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***(न सुना पाऊंगा) ***


हम उनके कर्ज़दार नहीं,वोह मेरे कर्ज़दार हैं 
हम तो आज भी सर आँखों पे बिठाने को तैय्यार हैं 
वोह चाहे तो आजमा ले, हम जीत जाएँगे 
हमें   अपनी   दिल्लगी   पे   ऐतवार   है 
***(न सुना पाऊंगा) ***
 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बुझ जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(1)धुँधली सी हो गयी यादें हम भूले तो नहीं 
अब तो लगता ही नहीं भूल कभी पाऊंगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(2)दीपक 'कुल्लुवी' हूँ मुझे कितना जलाओगे अभी 
यह न समझो मैं यूँ जलने से डर जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(3)दूर इतने हुए क्या पास न आओगे कभी 
आखरी गीत है फिर भी न सुना पाऊंगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(4)अपनीं फितरत में ही जलना था जले,जलते रहे 
यह न समझो मैं मौसम सा बदल जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(5)याद  रखेंगे तुम्हें वादा निभाएँगे  सनम 
यह तो मुमकिन नहीं वादों से मुकर जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----
(6)दर्द-ओ-ग़म सहते रहे हँसके हम टूटे तो नहीं 
यह न सोचो मैं शीशे सा बिखर जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----

दीपक शर्मा कुल्लुवी 
09350078399
10-12-12.

सुर क्षेत्र में 'दिलजान' की गायी ग़ज़ल से प्रेरित होकर उसी धुन पर लिखी मेरी रचना I  

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