये इन कुछ बड़े लोगों के व्यक्तिगत स्वार्थों का ही  परिणाम था।इन्हीं पदचिन्हों पर चल कर बाद में अमेरिका और जापान ने भी अपने देश व लोगों को समृद्ध व शक्तिशाली बनाया।

2 इन देशों में स्थापित उद्योगों के लिये कच्चे माल की आवश्यकता थी भारत जैसे देशों को केवल कच्चे माल भेजने को विवश किया, आज भी हम देखें तो पायेंगे कि आज भी इसके लिये IMF,विश्व बैंक, GATT 77 व अब विश्व व्यापार संगठन जैसे षडयंत्र कारी संगठनों का सहारा लिया जा रहा है।इस का परिणाम ये हुआ कि हम अपने देश में केवल उन वस्तुओं को बना सकते थे जिसमें बहुत कम फायदा होता था।हमारा  देश केवल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का बाजार बन कर रह गया।नेता केवल अपना नाम चमकाने में लगे रहे

3 चीनी क्रांति 1949 में हुई भारत 1947 में स्वतंत्र हुई,आज चीन विश्व की महाशक्ति है और अमेरिका की बराबरी में है औऱ कई जगह तो सबसे बड़ा बन चुका है।इसका कारण चीनी एकजुटता राष्ट्रीयता और विश्व में सबसे महान बनने की इच्छाशक्ति है।जिसका हमारे देशवासियों में नितांत अभाव है।महात्मा गांधी इस देश के सबसे महान व्यक्ति थे,अम्बेडकर साहब भी बहुत महान व्यक्ति थे दोनों जानते थे कि  जब देश में बराबरी नहीं होगी देश महान नहीं बन पायेगा वरना स्वार्थी लोग इसकी आड़ में देश को बांटते रहेंगे।कहा जाता है कि संविधान लिखते समय अम्बेडकर साहब ने इस आरक्षण की कुछ समय तक जारी रखने की वकालत की थी।आज हम देखते है कि कुछ लोगों ने बार बार इस कि मलाई चाटी है और अधिकतर लोग इसका फायदा नही उठा सके पर नेता धनवान बनते रहे।देश में बराबरी तो क्या, खाई और बढ़ गयी काश 1947 में जात पात के विरूद्ध कानून पास कर दिया होता।चीन इतना आगे बढ़ा और हम जात पात और धर्म में उलझ कर रह गए।विदेशी कंपनियों इस कि आड़ में ही देश को लूटती रही।

4 आज बदलाव का बिगुल बज रहा है तो कुछ लोगों को ये पसन्द नहीं।मोदी जी ने राष्ट्रवाद का जो बिगुल बजा दिया है उसने बहुत सारे स्वार्थी लोगों के मंसूबों पर पानी फेर कर रख दिया है।आये दिन देश को तोड़ने के नये नये हथकण्डे अपनाये जा रहे है।देश में महान प्रधानमंत्री हुए है जिसमें में श्रीमती इंदिरा गांधी,नरसिंह राव व कुछ कुछ अटल जी व राजीव जी को भी मानता हूँ पर इंदिरा जी व नरसिंह राव जी के सपनों को जिस तेजी से मोदी जी पूरा कर रहे है व न प्रशंसनीय है बल्कि इस राष्ट्र को शीघ्र ही विश्व की महाशक्ति बना दिशा में ले जायेगा।लोकतंत्र में विरोध करना ही विपक्षी दलों का कार्य है लेकिन मर्यादा मैं रहकर और देश का संविधान सभी दलों को संसद में बैठकर सभी मुद्दों पर चर्चा करके देशहित के विषयों को सुलझाने का मंच देता है लेकिन अपने संवैधानिक परम्पराओं को निर्वहन न कर सड़को पर इन का समाधान करने का प्रयास करना व बार वाकआउट देश के लोगों के साथ धोखा है।मोदीजी अपराजेय है उन्हें को परास्त नही कर सकता क्योंकि देश उनके सभी फैसलों को देख रहा है,यदि उनसे भी किसी को आगे निकलना है तो राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना होगा, देश हित के मुद्दों को प्राथमिकता देनी होगी और तुष्टिकरण की नीति से ऊपर उठना होगा समाज को जातिपाति विहीन बनाना होगा।

अंत में बाबा रामदेव जी के बारे में कहना चाहता हूँ कि उन्होंने योग विश्व में स्थापित किया,योग व प्राणायाम के माध्यम से लाखों लोगों को रोगमुक्त किया है।जो कारोबार उन्होंने स्थापित किया है इसके लिये इन्हीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ प्रतियोगिता की है और देश का धन विदेशों को जाने से रोका है।हम इस महापुरुष को भी नमन करते है और इन जैसे उनसभी महापुरुषों को भी नमन करते है जो राष्ट्रहित के लिये व देश को महान बनाने में प्रयासरत है वरना करोडों लोग  विरोध करते करते इस संसार को छोड़ चुके है और नाम भी किसी को याद नहीं।यूरोप अमेरिका चीन जापान आदि देशों ने तरक्की की है तो राष्ट्रप्रेम के कारण ,भारत भी विश्व की महाशक्ति बनेगा वह भी अपनी राष्ट्रभक्त जनता के कारण।

बाकी प्रभु इच्छा।

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