हिंदी ब्लॉगिंग में सृजन की व्यापक
जिजीविषा देखी गयी इस वर्ष...
"अब हिंदी साहित्य से जुड़े ब्लॉग दुनिया भर में पढ़े जा रहे हैं। देश विदेश में हिंदी प्रेमी व रचनाकार इन्हें लिख रहे हैं। इन पर व्यक्त किए गए विचार केवल ब्लॉगर्स के विचार न होकर हिंदी की साहित्य की नवीन अवधारणा का प्रतीक बन रहा है। "
अखिलेश शुक्ल (संपादक : कथा चक्र )
गतांक से आगे........
इस वर्ष ब्लॉग पर हिंदी साहित्य से संवंधित कतिपय सामग्रियां देखी गयी । हिंदी साहित्य से इस वर्ष अनेक ब्लॉग जुड़े और जो पूर्व से जुड़े हैं वे प्रतिबद्धता के साथ लगातार हिंदी में साहित्यिक सामग्रियां उपलब्ध कराते रहे । हालांकि ब्लॉग पर लगभग प्रत्येक विधा का साहित्य उपलब्ध है, लेकिन यहां कविता व कहानी के साथ साथ तत्कालीन साहित्यिक जानकारी के ब्लॉग ही अधिक हैं। यहाँ यह कहना मैं मुनासिब समझ रहा हूँ कि ब्लॉग की तुलना में इस वर्ष सोशल नेटवर्किग से जुड़ी विभिन्न वेबसाइटें भी साहित्यकारों-लेखकों को एक दूसरे के क़रीब लायी हैं। इनके माध्यम से भी हिंदी साहित्य से जुड़े सभी उपयोगकर्त्ता एक दूसरे के ब्लॉग पर भ्रमण करते देखे गए, जिससे उन्हें एक दूसरे के द्वारा किए गए लेखन के संबंध में लगातार जानकारी मिलती रही और वे साहित्य के सरोवर में डुबकिया लगाते रहे । इसलिए यह सच है कि इस वर्ष ब्लॉग के साथ-साथ सोशल नेटवर्किग साइट भी साहित्यकारों-रचनाकारों के सुख-दुख बांटने का बाखूबी दायित्व निभाया है ।
साहित्य का भूगोल बहुत विशाल है। इसे न तो किसी सीमा में बाँधना उचित कहा जाएगा और न ही कालखंड में समेटना, फिर भी बीते एक साल में ब्लॉग पर हिंदी साहित्य ने कहाँ तक अपनी विकास यात्रा तय की है, कमोबेश उस पर दृष्टिपात तो किया ही जा सकता है। इसी कड़ी में विशुद्ध साहित्यिक सन्दर्भों को सहेजने में पूरे वर्ष मशगूल रहा प्रभात रंजन का ब्लॉग जानकी पुल। हिंदी ब्लॉगिंग में साहित्य को प्रतिष्ठापित करने की दिशा में क्रान्ति का प्रतीक रहा ब्लॉग हिंद युग्म । रचनाकार, साहित्य शिल्पी और विचार मीमांशा ने अपनी स्तरीयता को बनाए रखा इस वर्ष । नारी का कविता ब्लॉग, नारी ,हिंदी साहित्य मंच,हिंदी साहित्य, साहित्य,साहित्य वैभव ,मोहल्ला लाईव, साखी,वटवृक्ष, सृजन (सुरेश यादव ), वाटिका,मंथन, शब्द सभागार, राजभाषा, लोकसंघर्ष पत्रिका, राजभाषा हिंदी ,गवाक्ष, काव्य कल्पना, परिकल्पना ब्लॉगोत्सव , साहित्यांजलि, कुछ मेरी कलम से,चोखेर वाली, नवोत्पल ,युवा मन , सुबीर संवाद सेवा, अपनी हिंदी , हथकढ , हिंदी कुञ्ज , पढ़ते पढ़ते ,तनहा फलक, आवाज़ , नयी बात, कारवां , सोचालय, पुरवाई ,एक शाम मेरे नाम ,साहित्य सेतु , कबीरा खडा बाज़ार में आदि पूरी निर्भीकता के साथ साहित्य की खुशबू बिखेरते रहे वर्ष भर । वहीँ एक और ई पत्रिका हमारी वाणी इस वर्ष अस्तित्व में आई और काल कलवित भी हो गयी ।
