वर्ष -2011 में हिंदी ब्लॉग की संख्या 50 हजार पार ........
" अभिव्यक्ति की बेचैनी ब्लॉगिंग का प्राण तत्व है और तात्कालिकता इसकी मूल प्रवृत्ति है। विचारों की सहज अभिव्यक्ति ही ब्लॉग की ताकत है, यही इसकी कमजोरी भी। यही इसकी सामर्थ्य है, यही इसकी सीमा भी। सहजता जहां खत्म हुई वहां फिर अभिव्यक्ति ब्लॉगिंग से दूर होती जाएगी।"
अनूप शुक्ल (फ़ुरसतिया) वरिष्ठ ब्लॉगर
गतांक से आगे.......
हिंदी ब्लॉगिंग के प्रारंभिक हस्ताक्षरों में जीतेन्द्र चौधरी, अनूप शुक्ला, आलोक कुमार (जिन्होंने पहला हिंदी ब्लॉग लिखा और उसके लिए 'चिट्ठा' शब्द का प्रयोग किया), देवाशीष, रवि रतलामी, पंकज बेंगानी, समीर लाल, रमण कौल, मैथिलीजी, जगदीश भाटिया, मसिजीवी, पंकज नरूला, प्रत्यक्षा, अविनाश दास , अविनाश वाचस्पति,अनुनाद सिंह, शशि सिंह, सृजन शिल्पी, ई-स्वामी, सुनील दीपक, संजय बेंगानी , जयप्रकाश मानस, नीरज दीवान, श्रीश बेंजवाल शर्मा, अनूप भार्गव, शास्त्री जेसी फिलिप, हरिराम, आलोक पुराणिक, ज्ञानदत्त पांडे, रवीश कुमार, अभय तिवारी, नीलिमा, अनामदास, काकेश, अतुल अरोड़ा, घुघुती बासुती, संजय तिवारी, सुरेश चिपलूनकर, तरुण जोशी, अफलातून,वालेंदु शर्मा दाधीच आदि में आज भले हीं सभी सक्रिय न हों किन्तु जो सक्रिय हैं वे आज भी नए ब्लॉगरों को समुचित मार्गदर्शन दे रहे हैं ।
इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से बहुतेरे नए और अच्छे ब्लॉग का आगमन हुआ है ।चिट्ठाजगत के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष की प्रथम तिमाही में लगभग सबा छ: हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अबतरित हुए हैं, दूसरी तिमाही में पांच हजार आठ सौ । इसके बाद चिट्ठाजगत ने आंकड़े देने बंद कर दिए । मैंने परिकल्पना की ओर से ब्लॉग सर्वे किया था और कुल मिलाकर जिस निष्कर्ष पर पहुंचा उसके हिसाब से इस वर्ष 20 हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अवतरित हुए हैं , जिसमें से लगभग एक हजार के आसपास पूर्णत: सक्रिय है । इस वर्ष के आंकड़ों को पूर्व के आंकड़ों में मिला दिया जाए तो लगभग 50 हजार ब्लॉग हिंदी के हैं, किन्तु सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी अभी भी काफी पीछे है क्योंकि हिंदी में सक्रिय ब्लॉग की संख्या अभी भी पांच हजार से ज्यादा नहीं है । वहीँ भारत की विभिन्न भाषाओं को मिला दिया जाये तो अंतरजाल पर यह संख्या पांच लाख के आसपास है । तमिल, तेलगू और मराठी में हिंदी से ज्यादा सक्रिय ब्लॉग है ।
