शिमला के इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज में सवाइन फ्लू के संधिग्द मरीजो के सैम्पल लिए जा रहे है ! जिन्हें पुष्टि के लिए राष्ट्रीय संचारी रोग संसथान (एन आई सी ड़ी ) दिल्ली भेजा जा रहा है !
सवाइन फ्लू के बड़ते सक्रमण के समाचारों से बागवानों में खोफ फैल गया है ! जहा सालाना मेहनत का फल "सेब", जिसे सेब की मंडियो में पहुचाना अनिवार्य है ! साथ ही साथ बड़ी मंडियो में जाने से सवाइन फ्लू के सक्रमण का खतरा भी है! इस असमंजस में बागवानों को सेब की फसल के साथ -साथ अपनी जान जोखिम में जाने का भय भी सता रहा है ! सवाइन फ्लू एक व्यकित से दुसरे में फ़ैल रहा है ! सवाइन फ्लू का सक्रमण नाक , मुह से होता है ! इसलिए यदि भीड़-भाड़ वाले स्थानों में मास्क पहन कर जाए, और हाथ मिलाने के बाद हाथो को धो लिया जाए, साफ़-सुथरे रहे और साथियों को भी सावधानिया बरतने के लिए प्रेरित करे तभी महामारी का रूप ले रही इस बीमारी से न केवल ख़ुद को आपितु अपने समाज को भी सुरक्षित किया जा सकता है !
बागवान भाई भी यदि सावधानिया बरते तो बड़ी मंडियो मै सेब बेचने मै कोई खतरा नही है !
"Protect Yourself & Save Society"
Home »
YOU ARE HERE
» हिमाचल में सवाइन फ्लू
हिमाचल में सवाइन फ्लू
Posted by हितेंद्र शर्मा
Posted on बुधवार, अगस्त 12, 2009
with 3 comments
*****************************************************************************************************
आप अपने लेख और रचनाएँ मेल कर सकते
himdharamail. blogupdate@blogger.com
*****************************************************************************************************
himdharamail. blogupdate@blogger.com
3 comments:
हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लोगर्स की अभिव्याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।
Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.
very good but do also yoga, like, vyagrasan, yanasan. suryabhadi praneyama, kpalbhati, anuloom-viloom, & wash your handa/feet/face with soap/water & also do manssage in the bootom of the feet with mustered oil & than cover feet wiyh cotan sockes also use giloye harbs, tulsi & neen & khub mashakat karo!
जवाब देंहटाएंकैसे बचें स्वाइन फ्लू से
जवाब देंहटाएं- हमेशा हाथों को साबुन और डेटॉल वाले पानी से धोएं.
- खांसते वक्त मुंह और नाक को रुमाल या कपड़े से ढंकें.
- खांसने, छींकने या नाक साफ करने के बाद आंख, नाक और मुंह पर हाथ कतई न लगाएं. शरीर के ये हिस्से सबसे ज़ल्दी फ़्लू की चपेट में आते हैं.
- फ्लू प्रभावित व्यक्ति से एक हाथ की दूरी बनाकर रखें.
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें. इन जगहों से लौटने के बाद पहले हाथ और फिर मुंह धोएं.
- घर में उन जगहों की खास सफाई रखें, जिसका इस्तेमाल सब लोग करते हैं. मसलन, दरवाजे का हैंडल, स्विच. कंप्यूटर की बोर्ड, रसोई गैस.
- मेज़, रसोई, बाथरूम और घर के कोनों को साफ़ रखें. इन जगहों पर बैक्टरिया आसानी से पनपते हैं. सफ़ाई के लिए पानी के साथ कीटनाशकों का इस्तेमाल करें.
- रुमाल और इनहेलर जैसी चीजे़ बेहद साफ सुथरी रखें.
- पर्याप्त पानी, पौष्टिक आहार और नींद लें.
- अनजान लोगों से हाथ मिलाने और गले मिलने से बचें.
- खुली जगहों पर ना थूकें.
- उन देशों का सफर ना करें, जहां स्वाइन फ्लू के मामले पाए गए हैं.
- स्वाइन फ्लू प्रभावित देशों से लौटने के बाद तुरंत जांच कराएं
इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1)
जवाब देंहटाएंइंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) एक इंफ्लुएंजा वायरस है, जिससे लोगों में बीमारी और मौत हो सकती है। इसे पहले स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाता था। यह बीमारी अप्रैल 09 में मेक्सिको से शुरू हुई, तब से यह वायरस दुनिया भर के अनेक देशों में फैल गया है। प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चलता है कि इस वायरस के कई जीन्स उत्तरी अमेरिका के सुअरों में पाए जाने वाले जीनों के समान है, इसी लिए इस रोग को मूलत: स्वाइन फ्लू कहा जाता था। आगे चल कर कुछ अन्य परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि इस वायरस में सुअरों के जीन के हिस्से होने के साथ कुछ पक्षियों और मानव फ्लू वायरस के समान जीन भी पाए जाते हैं। इस जानकारी के निर्णय से वैज्ञानिकों ने इसके पिछले नाम को हटाकर अब से ‘इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1)’ किया है।
इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) के लक्षण
इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) के लक्षण नियमित मौसमी फ्लू के लक्षणों के समान होते हैं। जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्हें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिर में दर्द, कंपकंपी और थकान महसूस हो सकती है। कुछ रोगियों को दस्त और उल्टी आने की समस्या भी हो सकती है।
ऐसा माना जाता है कि फ्लू का वायरस उन छोटी छोटी बूंदों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है जो संक्रमित व्यक्ति की नाक या मुंह से छींक या खांसी के दौरान बाहर आती हैं। इस रोग के साथ सुअरों का कोई लेना देना नहीं है। यदि सुअर के मांस से बने उत्पादों को अच्छी तरह पका कर खाया जाए तो सुअरों से डरने की कोई जरूरत नहीं है।
बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न (23 KB)
http://www.india.gov.in/allimpfrms/alldocs/12415.pdf
अखिल भारतीय टोल फ्री हेल्पलाइन: 1075 और 1800-11-4377