मेले से लेकर आइ
मुन्नी एक गुड़िया
रात होते ही जो
बन जाती थी बुढ़िया।
हमने पूछा मुन्नी से
बुढ़िया कैसे बनती गुड़िया
कहने लगी खिलाती इसको
मैं जादू की पुड़िया।
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शिशु-गीत
Posted by रतन चंद 'रत्नेश'
Posted on सोमवार, मई 10, 2010
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