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क्यों ?

क्यों न सोचना चाहते हुए भी

        सोचते जाते हैं लोग

        दुनियां की भीड़ में

        तन्हाइयों में डूब जाते हैं लोग


क्यों न मुस्कराना चाहते हुए भी

        छलकती आँखों से मुस्कराते हैं लोग

        गमों को छुपाकर

        अश्कों को पीये जाते हैं लोग


क्यों न जीने की चाह होकर भी

        जिन्दगी जीये जाते हैं लोग

        सफर की मंजिल पर

        तन्हा रह जाते हैं लोग............?

3 comments:

  1. अश्कों को पीये जाते हैं लोग


    क्यों न जीने की चाह होकर भी

    जिन्दगी जीये जाते हैं लोग

    सफर की मंजिल पर

    तन्हा रह जाते हैं लोग............?
    बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

    जवाब देंहटाएं
  3. साधारण से सवाल पर जवाब कौन दे?
    सशक्त

    जवाब देंहटाएं

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