ब्लॉग पर सक्रीय प्रतिष्ठित साहित्यकारों में दिविक रमेश और प्रेम जनमेजय इस वर्ष ज्यादा सक्रिय दिखे, प्रेम जनमेजय पर केन्द्रित इस वर्ष चेतना का भी अंक भी आया, अरविन्द श्रीवास्तव का ब्लॉग जनशब्द इस वर्ष काफी मुखर रहा, जबकि महावीर शर्मा के निधन के बाद महावीर पूरी तरह अनियमित रहा,जबकि आजकल दीपक मशाल इसे संयोजित करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं । हास्य पर केन्द्रित ब्लॉग की श्रेणी में इस वर्ष भी अग्रणी रहे अशोक चक्रधर । ये हिंदी के मंचीय कवियों में से एक हैं। हास्य की विधा के लिये इनकी लेखनी जानी जाती है। कवि सम्मेलनों की वाचिक परंपरा को घर घर में पहुँचाने का श्रेय गोपालदास नीरज, शैल चतुर्वेदी, सुरेंद्र शर्मा, ओमप्रकाश आदित्य, कुमार विश्वास आदि के साथ-साथ इन्हें भी जाता है। ब्लोगिंग में वर्ष-2006 से सक्रिय हैं ….इनका प्रमुख ब्लॉग है चक्रधर का चक्कलस ।
अशोक कुमार पाण्डेय का व्यक्तिगत ब्लॉग "असुविधा" और सामूहिक ब्लॉग "कबाडखाना" इस वर्ष विगत वर्षों की तुलना में ज्यादा प्रखर दिखा। उल्लेखनीय है कि युवा कवि अशोक कुमार पाण्डेय ग्वालियर में रहते हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय अशोक कविताओं के साथ-साथ आर्थिक विषयों पर आलेख लिखते हैं,अनुवाद करते हैं,समीक्षायें करते हैं और साथ ही इधर कुछ कहानियां भी लिखी हैं। हिन्दी की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित अशोक अपनी समझौताहीन वैचारिक प्रतिबद्धता के लिये जाने जाते हैं। उनकी शीघ्र प्रकाश्य पुस्तकों में शिल्पायन से कविताओं का संकलन 'तुम्हारी दुनिया में इस तरह ' और आर्थिक विषयों पर लिखे आलेखों का संग्रह 'शोषण के अभयारण्य' तथा संवाद प्रकाशन से 'मार्क्स : जीवन तथा विचार' शामिल हैं। इसके अलावा वह चे ग्वेरा की एक किताब का अनुवाद भी कर रहे हैं। विनीत कुमार ने भी इस वर्ष ब्लॉगिंग में चार वर्ष का सफ़र पूरा कर लिया,वहीँ अफलातून ने पांच वर्ष पूरे किये ।
राजभाषा हिंदी , Hindizen - निशांत का हिंदीज़ेन ब्लॉग , अपनी, उनकी, सबकी बातें ,एक आलसी का चिठ्ठा , सोचालय... ,मेरी मानसिक हलचल ,स्वप्न मेरे................,फुरसतिया , शिप्रा की लहरें , मल्हार मल्हार , chavanni chap (चवन्नी चैप) ,शरद कोकास ,शरद कोकास ,दफ़्अतन , निर्मल-आनन्द ,मौलश्री ,कविताएँ और कवि भी.. ,aradhana-आराधना का ब्लॉग, इलाहाबादी अड्डा आदि पर भी इस वर्ष सर्वाधिक सार्थक पोस्ट देखे गए,वहीँ बना रहे बनारस पर इस वर्ष 146 पोस्ट पढ़ने को मिले, प्रत्येक पोस्ट गंभीर साहित्यिक विमर्श और आम जन जीवन पर आधारित थे ।
वर्ष-2011 में कुछ ऐसे ब्लॉग से मैं रूबरू हुआ जिसमें सृजन की जिजीविषा देखी गयी वहीं कुछ सार्थक करने की ख्वाहिश भी। जिनमें जागरूकता और सक्रियता भी देखी गयी तथा जीवन के उद्देश्यों को समझते हुए अनुकूल कार्य करते रहने की प्रवृति भी । इन्हीं उद्देश्यों के साथ हिंदी की मूलधारा के साहित्य का प्रतिनिधित्व करने वाला ब्लॉग "समालोचन" हिंदी ब्लॉगिंग के स्तर को काफी ऊपर उठाया इस वर्ष ।उल्लेखनीय है कि हिंदी के युवा साहित्यकार , कवि, आलोचकों का युवा ब्लॉग है यह।
इस वर्ष ज्यादा सार्थक और ज्यादा सकारात्मक नज़र आये शब्दों के सर्जक अजीत वाडनेकर , जिनका ब्लॉग है – शब्दों का सफर । सिद्धेश्वर ने अपने ब्लॉग कर्मनाशा पर शब्दों की जादूगरी से मानव जीवन से जुड़े विविध विषयों को मन के परिप्रेक्ष्य में दिखाने का महत्वपूर्ण कार्य किया इस वर्ष, वहीँ मनोज पटेल विश्व भर के कवियों का बहुत बढ़िया अनुवाद करते रहे ब्लॉग "पढ़ते पढ़ते" पर। अपनी माटी पर जिस तरह की सामग्री प्रस्तुत किये हैं मानिक, वह प्रशंसनीय है । कथा चक्र पर अखिलेश लगातार पत्र पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन की सूचना देते रहे ।
