Home »
YOU ARE HERE
» कुछ तुम कहो कुछ मैं कहु |: माटी की पुतली
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहु |: माटी की पुतली
Posted by Dinesh pareek
Posted on शुक्रवार, अगस्त 05, 2011
with No comments
कुछ तुम कहो कुछ मैं कहु |: माटी की पुतली: "माटी की पुतली विधाता को अपनी सृष्टि की रचना करते समय भी, इतना सुख और संतोष नहीं मिला होगा। जब कालिया कुम्हार, अपने बत्तीस आँगळवाले चाक ..."
*****************************************************************************************************
आप अपने लेख और रचनाएँ मेल कर सकते
himdharamail. blogupdate@blogger.com
*****************************************************************************************************
himdharamail. blogupdate@blogger.com
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्यवसायिक ब्लोगर्स की अभिव्याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।
Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.