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संजोया सपना

अकसर ऐसा होता है कि सपने टूट जाया करते हैं पर इंसान जज़्बाती है ना.............. फिर से नई आस के साथ सपने बुनने लगता है टूटता है, बिखरता है पर सपने संजोना बन्द नहीं करता.............बस सपनों को हकीकत में बदलते देखना चाहता है.........




संजोया सपना




संजोया हर सपना
                   पूरा कहां होता है ;


फिर भी हर इंसान
                  इनमें खोया रहता है ;


अकसर जब नींद में
                  सपनों का डेरा होता है ;


सच होने की आस लिए
                  नया सवेरा होता है ;


हर पल जब दिन का
                  रूख बदलता जाता है ;


सपनों के जहाँ में
                  हकीकत का दौर आता है ;


हर शाम गमगीन
                  रात अश्कों को पहरा होता है ;


बहता जाता है हर सपना
                 जो दिल ने संजोया होता है !!






                                                                                     सुमन ‘मीत’


4 comments:

  1. सच है सुमन, जब दिन का रुख हमारे सपनों से जुदा होता है तो हमारा साहस जवाब दे जाता है, और फिर सोचते हैं की आखिर ये सपने दीखते ही क्यूँ हैं जब इन्हें पूरा नहीं होना होता है...........

    अच्छी रचना, सोचने पर मजबूर कर दिया..........लिखते रहीं शुभ कामनाएं....

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  2. सपनो को उडान मिले हकीकत के पंखो से - बहुत खूब शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं

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