साथ ही विगत वर्ष दो महत्वपूर्ण साहित्यिक किन्तु व्यक्तिगत ब्लॉग आये थे जिसमें मनोज कुमार का ब्लॉग विचार और कुअंर कुसुमेश का नया ब्लॉग शामिल था , दोनों ब्लॉग पर इस वर्ष भी सृजनात्मक अभिव्यक्ति की सार्थक प्रस्तुति देखी गयी। गाँधी जी से सम्बंधित सर्वाधिक उत्कृष्ट सामग्रियां परोसने का महत्वपूर्ण कार्य किया इस वर्ष विचार ने। संभवत: इस प्रकार की दुर्लभ सामग्री पुस्तकों में भी कम ही है। इसके अलावा उनका ब्लॉग राजभाषा हिंदी भी अनेकानेक साहत्यिक चर्चाओं का केंद्र बना रहा ।
श्याम बिहारी श्यामल का ब्लॉग भी इस वर्ष महत्वपूर्ण साहित्यिक सामग्रियां अंतरजाल को समर्पित किया । इसके अलावा और ब्लॉग भी हैं जैसे "साखी", प्रतिलिपि, सबद, काव्य प्रसंग, अनुनाद आदि जिनकी प्रस्तुतियों ने लगातार अचंभित किया इस वर्ष । इस वर्ष सतीश पंचम के सफ़ेद घर पर व्यंग्य के नए-नए प्रयोग हुए,अविनाश वाचस्पति टिप्पणियों का रोना रोते रहे, जबकि ठेलुआते हुए प्रमोद तांबट ने भी इस वर्ष ब्लॉगिंग में दो वर्ष पूरे कर लिए ।
वर्ष-2010 के द्वितीय सप्ताहांत में आया सुशील बाकलीवाल का ब्लॉग नज़रिया इस वर्ष पूरे रंग में दिखा, वहीँ अमरेन्द्र त्रिपाठी के ब्लॉग कुछ औरों की , कुछ अपनी, पर वैसे तो विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुछ ख़ास हलचल नहीं देखा गया,किन्तु कुछ गंभीर विमर्श को जन्म देने वाले पोस्ट अवश्य देखे गए । जबकि क्रिएटिव मंच-Creative Manch …पर सृजनशीलता का सच्चा सुख अनुभव किया गया इस वर्ष । इस ब्लॉग के मुख्य संयोजक हैं प्रकाश गोविन्द और उनके प्रमुख सहयोगी हैं मानवी श्रेष्ठा, अनंत , श्रद्धा जैन ,शोभना चौधरी , शुभम जैन और रोशनी साहू । इस ब्लॉग से जुड़े चिट्ठाकारों का शरू से यह प्रयास रहा है कि कुछ सार्थक करने का प्रयास किया जाए।श्याम बिहारी श्यामल का ब्लॉग भी इस वर्ष महत्वपूर्ण साहित्यिक सामग्रियां अंतरजाल को समर्पित किया । इसके अलावा और ब्लॉग भी हैं जैसे "साखी", प्रतिलिपि, सबद, काव्य प्रसंग, अनुनाद आदि जिनकी प्रस्तुतियों ने लगातार अचंभित किया इस वर्ष । इस वर्ष सतीश पंचम के सफ़ेद घर पर व्यंग्य के नए-नए प्रयोग हुए,अविनाश वाचस्पति टिप्पणियों का रोना रोते रहे, जबकि ठेलुआते हुए प्रमोद तांबट ने भी इस वर्ष ब्लॉगिंग में दो वर्ष पूरे कर लिए ।
छत्तीसगढ़ के रायपुर से प्रकाशित होने वाली चर्चित त्रैमासिक पत्रिका”सद्भावना दर्पण” मार्च-2011 से मासिक हो गयी । तीस सालों से साहित्य और पत्रकारिता में सक्रिय गिरीश पंकज के संपादन में सन 1996 से प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में भारतीय एवं विश्व साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है। अब तक इस पत्रिका ने पाकिस्तानी, बांगलादेशीय, तेलुगु, मलयालम,कन्नड़, मराठी, छत्तीसगढ़ी आदि भाषाओँ के विशेषांकों का प्रकाशन