15 जून 2011 को माँ सरस्वती प्रसाद की साहित्य साधना की चर्चा से रश्मि प्रभा ने एक अनोखे ब्लॉग की शुरुआत की नाम दिया शख्स: मेरी कलम से। इस ब्लॉग के पृष्ठ-दर पृष्ठ झांकते चले जाईये और हिंदी ब्लॉगजगत के अज़ीम शख्सियतों से अपने आप रूबरू होते चले जायेंगे आप । इसमें अभीतक 36 ब्लॉगरों के व्यक्तित्व और कृतित्व की विहंगम चर्चा की जा चुकी है,जिसमें प्रमुख हैं समीर लाल समीर, रवीन्द्र प्रभात,रंजना भाटिया, सुमन सिन्हा, रश्मि रविजा, वाणी शर्मा, संगीता स्वरुप, शिखा वार्ष्णेय , नीरज गोस्वामी, अनुपमा सुकृति, वन्दना गुप्ता , डा. टी.एस. दाराल, सुधा भार्गव ,राजेश उत्साही, अशोक आंद्रे, प्रीति मेहता, रेखा श्रीवास्तव, एस. एम. हबीब, संगीता पूरी, अजय कुमार झा, शोभना चौरे, सीमा सिंघल, मुकेश कुमार सिन्हा, अविनाश चन्द्र, कैलाश सी. शर्मा, निलेश माथुर, मीनाक्षी धन्वन्तरी, असीमा भट्ट, सोनल रस्तोगी ,महेश्वरी कनेरी, डा. सुधा ओम ढींगरा,नीलम प्रभा ,संजीव तिवारी आदि ।
इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से बहुतेरे नए और अच्छे ब्लॉग का आगमन हुआ है ।चिट्ठाजगत के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष की प्रथम तिमाही में लगभग सबा छ: हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अबतरित हुए हैं, दूसरी तिमाही में पांच हजार आठ सौ । इसके बाद चिट्ठाजगत ने आंकड़े देने बंद कर दिए । मैंने परिकल्पना की ओर से ब्लॉग सर्वे किया था और कुल मिलाकर जिस निष्कर्ष पर पहुंचा उसके हिसाब से इस वर्ष 20 हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अवतरित हुए हैं , जिसमें से लगभग एक हजार के आसपास पूर्णत: सक्रिय है । इस वर्ष के आंकड़ों को पूर्व के आंकड़ों में मिला दिया जाए तो लगभग 50 हजार ब्लॉग हिंदी के हैं, किन्तु सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी अभी भी काफी पीछे है क्योंकि हिंदी में सक्रिय ब्लॉग की संख्या अभी भी पांच हजार से ज्यादा नहीं है । वहीँ भारत की विभिन्न भाषाओं को मिला दिया जाये तो अंतरजाल पर यह संख्या पांच लाख के आसपास है । तमिल, तेलगू और मराठी में हिंदी से ज्यादा सक्रिय ब्लॉग है ।
इस वर्ष 20 हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अवतरित हुए हैं , जिसमें से लगभग एक हजार के आसपास पूर्णत: सक्रिय है । इस वर्ष के आंकड़ों को पूर्व के आंकड़ों में मिला दिया जाए तो लगभग 50 हजार ब्लॉग हिंदी के हैं, किन्तु सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी अभी भी काफी पीछे है क्योंकि हिंदी में सक्रिय ब्लॉग की संख्या अभी भी पांच हजार से ज्यादा नहीं है । |
