Home »
YOU ARE HERE
» मैं चाहता हर एक को सीने से लगाना।। सभी भारत प्रेमियों से अनुरोध है, इसे अवश्य पढें।।
मैं चाहता हर एक को सीने से लगाना।। सभी भारत प्रेमियों से अनुरोध है, इसे अवश्य पढें।।
Posted by SANSKRITJAGAT
Posted on मंगलवार, अप्रैल 20, 2010
with No comments
देश के अमर सपूतों की श्रद्धांजलि में अर्पित ये काव्य सुमन मेंरे हृदय का उद्गार है।
मां भारती के प्रति इतनी अगाध श्रद्धा और इतना प्यार है कि शब्दों मे व्यक्त करने का सामर्थ्य नहीं बन पा रहा
फिर भी मन की कुछ पवित्र भावनाओं ने लेखनी की शरण ले ली और यह छोटा सा काव्य फूट पडा ।
सभी भारत प्रेमियों से अनुरोध है, इसे अवश्य पढें और अपने अमूल्य विचार टिप्पणियों के द्वारा प्रेशित करें।
।।जय हिन्द।।
आपका - आनन्द
ये भावना है मेरी या कि दिल का बहाना
मैं चाहता हर एक को सीने से लगाना ।।
मा भारती का पुत्र हूं हिन्दू न मुसलमां
मैं प्यार उनसे करता हूं जो लोग है इन्सां
अब कौन हैं इन्सान ये तय कर ले जमाना
मैं चाहता हर एक को सीने से लगाना ।।
मजहब मेरा ईमान है भगवान है भारत
समृद्ध हो ये देश अपना है यही नीयत
सोने की चिडिया हिन्द को फिर चाहूं बनाना
मैं चाहता हर एक को सीने से लगाना ।।
जिसमें हुए पैदा, सम्भाला जिसमें ये जीवन
आओ सभी इस देश को अर्पित करें जीवन
''आनन्द'' तू इस देश की खातिर ही मर जाना ।।''आनन्द'' बस, इस देश की खातिर ही मर जाना ।।
http://vivekanand-pandey.blogspot.com/
--
ANAND
*****************************************************************************************************
आप अपने लेख और रचनाएँ मेल कर सकते
himdharamail. blogupdate@blogger.com
*****************************************************************************************************
himdharamail. blogupdate@blogger.com
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लोगर्स की अभिव्याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।
Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.