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ब्लॉगिंग पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न



कार्यशाला को संवोधित करते रवीन्द्र प्रभात,साथ में डा. अनिता मन्ना
कार्यशाला को संवोधित करते रवीन्द्र प्रभात,साथ में डा. अनिता मन्ना

मुम्बई। पिछले दिनों मुम्बई का प्रवेश द्वार माने जाने वाले कल्याण के के. एम. अग्रवाल कॉलेज में ब्लॉग लेखन पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ,जिसमें ब्लॉगिंग क्या ? ब्लॉगिंग क्यों? ब्लॉगिंग किसके लिए? ब्लॉगिंग के क्या फायदे ? ब्लॉगिंग कैसे ? आदि विषयों पर हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक रवीन्द्र प्रभात ने खुलकर चर्चा की । वे इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे,जिसकी अध्यक्षता की महाविद्यालय की प्राचार्या डा. अनिता मन्ना ने और संचालन किया महाविद्यालय के हिंदी विभाग प्रभारी डा. मनीष कुमार मिश्र ने ।

प्रश्न पूछते प्रतिभागी
प्रश्न पूछते प्रतिभागी
इस अवसर पर रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि ” लोग ब्लॉग को भले ही व्यक्तिगत डायरी के रूप में लिखते हैं, किन्तु अंतरजाल पर आ जाने के बाद उसे पूरा विश्व पढ़ता है । इसलिए मैं ब्लॉग को निजी डायरी नहीं मानता । यह वह खुला पन्ना है , जो सारी दुनिया में आपके विचार को विस्तारित करता है । इसलिए जो भी आप लिखें उसे दुबारा जरूर पढ़ें । क्या लिखा है , उसके क्या परिणाम हो सकते हैं इसपर विचार अवश्य करें । ध्यान दें- आपका लिखा हुआ कई सालों बाद सन्दर्भ के लिए लिया जा सकता है ।” कार्यशाला में पूछे गए एक प्रश्न “ब्लॉगिंग से व्यक्तित्व विकास कैसे संभव है” के उत्तर में उन्होंने कहा कि “हर व्यक्ति में कोई -न-कोई गुण अवश्य होते हैं, जो उन्हें औरों से अलग करते हैं । अपने इन्हीं गुणों को ढूंढिए और ब्लॉगिंग के माध्यम से उसका विकास कीजिये । इससे आपकी सेल्फ स्टीम में इजाफा होगा और आप खुद को लेकर अच्छा महसूस करेंगे।”

उपस्थित प्रतिभागी
उपस्थित प्रतिभागी
दिनांक 03.02.2012 को आयोजित इस कार्यशाला में ब्लॉग शिष्टाचार पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि “यदि आपको एक कुशल ब्लॉगर के रूप में छवि विकसित करनी है तो सबसे पहले आपको भाषा के व्याकरण पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना होगा । यह सही है कि ब्लॉग आपका पर्सनल मामला है और इसे किसी भी भाषा में और कैसे भी लिखने के लिए आप स्वतंत्र हैं । फिर भी आप चाहते हैं कि आपकी लेखनी अधिक से अधिक लोग पढ़ें तो भाषा और वर्तनी की शुद्धता पर अवश्य ध्यान देना होगा । व्याकरण एकदम शुद्ध रखने का प्रयास करना होगा । यदि उसमें कोई गलती हो तो संज्ञान में आते ही सुधारने का प्रयास करें । इसके अलावा गलती मानने की प्रवृति अपनाएं , क्योंकि कोई भी हमेशा सही नहीं हो सकता । यदि आपसे जाने-अनजाने में कोई गलती हो जाए तो वजाए तर्क-वितर्क के गलती मान लेनी चाहिए । इससे दूसरों की नज़रों में आपका सम्मान बढेगा । एक और महत्वपूर्ण बात है ब्लोगिंग के सन्दर्भ में कि ब्लॉग पढ़ने के लिए किसी को भी बाध्य न करें ,क्योंकि इससे आप अपनी प्रतिष्ठा खो देंगे । एक-दो बार लोग आपका मन रखने के लिए टिप्पणी तो कर देंगे ,किन्तु आपके पोस्ट से उनकी दिलचस्पी हट जायेगी । और हाँ कोशिश यह अवश्य करें कि कोई भी टिप्पणी आप अपने नाम से ही करें , क्योंकि लोग आपके विचारों को पहचानते हैं । अपनी पहचान को क्षति न पहुचाएं । स्वयं के प्रति ईमानदार बने रहें । एक और महत्वपूर्ण बात कि लेखन की जिम्मेदारी लेना लेखक की विश्वसनीयता मानी जाती है । कोई हरदम आपकी तारीफ़ नहीं कर सकता , कभी आपको कटाक्ष का दंश भी झेलना पड़ता है ऐसे में कटाक्ष पर शांत रहना सीखें ताकि आप उस आग में जलकर कंचन की भांति और निखर सकें ।”

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