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रघुराम राजन व मनमोहन सिंह

रघुराम राजन व मनमोहन सिंह जी बड़े अर्थशास्री है।मनमोहन सिंह जी को राजनीति में नरसिंह राव जी लाये वो केवल इसलिये ताकि एक योग्य ईमानदार व योग्य अर्थशास्री देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सके और उन्होंने अपना काम भी ईमानदारी से किया।पर प्रधानमंत्री बनने के बाद राजनीति को अपना लक्ष्य चुनना शायद मनमोहन सिंह जी की बहुत बड़ी भूल थी।उन्होंने बहुत कमाया लेकिन लगभग आधा उन्होंने ने इस पद को संभालकर गंवा दिया।अब उनका प्रयोग केवल अपना उल्लू साधने के लिये किया जाता है।नोट बंदी व जी एस टी पर इन दोनों यानी मनमोहन सिंह जी व रघुराम राजन के ब्यान सुने कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि उनके बयान अर्थशास्री के नाते थे, पर वे भूल जाते है कि उनका कार्य किसी दल का कल्याण नहीं अपितु देश का भला होना चाहिए।राजनीति में लिए गए मोदीजी के ये दो कठोर फैसले देश की अर्थव्यवस्था को आम लोगों की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायक होंगे।जी एस टी जहां देश में एकल टैक्स व्यस्था स्थापित करने में सहायक होगी और व्यापारियों की लूट से आम आदमी को छुटकारा मिलेगा वहीं नोट बंदी एक ऐसा कदम था जिसकी बहुत आवश्यकता थी, सब चाहते थे कि काले धन को बंद तिजोरी से कैसे बाहर लाये, जब तक मुद्रा प्रवाह सही नही होता देश की अर्थव्यवस्था कमज़ोर होती है।काले धन वाले इसको देश विरोधी गतिविधियों पर खर्च करते है जिससे आतंकवाद व नक्सलवाद बढ़ता है, अमीर और अमीर व ग़रीब और गरीब होता है।काले धन वाले बिना किसी कार्य के पंजीकृत कंपनियों के द्वारा काला धन सफेद करती है कई व्यापारी कृषि भूमि खरीद कर बिना टैक्स चुकाए अपना धन सफेद करते है।सारा धन प्रवाह में आया या 99% आया ये देश के लिए शुभ संकेत है यही छिपा हुआ पैसा तो देश के मुद्रा प्रवाह में शामिल करना था।लाखो फ़र्ज़ी कंपनियां बन्द हो गई लाखों लाख नए कर दाता बढ़ गए, ये देश के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि ये धन केवल गरीबों के विकास के लिए खर्च होगा।रघुराम राजन शायद किसी दल में शामिल होना चाहते है तभी नोटबंदी व जी एस टी को विफल बता रहे है।देश हित मोदी जी का इतने कठोर कदम जिसमें उनका राजनीतिक भविष्य दांव पर लग सकता है उठाना इतना साहसी है जितनी तारीफ करें कम होगी।बोलने वाले बोलते है बोले पर देश पर राज अब वही व्यक्ति कर सकता है जो निस्वार्थ भाव से राष्ट्र का सोचे।वैसे इन सब से प्रभवित बीजेपी के लोग व वोटर ज़्यादा हुए है।अब अर्थव्यवस्था 7.7%की दर से बढ़ने लगी वो अब रुकने वाली नहीं , मंदी का दौर समाप्त हो चुका है अब केवल एक सुनहरी भारत का निर्माण होगा।इससे कुछ लोगों की जाने गई कुछ प्रभावित हुए उन पर राजनीति नही होनी चाहिए कृतज्ञ राष्ट्र उनकी नेक कुर्बानी को हमेशा याद रखेगा।

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