कविता कोष के संस्थापक ललित कुमार लालित्य पूरे वर्ष अपने ब्लॉग पर जहां एक अच्छे ब्लॉग की जरूरते बताते रहें वहीँ इनकाकविता कोष इस वर्ष पूरी तरह अनियमित रहा ।
कुछ नया करने और आप तक ब्लॉगजगत की पोस्टों की , टिप्पणियों की , बहस और विमर्शों की सूचना और खबरें पहुँचाने के उद्देश्य से 13 नवंबर 2011 को एक प्रयोग के रूप में अजय कुमार झा , शिवम् मिश्रा , सुमित प्रताप सिंह, रश्मि प्रभा..., देव कुमार झा, बी. एस. पावला, अंजू चौधरी, मनोज कुमार , महफूज़ अली , योगेन्द्र पाल आदि के संयुक्त प्रयास से ब्लॉग बुलेटिन शुरू किया गया । हिंदी में अपने आप का यह पहला और अनोखा प्रयोग है । वर्ष के द्वितीय मासांत में आये इस ब्लॉग पर इस वर्ष कुल 43 बार ब्लॉग बुलेटिन प्रसारित हुए । इस बुलेटिन को काफी प्रशंसा और सराहना मिली है इस वर्ष । इस ब्लॉग बुलेटिन की सबसे बड़ी विशेषता है अनोखे ढंग से प्रस्तुत इसका शीर्षक जैसे १ दिन बाल दिवस - ३६४ दिन भाड़ में जाओ दिवस -......कितनी जरूरी उधार की खुशी ....बांटो और राज करो ......रोज़ ना भी सही पर आप पढ़ते रहेंगे....हमें चर्चाकार कतई न समझें ..हम खबरची हैं .....नाक नल ना बन जाए ... संभालो यारो ... ....... एक गरम चाय की प्याली हो ... ......मेरे देश में सब बिकता है ... खरीदोगे ???..........बुलेटिन नहीं बुलेट है ..अरे माने फ़टफ़टिया समाचार जी.. आदि-आदि ।
इस वर्ष 16 दिसंबर को एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग का अवतरण हुआ, जो ब्लॉगर के नाम पर ही है यानीसुमित प्रताप सिंह । यह ब्लॉग अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए है कि इस ब्लॉग पर हर दुसरे दिन हिंदी जगत के एक महत्वपूर्ण ब्लॉगर का व्यंग्यपरक साक्षात्कार प्रस्तुत किया जाता है । इस पर इस वर्ष कूल आठ व्यंग्यपरक साक्षात्कार प्रस्तुत किये गए, जिसमें प्रमुख है अविनाश वाचस्पति बोले तो अन्ना भाई,जुगाली करते हैं संजीव शर्मा , स्नेह पूरी कि इंदु पूरी , हंसते-हंसाते राजीव तनेजा ,चौखट पर खड़े पवन चन्दन , वंदना गुप्ता का खामोश सफ़र , प्रेम का भात पकाते रवीन्द्र प्रभात , साहित्यकार संसद के स्पीकर डा. हरीश अरोड़ा आदि ।
अब आप पूछेंगे कि मुझे इस प्रकार साक्षात्कार द्वारा ब्लॉगर बंधुओं के शिकार की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली ? तो इस विषय पर सुमित कहते हैं कि "अपना दिमाग बड़ा फितरती है कुछ न कुछ अलग और दुनिया से हटकर करने को सदा मचलता रहता है. तो एक दिन यह फितरती दिमाग मचल गया और पहले शिकार बने ब्लॉग जगत के अन्ना भाई (हमारे लिये अन्ना चाचू) श्री अविनाश वाचस्पति जी. पहले तो यह प्रयोग हल्का लगा, लेकिन अब यह सफलता की सीढियां चढ़ने को अग्रसर है. .!"
