قتل حین
कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म
मेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
लाख जुदाई हो तो क्या
यादों में कभी हो ना कमीं
बचा लेंगे मंझधार से भी
हम ही तेरे साहिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म---
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09136211486
دیپاک شارما کوللووی
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कातिल हैं
Posted by दीपक कुल्लुवी की कलम से
Posted on शुक्रवार, सितंबर 17, 2010
with 2 comments
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2 comments:
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तेरी बेरुखी तेरा ग़म
जवाब देंहटाएंमेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
...vaah..kaatil andaj...bahut badhiya.
sundar
जवाब देंहटाएं