आखरी पन्ने -10
(दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')
भजन से पहले
भक्तो श्याम बाबा से अपना रिश्ता पुराना है
जो श्याम बाबा नें लिखवाया आपको भी सुनाना है
आप भी आओ झूमों गाओ संग हमारे भक्तो
सांवरिया से रहमत का खज़ाना पाना है
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मन्दर तेरा दूर है श्यामा हम आएँगे ज़रूर
प्रशाद तेरे दरवार का हम पाएँगे ज़रूर
हम तो भक्त हैं तेरे हरदम गुण तेरे गाएंगे
जो तूने लिखवाया है वोह सुनायेंगे ज़रूर
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नाम हमारा 'दीपकुमुद' है घर है दूर पहाड़
तुझको कसम है प्यार की बाबा आ जा बस इक बार
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खाटू श्याम भजन
( पुकार )
हारों का सहारा तू प्यारा साँवरे
हम हारे,आज तुझको पुकारा साँवरे
साँवरे-ए-साँवरे---२
(1 ) नाम है 'दीपक'बुझता जाता
बुझते दिए को कौन जलाता
दुनियां में,कोई न,हमारा साँवरे
हम हारे,आज तुझको पुकारा साँवरे
हारों का सहारा तू प्यारा ----------
(2 ) तेरा भरोसा हमको है श्यामा
मैं तो हूँ बस तेरा दीवाना
सच का तू रास्ता दिखाना साँवरे
हम हारे,आज तुझको पुकारा साँवरे
हारों का सहारा तू प्यारा --------
(3 ) रहम करो श्याम कष्ट हरो
धन से नहीं झोली सुख से भरो
झूठी मोहमाया से बचाना साँवरे
हम हारे,आज तुझको पुकारा साँवरे
हारों का सहारा तू प्यारा --------
दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३५६२११४८६
शेष अगले अंक 11 में
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