किया है। दिल्ली, भोपाल, नाथद्वारा आदि दस स्थानों में पुरस्कृत हो चुकी पत्रिका ”’सद्भावना दर्पण” मार्च से लगातार प्रकाशित हो रही है । गिरीश पंकज से जो एक बहुआयामी रचनाकार है । ये एक साथ व्यंग्यकार, उपन्यासकार, ग़ज़लकार एवं प्रख्यात पत्रकार हैं । देश एवं विदेश में सम्मानित । युवाओं के प्रेरणास्त्रोत । सद्भावना, राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सद्भाव के लिए एक विशिष्ट स्थान रखने वाले गिरीश पंकज को पढ़ना अपने आप में एक विशिष्ट अनुभव से गुजरना है ।
कहा गया है कि समाज वही आगे बढ़ता है जिसमें भविष्य की सोच हो, चिन्तन हो । इस सोच को चिंतन को मूर्तरूप देने की दिशा में सक्रिय हैं अनेक वेब पत्रिकाएं। इस वर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं और लघु पत्रिकाओं ने भी अपनी छाप छोड़ी हैं। तद्भव, कथादेश, हंस, वागर्थ, वर्तमान साहित्य आदि ने अपने अलग-अलग अंकों में ऐसी सामग्री प्रकाशित की है जो कहीं न कहीं साहित्यकारों और पाठकों को मथती रही है। इनमें से तद्भव, हंस और वर्तमान साहित्य ने अपनी उपस्थिति विश्वजाल पर भी दर्ज की, जो हिंदी साहित्य को विश्वव्यापी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस वर्ष हिंदी ब्लॉगिंग और साहित्य के बीच सेतु निर्माण के उद्देश्य से पहली बार अप्रैल माह से रश्मि प्रभा के संपादन में वटवृक्ष (त्रैमासिक ब्लॉग पत्रिका ) का प्रकाशन शुरू हुआ। ब्लॉग पर साहित्य को समृद्ध करने की दिशा में इस वर्ष ज्यादा मुखर दिखे दो नाम कोलकाता के मनोज कुमार और पुणे की रश्मि प्रभा । मनोज कुमार ने जहां मनोज,राजभाषा हिंदी आदि ब्लॉगों पर करण समस्तीपुरी,हरीश प्रकाश गुप्त आदि मित्रों के सहयोग से पूरे वर्ष दुर्लभ साहित्य को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य किया,वहीँ रश्मि प्रभा ने मेरी भावनाएं,वटवृक्ष आदि ब्लॉगों के माध्यम से नयी-नयी साहित्यिक प्रतिभाओं को मुख्यधारा में लाने महत्वपूर्ण कार्य किया । साहित्यको ब्लॉगिंग से जोड़ने वाली त्रैमासिक पत्रिका वटवृक्ष का वह इस वर्ष से संपादन भी कर रही हैं । ब्लॉग पर हिंदी को समृद्ध करने वालों में एक नाम डॉ0 कविता वाचक्नवी का है जिन्होंने हिंदी भारत के माध्यम से हिंदी को समृद्ध करने की समर्पित सेवा कर रही हैं ।
इन्टरनेट पर उपलब्ध हिंदी पत्रिकाओ में अनुभूति,अभिव्यक्ति,प्रवक्ता समाचार-विचार वेबपोर्टल,नव्या अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका,पाखी हिंदी पत्रिका,अरगला इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका,तरकश - हिन्दी का लोकप्रिय पोर्टल,एलेक्ट्रॉनिकी -एलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर, विज्ञान एवं नयी तकनीक की मासिक पत्रिका, अनुरोध : भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन का अनुरोध,ताप्तीलोक, कैफे हिन्दी, हंस - हिन्दी कथा मासिक,अक्षय जीवन - आरोग्य मासिक पत्रिका,अक्षर पर्व - साहित्यिक वैचारिक मासिक,पर्यावरण डाइजेस्ट - पर्यावरण चेतना का हिन्दी मासिक,ड्रीम २०४७ - विज्ञान प्रसार की मासिक पत्रिका (पीडीएफ),गर्भनाल ( प्रकाशक : श्री आत्माराम शर्मा ),मीडिया विमर्श,वागर्थ : साहित्य और संस्कृति का समग्र मासिक,काव्यालय,कलायन पत्रिका,निरन्तर - अब सामयिकी जालपत्रिका में समाहित,भारत दर्शन - न्यूजीलैण्ड से हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका,सरस्वती(कनाडा से),अन्यथा - magazine of Friends from India in America,परिचय- सायप्रस से अप्रवासी भारतीयों की हिन्दी पत्रिका,Hindi Nest dot Com, तद्भव, उद्गम : हिन्दी की साहित्यिक मासिका,कृत्या : कविताओं की पत्रिका, Attahaas : हास्य पत्रिका, रंगवार्ता : विविध कलारुपों का मासिक,क्षितिज - त्रैमासिक हिन्दी साहित्यिक पत्रिका,इन्द्रधनुष इण्डिया : साहित्य और प्रकृति को समर्पित,सार-संसार : विदेशी भाषाओं से सीधे हिंदी में अनूदित साहित्य की त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका,लेखनी - हिन्दी और अंग्रेजी की मासिक जाल-पत्रिका,मधुमती - राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका,साहित्य वैभव - संघर्षशील रचनाकारों का राष्ट्रीय प्रतिनिधि,विश्वा,सनातन प्रभात,हम समवेत,वाङ्मय - त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका,समाज विकास - अखिल भारतीय मारवाडी सम्मेलन की पत्रिका,गृह सहेली,साहित्य कुंज - पाक्षिक पत्रिका,लोकमंच,उर्वशी - सहित्य और शोध के लिये समर्पित़ डा०राजेश श्रीवास्तव शम्बर द्वारा सम्पादित वेब पत्रिका प्रतिमाह प्रकाशित,संस्कृति - सांस्कृतिक विचारों की प्रतिनिधि अर्द्धवार्षिक पत्रिका, प्रेरणा , जनतंत्र , समयांतर , में केवल साहित्य कुञ्ज अनियमित रही , शेष सभी पत्रिकाओं ने अपनी सक्रियता को बनाए रखा ।
आज भले ही हिंदी के साहित्यकारों की पहुंच ब्लॉगों पर लगभग 10 प्रतिशत के आसपास ही है। लेकिन इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की बढ़ती संख्या आस्वस्त करती है कि हिंदी का दायरा अब देश की सीमाएं लांघकर दुनिया भर में अपनी पैठ बना रहा है । अनेक सामूहिक ब्लॉग साहित्यकारों-लेखकों को एक दूसरे के क़रीब ला रहा हैं। फलत: उन्हें एक दूसरे के द्वारा किए गए लेखन के संबंध में जानकारी मिलती है। इस वर्ष साहित्यकारों -संस्कृतिकर्मियों की विश्राम स्थली के रूप में विख्यात इन वेब पत्रिकाओं के अतिरिक्त साहित्य शिल्पी पर अन्य सभी वेब पत्रिकाओं की तुलना में अत्यंत मोहक प्रस्तुति देखी गयी । जय प्रकाश मानस द्वारा संपादित सृजनगाथा पत्रिका पूरी दृढ़ता के साथ हिंदी साहित्य को समृद्ध करने और साहित्यिक कृतियों को प्रकाशित करने की दिशा में सक्रिय रही इस वर्ष। वहीँ पंकज श्याम त्रिवेदी द्वारा संपादित वेब पत्रिका नव्या ने इस वर्ष से साहित्यिक प्रकाशन का कार्य भी शुरू किया है और इस प्रकाशन के अंतर्गत पहली पुस्तक क्या प्यार इसी को कहते हैं प्रकाशित किया गया,जिसके लेखक हैं श्याम कोरी उदय ।वर्ष-2011 में जिन व्यक्तिगत ब्लॉग पर सृजनधर्मिता काफी देखी गयी उसमें प्रमुख है-उड़न तश्तरी,फुरसतिया, सद्भावना दर्पण, आखर कलश,.....मेरी भावनाएं, कुछ कहानियां कुछ नज्में, गीत...मेरी अनुभूतियाँ , बिखरे मोती, स्पंदन, एक सवाल तुम करो, नन्हा मन, कविता, नज्मों की सौगात, ठाले बैठे , वीर बहुटी , अनुशील,शब्द शिखर, काव्य कल्पना, अफरा-तफरी, देखिये एक नज़र इधर भी , कविता रावत ,कुछ मेरी कलम से, अमृता प्रीतम की याद में ,सदा ,ज्ञान वाणी ,गीत मेरे ,दो बातें एक एहसास की ,न दैन्यं न पलायनम , मिसफिट सीधी बात ,दिशाएँ ,अर्पित सुमन, बाबरा मन ,कोना एक रुबाई का ,सत्यार्थ मित्र,संवाद ,पारुल चाँद पुखराज का,ज़िन्दगी कि आरज़ू , मसि कागद ,मेरे विचारों की दुनिया.. हमराही , गुस्ताख आदि ।