वर्ष- 2008 में आये प्रतीक महेश्वरी ने अपने व्यक्तिगत ब्लॉग पर इस वर्ष केवल 12 पोस्ट लिखे, जबकि सामूहिक ब्लॉग लफ्जों का खेल पर उन्होंने अपने सहयोगियों क्रमश: हिना जैन, निनाद पुंडलिक, श्रीतु महेंदले और के. रमेश बाबू के साथ मिलकर इस वर्ष 200 से ज्यादा पोस्ट लिखे ।उल्लेखनीय है कि प्रतीक बिट्स पिलानी से विद्युत् अभियंता हैं और फिलहाल गुडगाँव में कार्यरत हैं | इन्हें लिखने का शौक कॉलेज के अपना ब्लॉग शुरू करने से हुआ | इन्होनें कॉलेज में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में भी अपनी तरफ से योगदान दिया था | "वाणी",बिट्स-पिलानी की वार्षिक हिन्दी पत्रिका के लिए 2009 में ये सम्पादक थे |ब्लॉगिंग के अलावा शास्त्रीय और पार्शव संगीत में भी इनकी काफी रूचि है और हारमोनियम वादन भी करते हैं |
"निरंतर",जो चलता रहे,पीछे को पीछे छोड़,नए सोच के साथ,बिना थके,आगे बढ़ता रहे,निरंतर कुछ नया करता रहे........... "सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग" रोग मुक्त रहो निरंतर चलते रहो..!" इस पञ्चलाईन को आधार बनाने वाले ब्लॉगर डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" ने इस वर्ष अपने व्यक्तिगत ब्लॉग निरंतर की कलम से पर सर्वाधिक पोस्ट (1669 )लिखने का कीर्तिमान बनाया है । अगस्त -2010 में अवतरित इस ब्लॉग पर विगत वर्ष छ: महीने में 728 पोस्ट लिख कर इन्होनें सबको आश्चर्य चकित कर दिया था । साहित्य और ब्लॉगिंग के प्रति इनका समर्पण प्रशंसनीय है ।
उल्लेखनीय है कि पेशे से दन्त चिकित्सक राजेन्द्र तेला 1975 में लखनऊ के किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज से दन्त चिकित्सा की पढाई पूरी कर २२ वर्ष की उम्र में इन्होनें अपने शहर अजमेर में निजी प्रैक्टिस प्रारम्भ की,अपने जीवन काल में अब तक कई गैर राजनितिक एवम सामाजिक संघठनों से सक्रिय रूप से ये जुड़े रहे हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से इन्हें कचोटा है,अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज़ पर उकेरने का ये लगातार प्रयास कर रहे हैं ,फलस्वरूप 1 अगस्त 2010 से इन्होनें लिखना प्रारंभ किया। इनकी अब तक लगभग 2700 रचनाएँ हिंदी,उर्दू मिश्रित हिंदी,एवं अंग्रेज़ी में लिख चुके हैं .जिन में कविताएँ ,हास्य कविताएं,काव्य लघु कथाएँ ,लघु कथाएँ ,दो पुस्तकें,स्वास्थ्य दर्पण एवं संतुलित आहार,प्रकाशित हो चुकी हैं ।
कहा जाता है कि ज्योतिष अंधविश्वास की भूमि पर उपजी हुयी ऐसी जहरीली घास है जिसे चखते हीं मनुष्य का विवेक समाप्त हो जाता है। इसलिए सदैव से ही विज्ञान इस विषय को नकारता रहा है, मगर हिंदी ब्लॉग जगत में गत्यात्मक ज्योतिष की अवधारणा रखने वाली महिला ब्लॉगर धन्वाद निवासी संगीता पुरी ने ज्योतिष में अंधविश्वास के खिलाफ इस वर्ष भी अपनी आवाज़ बुलंद रखा। इस वर्ष इन्होनें अपनी एक पुस्तक के पुराने संस्करण को पाठकों के लिए उपलब्धता सहज की , जिसका नाम है गत्यात्मक दिशा पद्धति:ग्रहों का प्रभाव ।