इस वर्ष साहित्य को समर्पित व्यक्तिगत ब्लॉग के क्रम में एक और ब्लॉग ने पाठकों का ध्यान खींचा वह है शब्द सृजन की ओर,जिसके संचालक है के के यादव। श्री यादव जून -2008 से सक्रिय ब्लॉगिंग से जुड़े हैं । इनका एक और ब्लॉग है डाकिया डाक लाया । यह ब्लॉग विषय आधारित है तथा डाक विभाग के अनेकानेक सुखद संस्मरणों से जुडा है । इसके अलावा शब्द शिखर, उत्सव के रंग, सप्तरंगी प्रेम और बाल दुनिया ब्लॉग की संचालिका आकांक्षा यादव पूर्व की तुलना में कम सक्रिय दिखीं ।जबकि राम शिवमूर्ति यादव वर्ष -2011 में अपनी सार्थक और सकारात्मक गतिविधियों से हिंदी ब्लॉगजगत का ध्यान खींचने में सफल रहे हैं । वहीँ 01 सितंबर -2009 से हिंदी ब्लॉगिंग में आये प्रतिभाशाली ब्लॉगर मानव मेहता ने इस वर्ष भी अपनी प्रतिभा और योग्यता के बल पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुए हैं । सुमन कपूर यानी सुमन मीत पूरे वर्ष भर अपनी सुन्दर और भावपूर्ण रचनाओं से हिंदी ब्लॉगजगत को अभिसिंचित करती रही । मई-2007 से सक्रिय ब्लॉगिंग में कार्यरत वन्दना इस वर्ष काफी लोकप्रिय रही, इनके तीन ब्लॉग क्रमश: ज़िन्दगी एक खामोश सफ़र , एक प्रयास और ज़ख्म जो फूलों ने दिए हैं ।इस क्रम में एक और प्रमुख नाम है विजय कुमार सपत्ति , जो वर्ष-२००८ से सक्रिय ब्लोगिंग में हैं । इनका प्रमुख ब्लॉग है ख़्वाबों के दामन में , कविताओं के मन से ,आर्ट बाई विजय कुमार सपत्ति , भारतीय कॉमिक्स , अंतर्यात्रा , हृदयम आदि है ।कोमल शब्दों के साथ हिंदी ब्लॉगजगत की सतत सेवा करने वाली संगीता स्वरुप गीत भी इस वर्ष काफी चर्चा में रही। जबकि काव्य रचना में इस वर्ष अग्रणी रहीं रंजना उर्फ़ रंजू भाटिया । कथा कहानी में इस वर्ष संगीता पूरी भी काफी सक्रिय दिखीं । जबकि प्रतिभाशाली लेखन में सर्वाधिक योगदान देने वालों में डा. सुभाष राय,दिगंबर नासवा और अलवेला खत्री अग्रणी दिखे इस वर्ष । जबकि व्यंग्य को समर्पित ठहाका ब्लॉग इस वर्ष भी अनियमित रहा ।इनके सिवा अरुण चन्द्र रॉय भी इस वर्ष काफी सक्रिय देखे गए ।श्री रॉय हिंदी भाषा और विभिन्न विषयों पर अच्छी पकड़ रखते हैं और ब्लोगिंग के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति को धार देने की दिशा में लगातार सक्रिय भी हैं ।
विराम लेने से पहले आपको यह बता दूं कि साल 2011 बहुत लोगों को बहुत कुछ दे कर गया है। लेकिन सबसे खास बात तो उन लोगों के लिए रही जिन्हें इस साल अपना हमसफर मिला। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ युवा ब्लॉगर दीपक मशाल और संजय भास्कर की ...जो इसी वर्ष विवाह के पवित्र बंधन में बंधे।
........विश्लेषण अभी जारी है
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