वैसे तो इस वर्ष विज्ञान के नए ब्लॉग का सर्वथा अभाव देखा गया, वहीँ विज्ञान के पुराने ब्लॉगरों में इस वर्ष गज़ब का उत्साह भी देखा गया । ब्लॉग जगत में ऐसे महानुभावों की कमी नहीं, जिन्होंने यहां पर तन -मन-धन से अपना योगदान देकर इसे नई ऊचाईयां प्रदान की हैं। पर इसके साथ ही साथ यहां पर सक्रिय बहुत से ऐसे ब्लॉगर भी हैं, जो जितना ब्लॉग जगत में सक्रिय रहते हैं, उससे कहीं ज्यादा ब्लॉग जगत के बाहर भी अपनी छाप छोड़ते रहते हैं। ऐसे ही ब्लॉगर हैं डॉ0 ज़ाकिर अली 'रजनीश'। डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से इसी वर्ष 'आधुनिक बाल कहानियों का विवेचनात्मक अध्ययन' विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि हासिल करने वाले श्री रजनीश ने दैनिक 'जनसंदेश टाइम्स' में 'ब्लॉगवाणी' कॉलम के द्वारा ब्लॉगरों को नई पहचान दी है।
........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-२०११ की कुछ और झलकियाँ
अब आप पूछेंगे कि मुझे इस प्रकार साक्षात्कार द्वारा ब्लॉगर बंधुओं के शिकार की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली ? तो इस विषय पर सुमित कहते हैं कि "अपना दिमाग बड़ा फितरती है कुछ न कुछ अलग और दुनिया से हटकर करने को सदा मचलता रहता है. तो एक दिन यह फितरती दिमाग मचल गया और पहले शिकार बने ब्लॉग जगत के अन्ना भाई (हमारे लिये अन्ना चाचू) श्री अविनाश वाचस्पति जी. पहले तो यह प्रयोग हल्का लगा, लेकिन अब यह सफलता की सीढियां चढ़ने को अग्रसर है. .!"
वर्ष- 2008 में आये प्रतीक महेश्वरी ने अपने व्यक्तिगत ब्लॉग पर इस वर्ष केवल 12 पोस्ट लिखे, जबकि सामूहिक ब्लॉग लफ्जों का खेल पर उन्होंने अपने सहयोगियों क्रमश: हिना जैन, निनाद पुंडलिक, श्रीतु महेंदले और के. रमेश बाबू के साथ मिलकर इस वर्ष 200 से ज्यादा पोस्ट लिखे ।उल्लेखनीय है कि प्रतीक बिट्स पिलानी से विद्युत् अभियंता हैं और फिलहाल गुडगाँव में कार्यरत हैं | इन्हें लिखने का शौक कॉलेज के अपना ब्लॉग शुरू करने से हुआ | इन्होनें कॉलेज में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में भी अपनी तरफ से योगदान दिया था | "वाणी",बिट्स-पिलानी की वार्षिक हिन्दी पत्रिका के लिए 2009 में ये सम्पादक थे |ब्लॉगिंग के अलावा शास्त्रीय और पार्शव संगीत में भी इनकी काफी रूचि है और हारमोनियम वादन भी करते हैं |
"निरंतर",जो चलता रहे,पीछे को पीछे छोड़,नए सोच के साथ,बिना थके,आगे बढ़ता रहे,निरंतर कुछ नया करता रहे........... "सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग" रोग मुक्त रहो निरंतर चलते रहो..!" इस पञ्चलाईन को आधार बनाने वाले ब्लॉगर डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" ने इस वर्ष अपने व्यक्तिगत ब्लॉग निरंतर की कलम से पर सर्वाधिक पोस्ट (1669 )लिखने का कीर्तिमान बनाया है । अगस्त -2010 में अवतरित इस ब्लॉग पर विगत वर्ष छ: महीने में 728 पोस्ट लिख कर इन्होनें सबको आश्चर्य चकित कर दिया था । साहित्य और ब्लॉगिंग के प्रति इनका समर्पण प्रशंसनीय है ।
उल्लेखनीय है कि पेशे से दन्त चिकित्सक राजेन्द्र तेला 1975 में लखनऊ के किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज से दन्त चिकित्सा की पढाई पूरी कर २२ वर्ष की उम्र में इन्होनें अपने शहर अजमेर में निजी प्रैक्टिस प्रारम्भ की,अपने जीवन काल में अब तक कई गैर राजनितिक एवम सामाजिक संघठनों से सक्रिय रूप से ये जुड़े रहे हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से इन्हें कचोटा है,अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज़ पर उकेरने का ये लगातार प्रयास कर रहे हैं ,फलस्वरूप 1 अगस्त 2010 से इन्होनें लिखना प्रारंभ किया। इनकी अब तक लगभग 2700 रचनाएँ हिंदी,उर्दू मिश्रित हिंदी,एवं अंग्रेज़ी में लिख चुके हैं .जिन में कविताएँ ,हास्य कविताएं,काव्य लघु कथाएँ ,लघु कथाएँ ,दो पुस्तकें,स्वास्थ्य दर्पण एवं संतुलित आहार,प्रकाशित हो चुकी हैं ।
कहा जाता है कि ज्योतिष अंधविश्वास की भूमि पर उपजी हुयी ऐसी जहरीली घास है जिसे चखते हीं मनुष्य का विवेक समाप्त हो जाता है। इसलिए सदैव से ही विज्ञान इस विषय को नकारता रहा है, मगर हिंदी ब्लॉग जगत में गत्यात्मक ज्योतिष की अवधारणा रखने वाली महिला ब्लॉगर धन्वाद निवासी संगीता पुरी ने ज्योतिष में अंधविश्वास के खिलाफ इस वर्ष भी अपनी आवाज़ बुलंद रखा। इस वर्ष इन्होनें अपनी एक पुस्तक के पुराने संस्करण को पाठकों के लिए उपलब्धता सहज की , जिसका नाम है गत्यात्मक दिशा पद्धति:ग्रहों का प्रभाव ।
वैसे तो इस वर्ष विज्ञान के नए ब्लॉग का सर्वथा अभाव देखा गया, वहीँ विज्ञान के पुराने ब्लॉगरों में इस वर्ष गज़ब का उत्साह भी देखा गया । ब्लॉग जगत में ऐसे महानुभावों की कमी नहीं, जिन्होंने यहां पर तन -मन-धन से अपना योगदान देकर इसे नई ऊचाईयां प्रदान की हैं। पर इसके साथ ही साथ यहां पर सक्रिय बहुत से ऐसे ब्लॉगर भी हैं, जो जितना ब्लॉग जगत में सक्रिय रहते हैं, उससे कहीं ज्यादा ब्लॉग जगत के बाहर भी अपनी छाप छोड़ते रहते हैं। ऐसे ही ब्लॉगर हैं डॉ0 ज़ाकिर अली 'रजनीश'। डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से इसी वर्ष 'आधुनिक बाल कहानियों का विवेचनात्मक अध्ययन' विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि हासिल करने वाले श्री रजनीश ने दैनिक 'जनसंदेश टाइम्स' में 'ब्लॉगवाणी' कॉलम के द्वारा ब्लॉगरों को नई पहचान दी है।
एक ओर जहां डॉ0 रजनीश 'मेरी दुनिया मेरे सपने', 'तस्लीम', 'बालमन' एवं 'हमराही' के द्वारा ब्लॉग जगत में सकारात्मक योगदान देते रहे हैं, वहीं भोपाल से प्रकाशित 'इलेक्ट्रानिकी आपके लिए' एवं भीलवाड़ा, राजस्थान से प्रकाशित चर्चित पत्रिका'बाल वाटिका' ने उन्हें सम्मानित करके उनके योगदानों को रेखांकित भी किया है। इसके अतिरिक्त डॉ0 रजनीश ने इस वर्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के साथ संयुक्त रूप से दिनांक 27 अगस्त, 2011 को 'बाल साहित्यमें नवलेखन' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी तथा विज्ञान प्रसार, भारत सरकार एवं नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली के साथसंयुक्त रूप से दिनांक 26-27 दिसम्बर, 2011 को 'क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन' कार्यशिविर आयोजित करके मील के दो बड़े पत्थर स्थापित किये हैं।
........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-२०११ की कुछ और झलकियाँ
bahut jankari mili aapke blog vishleshan se thanks.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जनकरी
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